मैं अजनà¥à¤®à¤¾,
निरà¥à¤¬à¥‹à¤§ बालक,
कोख में वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤²
तड़प रहा हूà¤à¥¤
मैंने की नही जो गलती,
उसकी सज़ा
à¤à¥à¤—त रहा हूà¤à¥¤
माà¤à¤ जो
अपने अजनà¥à¤®à¥‡ को
कोख में ही
वीरता के पाठपà¥à¤¤à¥€ हैं।
कà¤à¥€ राम की
कà¤à¥€ रहीम की
कथा सà¥à¤¨à¤¤à¥€ हैं।
अरà¥à¤œà¥à¤¨ अपने,
अजनà¥à¤®à¥‡ का
चकà¥à¤°à¤µà¥à¤¯à¥‚ह से पार की रचना
बता चà¥à¤•à¥‡ थे।
कथांत से पहले,
माठका सो जाना
अà¤à¤¿à¤®à¤¨à¥à¤¯à¥ का काल बना।
किनà¥à¤¤à¥
पिता मेरे ने
जो कथा माठको सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ है,
माठकी कà¥à¤¯à¤¾,
मेरी à¤à¥€ नींद उड़ आई है।
हे जनक! तू ने
यह कà¥à¤¯à¤¾ कर डाला।
सातवाठछोडो,
पहला ही बंद कर डाला।
अचà¥à¤›à¤¾ कल
अचà¥à¤›à¤¾ à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯
अचà¥à¤›à¥‡ संसà¥à¤•à¤¾à¤° ,कà¥à¤¯à¤¾ दोगे?
जब अपने दूषित कतरे को,
मà¥à¤à¤®à¥‡à¤‚ दे डाला।
कैसे पार मैं जाऊà¤à¤—ा,
कैसे तोड़ मैं पाऊà¤à¤—ा,
वो,चकà¥à¤°à¤µà¥à¤¯à¥‚ह का दà¥à¤µà¤¾à¤°,
जो,
मेरे ही जनक ने रच डाला।
मैं अजनà¥à¤®à¤¾,
निरà¥à¤¬à¥‹à¤§ बालक,
डरता हूà¤,
बाहर आने से।
जो गलती मैंने की नहीं,
उसकी सजा,
à¤à¥à¤—त रहा हूà¤à¥¤
तड़प रहा हूà¤à¥¤
सहम रहा हूà¤à¥¤