दाब मापक यंत्र के जनक:- इवेनजेलिस्ता टोरिसिली

21वीं सदी ज्ञान, विज्ञान की सदी है। विज्ञान ने आम आदमी के जीवन को बेहतर बनाया है। 17वीं सदी में विज्ञान के लिए अच्छा वातावरण नहीं था। उन दिनों भी विज्ञान के लिए कुछ वैज्ञानिक समर्पित थे। इनमें गैलिलोयो,गिओर्डेनो ब्रूनो के साथ इवेनजेलिस्ता टोरिसिली का नाम भी प्रमुख है। टोरिसिली का निर्वात प्रदेश का सिद्धांत विज्ञान और इंजीनियरिंग के छात्रों को भलीभांति मालूम है। समुद्र की सतह पर वातावरणीय दबाव 76 सेंटीमीटर पारे की ऊँचाई जितना होता है। यह खोज की थी इवेनजेलिस्ता टोरिसिली ने।1640 में उत्तरी इटली में ग्रैंड ड्यूक ऑफ टस्कनी का राज था, राजा ने अपने राजमहल परिसर में एक कुआँ खुदवाया। इसमें 40 फुट नीचे पानी था। राजा ने सक्शन पम्प का उपयोग करके पानी सतह पर लाने की कोशिश की। लेकिन पानी 32 फुट से ज्यादा नहीं चढ़ा, उन दिनों टोरिसिली गैलिलोयो की प्रयोगशालामें खोज कार्य में जुटे थे। गैलिलोयो को बुढ़ापे के कारण कम दिखता था, तो टोरिसिली गैलिलोयो को हर काम में मदद किया करते थे।राजा ग्रैंड ड्यूक अपनी वैज्ञानिक समस्या का हल ढूंढने के लिए गैलिलोयो से मिलने आए और उन्होंने गैलिलोयो से कुएँ का पानी 40 फुट ऊपर नहीं चढ़ने का कारण पूछा, गैलिलोयो ने यह काम अपने शिष्य टोरिसिली को सौंपा, टोरिसिली ने इस खोज के लिए जो वैज्ञानिक प्रयोग किया, वह इस तरह था― टोरिसिली ने चार फुट लम्बे काँच के कई ट्यूब जुटाए, यह काँच नली एक तरफ से बंद थी, उन्होंने एक नली में पारा कंठ तक भरा और उंगली से उसका मुँह बंद कर दिया। बाद में नली को काँच के टब जिसमें पानी भरा था, में डुबो  à¤¦à¤¿à¤¯à¤¾ और अपनी उंगली हटा ली। इससे काँच की नली में से थोड़ा पारा नीचे आया और 76 सेंटीमीटर पारे की ऊँचाई पर स्थित हो गया। उलटे काँच की नली के पारे के ऊपर निर्वात प्रदेश बना। टोरिसिली ने इसका वैज्ञानिक जवाब इस तरह दिया।
काँच के टब में पारे पर पचास मल ऊँचाई तक की हवा रहती है। हवा का दाब काँच के तब के पारे को रोक कर रखता है। उलटी काँच नली में पारा को कहीं जाने का रास्ता नहीं मिलने के कारण वह 76 सेंटीमीटर का कॉलम बनाकर स्थिर हुआ, इस उपकरण को हम टोरिसिली का बैरोमीटर नाम से 

जानते हैं।इसका उपयोग वातावरण दबाव को नापने के लिए किया जाता है।
इवेनजेलिस्ता टोरिसिली का जन्म 15 अक्टूबर 1608 को नार्थ इटली के फन्झा गाँव में हुआ। उनकी कॉलेज की पढ़ाई जेइट कॉलेज में पूरी हुई। उम्र के 16वें साल में टोरिसिली के काका एवं धर्मप्रचारक ने उन्हें उच्च विज्ञान शिक्षा के लिए रोम भेजा। यहाँ टोरिसिली को बेनेडैट्टी कैस्टेल्ली नामक महान गणित प्रोफेसर ने पढ़ाया। टोरिसिली ने अपनी पहली विज्ञान खोज एक विज्ञान ग्रन्थ में प्रकाशित की जिसका नाम था ‘ऑन प्रोजेक्टाइल्स’ इस विज्ञान ग्रन्थ की गैलिलियो ने काफी प्रशंसा की।
1641 में टोरिसिली का दूसरा विज्ञान ग्रन्थ प्रकाशित हुआ जिसका शीर्षक था ‘कॉमेंट्री ऑन दि वर्क ऑफ गैलिलियो’ टोरिसिली के विज्ञान प्रयोग से इस दुनिया में मॉडर्न बैरोमीटर निर्माण हुए। इनका उपयोग मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए किया जाता है।
टोरिसिली को ड्यूक राजा ने अपने दरबार में सम्मानित किया एवं उन्हें क्लीरेन्टाइन अकादमी में गणित के प्रोफेसर के रूप में नौकरी दी। यहीं कार्य करते हुए टोरिसिली ने आवाज, प्रकाश एवं चुम्बक विषयों पर भी खोज की।
मात्र 39 साल की उम्र में इस महान वैज्ञानिक का 25 अक्टूबर 1647 को क्लारेन्स में निधन हो गया।

―साभार:-विश्व के आदर्श वैज्ञानिक


लेखक परिचय :
मनोज कुमार सैनी
फो.नं. -9785984283
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