विश्व दूरसंचार दिवस

“यह ऐसा चमत्कारी आविष्कार है जो लोगों के जीने का तरीका बदल देगा।”  -सम्राट पेद्रो

         उक्त कथन एक ऐसे आविष्कार के लिए था, जो सम्पूर्ण मानव जाति को एक सूत्र में बाँधे रखने की कुव्वत रखता है। जी हाँ,  यहाँ  हम ग्राहम बेल द्वारा आविष्कृत यंत्र टेलीफोन की बात कर रहे हैं, जो किसी ईश्वरी चमत्कार से कम न था। उस समय अखबारों में भी इसे युग का सबसे उपयोगी और महत्वपूर्ण आविष्कार बताया गया था। ग्राहम ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनका यह आविष्कार आगे चलकर कैसा वृहत् रूप ले लेगा।

       संदेश संप्रेषण मानव जीवन की प्राचीनतम् आवश्यकता रही है। स्वध्वनि से लेकर कबूतर‚ कागज और कलम तक संदेशों के संप्रेषण माध्यमों के तौर पर प्रयुक्त किये जाते रहे हैं। यूँ तो  वर्तमान में फोन, मोबाइल और इन्टरनेट  हमारी  प्रथम  आवश्यकता बन चुकी है, इसके बिना जीवन की सुविधाओं की कल्पना करना भी मुश्किल हो गया है। चाहे हमारा व्यक्तिगत जीवन हो या हमारा प्रोफेशन, दूरसंचार के अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता है। आज दूरसंचार की प्रभावशीलता जीवन के समस्त क्षेत्रों में गहनता तक प्रवेश कर चुकी है। कृषि‚ कला‚ शिल्प‚ चिकित्सा इत्यादि सब कुछ इसके आगोश में समाहित है।

          वर्तमान में दूसंचार का एक नवीन रूप 'इन्टरनेट' हमारे विकासक्रम को गतिशील बनाने में अहम् भूमिका निभा रही है।  तरंगों के अन्तर्जाल (internet) ने सूचना एवं संदेशों के संप्रेषण को त्वरित एवं द्रुतगामी बना दिया है। इसके बदौलत कई देशों की अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्षत: एवं अपरोक्ष दोनों ही तरीकों से लाभ पहुँचा। जिसमें भारत देश का उदाहरण एक ज्वलंत उदाहरण है।

          'दूरसंचार क्रान्ति' ने ई-शापिंग‚ बैंकिग एवं मुद्रा विनिमय की व्यवस्थाओं को बदलकर रख दिया। यहाँ तक की जिस वेब मैग़जीन को आप पढ़ रहे हैं वह भी इसी क्रान्ति की देन है। आज इन्टरनेट अलादीन के चिराग की तरह हो गया है, 'जो हुकुम मेरे आका' कहते हुए ही प्राप्त निर्देशों के अनुरुप पल भर में ही परिणाम प्रकट कर देता है। भारत जैसे विकासशील देश ने इसके बदौलत विश्व में अपनी विशेष शाख बना ली है। 

         इस क्रांति को दिवस के रूप में मनाने की परम्परा 17 मई, 1865 में शुरू हुई थी, लेकिन आधुनिक समय में इसकी शुरुआत 1969 में हुई। तभी से पूरे विश्व में प्रत्येक वर्ष 17 मई को विश्व दूरसंचार दिवस मनाया जाता है। साथ ही नवम्बर, 2006 में टर्की में आयोजित पूर्णाधिकारी कांफ्रेंस में यह निर्णय लिया गया था कि इसी दिन सूचना एवं सोसाइटी दिवस भी मनाया जाएगा।

        इस दिवस के मनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य, जन मानस में दूरसंचार के उपयोग व दुरूपयोग के प्रति जागरूकता लाना है। खैर! दिवस मनाने के पीछे का कारण जो भी हो, किन्तु इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि जहाँ इस क्रान्ति ने लोगों की जीवन दशा को उन्नत किया है, वहीं इसके दुरुपयोग एवं सामाजिक ढाँचे पर हो रहे निरंतर प्रहार ने इसकी भूमिका पर एक प्रश्नवाचक चिन्ह भी खड़ा कर दिया है। 

     


- मनोज कुमार सैनी
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