सांख्यिकीय भौतिक सिद्धांत के जनक - लुडविंग बोल्ट्जमैन

बोल्ट्जमैन एक सैद्धांतिक भौतिकविद् थे लेकिन इसके साथ- साथ प्रयोगात्मक भौतिकी में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान था। लुडविंग एडुअर्ड बोल्ट्जमैन की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि यह थी कि सांख्यिकी यांत्रिकी को एकगणितीय औजार के रूप में उन्होंने विकसित किया था। ऊष्म गतिकी के दूसरे नियम की अपनी सांख्यिकीय व्याख्या में बोल्ट्जमैन ने संभाविता के सिद्धांत का परिचय भौतिकी के एक आधारभूत विषय के रूप में बताया, गैसों के अणुगति सिद्धांत में बोल्ट्जमैन ने उल्लेखनीय योगदान दिया। उन्होंने एक निश्चिय तापमान पर किसी निकाय के ऊर्जा वितरण व व्यापक नियम को स्थापित किया। बोल्ट्जमैन ने मैक्सवेल नामक वैज्ञानिक के साथ खोज करके मैक्सवेल बोल्ट्जमैन नामक समीकरण का सूत्रपात किया। यह समीकरण यह प्रदर्शित करता है कि किसी गैस की ऊर्जा उसके अणुओं के बीचकिस तरह से वितरित होती है। किसी परमाणु की गति की औसत ऊर्जा हर दिशा में बराबर होती है।
लुडविंग एडुअर्ड बोल्ट्जमैन का जन्म 20 फरवरी 1844 को विएना में एक संपन्न परिवार में हुआ था। उनके पिता लुडविंग जार्ज बोल्ट्जमैन टैक्स कलेक्टर थे। उनके दादा घड़ी निर्माता थे। बोल्ट्जमैन लुडविंग को प्रकृति से गहरा प्रेम था। वे तितलियाँ इकट्ठा करते थे और वनस्पतियों का अध्ययन करते रहते थे। लुडविंग पन्द्रह वर्ष के थे जब उनके पिता का निधन हो गया। बोल्ट्जमैन ने सन 1863 में विएना विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। उन्हों पढ़ाने वाले शिक्षकों में जोसेफ स्टीफन जैसर प्रसिद्ध भौतिकविद शामिल थे। बोल्ट्जमैन को भौतिकीविज्ञान के अलावा संगीत और कला में भी बेहद रूचि थी। सन 1866 में बोल्ट्जमैन ने स्टीफन के मार्गदर्शन में पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त की। उनका शोध प्रबंध गैसों के अणुगति सिद्धांत पर आधारित था। अध्यापन डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने के बाद बोल्ट्जमैन ने दो वर्ष तक स्टीफन के सहायक के रूप में कार्य किया। सन 1869 में गणितीय भौतिकी के प्रोफेसर पद पर स्टाइरिया प्रान्त के प्राइज विश्वविद्यालय में बोल्ट्जमैन की नियुक्ति हुई। उस समय वे 25 वर्ष के थे। उन्होंने कई महीने तक रॉबर्ड युनसेन और लियो कानिग्सबर्गर के साथ शोध कार्य किया। 1871 मेंबर्लिन में उन्होंने गुरुताव किरचौफ और हर्मन वान हेल्मोज के साथ शोध कार्य किया। सन 1873 में बोल्ट्जमैन गणित के प्रोफेसर के रूप में विएना विश्वविद्यालय से जुड़े जहाँ वे सन 1876 तक रहे। उसके बाद वे प्रायोगिक भौतिकी की रौनक लौटाने पुनः ग्राटज लौट आए। ग्राटज में 14 वर्ष तक खोज करते हुए बोल्ट्जमैन ने सांख्यिकीय संकल्पना का विकास किया। सन 1893 में विएना विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक-भौतिकी के प्रोफेसर के रूप में नियुक्त होकर बोल्ट्जमैन ने अपने शिक्षक जोसेफ स्टीफन का स्थान ग्रहण कर लिया। सन 1900 में वे विएना लौट आए और इसके बाद मृत्यु तक अपना कार्यक्षेप नहीं बदला।
बोल्ट्जमैन को भौतिक विज्ञान में असाधारण योगदान के लिए अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान किये गए। अकादमी परिसर तथा सरकार द्वारा बोल्ट्जमैन को सम्मानित किया गया। सन 1855 में उन्हें इंपीरियल एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज का सदस्य नियुक्त किया गया। सन 1887 में बोल्ट्जमैन को ग्राट्ज विश्वविद्यालय का अध्यक्ष बनाया गया। उनके तर्कों का जमकर विरोध हुआ। वे बहस उत्तरोत्तर कड़वे होते चले गए। बिल्हेम ओसवाल्ड के साथ हुई एक ऐसी ही बहस के बाद बोल्ट्जमैन ने आत्महत्या करने का प्रयास किया।बोल्ट्जमैन ने 5 अक्टूबर 1906 को फाँसी लगाकर खुदखुशी कर ली।

बोल्ट्जमैन आये थे इस संसार में, इक हवा का झोंका बने हुए,
चले गये संसार से, मील का पत्थर बने हुए।।

―साभार:-“विश्व के आदर्श वैज्ञानिक”


लेखक परिचय :
मनोज कुमार सैनी
फो.नं. -9785984283
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