नोटबंदी और आमजन की परेशानी
8 नवमà¥à¤¬à¤° को माननीय पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ ने देश के इतिहास का à¤à¤• à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• फैसला लिया, जिसनें उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पाà¤à¤š सौ और à¤à¤• हज़ार रूपये मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ के नोटों को à¤à¤•à¤¾à¤à¤• बंद कर दिया। जमाख़ोरी और कालाधन कम करने के लिठइस तरह का फ़ैसला बहà¥à¤¤ ज़रूरी था। देश à¤à¤° में अधिकतर लोगों को उमà¥à¤®à¥€à¤¦ थी कि इस क़दम के सकारातà¥à¤®à¤• नतीजे सामने आà¤à¤à¤—े।
परिवरà¥à¤¤à¤¨ की आस लगाठबैठी à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जनता ने इस फ़ैसले को हाथों-हाथ लिया और इस क़दम से हà¥à¤ˆ परेशानी को देश-हित में बलिदान के रूप में लेकर सकारातà¥à¤®à¤• सहयोग दिया। जनता ने माननीय पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ को इसी आस के साथ बहà¥à¤®à¤¤ से केंदà¥à¤° की सतà¥à¤¤à¤¾ सौंपी थी, हालाà¤à¤•à¤¿ 'सरà¥à¤œà¤¿à¤•à¤² सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤•' और 'नोटबंदी' से पहले तक आम आदमी की उनसे लगीं तमाम उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¥‡à¤‚ धूमिल हो चà¥à¤•à¥€ थीं।
इन दो बड़े 'फ़ैसलों' के साथ तक़रीबन ढाई साल बाद माननीय पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ ने à¤à¤• बार फिर उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¥‹à¤‚ की पोटली à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जनता को थमाई। लेकिन नोटबंदी के बाद इसके सकारातà¥à¤®à¤• परिणाम सामने आने से पहले बहà¥à¤¤ कà¥à¤› और सामने आ गया, जो निराश करने वाला है। नोटबंदी का फैसला दूरगामी था, इसके परिणाम मिलने में काफ़ी समय की दरकार थी, लेकिन इस बार 'बैंकों' ने अपनी सबसे बड़ी संवेदनशीलता का परिचय दिया। आज जगह-जगह से करोड़ों रà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤‚ के नठनोटों की बरामदगी ने मधà¥à¤¯à¤® और निमà¥à¤¨à¤µà¤°à¥à¤— के ईमानदारी से देश-हित में किठतà¥à¤¯à¤¾à¤— पर लगà¤à¤— पानी फेर दिया है।
इस पूरे घटनाकà¥à¤°à¤® के बाद यदि हम परिवरà¥à¤¤à¤¨ के लिठज़रूरी बातों पर विचार करें, तो सामने आता है कि-
1. परिवरà¥à¤¤à¤¨ किसी à¤à¤• के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ से संà¤à¤µ नहीं है, यदि हम वासà¥à¤¤à¤µ में अपने देश को बदलते देखना चाहते हैं तो इसके लिठहर à¤à¤• नागरिक को ईमानदारी के साथ अपना योगदान देना होगा।
2. देश-हित के लिठअपने सà¤à¥€ सà¥à¤µ-हित निछावर करने होंगे, इसके लिठआरà¥à¤¥à¤¿à¤• या अनà¥à¤¯ किसी à¤à¥€ तरह के नà¥à¤•à¥à¤¸à¤¾à¤¨ के लिठà¤à¥€ ततà¥à¤ªà¤° रहना होगा।
3. परिवरà¥à¤¤à¤¨-परिवरà¥à¤¤à¤¨ चिलà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ या जय-जयकार लगाने मातà¥à¤° से कà¥à¤› नहीं होगा, इस दिशा में अपने-अपने सà¥à¤¤à¤° पर सकारातà¥à¤®à¤• पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करने होंगे।
4. इसके लिठसà¤à¥€ तरह की दलगत अथवा निजी राजनीति से ऊपर उठकर केवल और केवल देश-हित के बारे में सोचना होगा।
5. सरकार को à¤à¥€ कई बातों पर ग़ौर करने बाद किसी निरà¥à¤£à¤¯ पर पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ होगा, और उस निरà¥à¤£à¤¯ से उपजने वाली हर परेशानी के लिठपूरी तरह तैयार रहना होगा।
नोटबंदी के बाद आयी कई मौतों और शादियों में परेशानी की बेतà¥à¤•à¥€ ख़बरों से इतर अगर ज़मीनी सà¥à¤¤à¤° पर देखें तो परेशानियाठतो हà¥à¤ˆ हैं और अब à¤à¥€ हालात सामानà¥à¤¯ नहीं हैं। इसके साथ ही सबसे बड़ी आहत करने वाली बात यह है कि इस सबके बाद आम वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के देश-हित में बलिदान की के जज़à¥à¤¬à¥‡ को ठेस लगी है। अब उमà¥à¤®à¥€à¤¦ है कि 50 दिन के à¤à¥€à¤¤à¤° सब कà¥à¤› सामानà¥à¤¯ हो जाठऔर जनता का 'सरकार' के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ बचा रहे।
इसी उमà¥à¤®à¥€à¤¦ के साथ देश-हित के लिठदिखे आम आदमी के जज़à¥à¤¬à¥‡ को नमन!