साहितà¥à¤¯ समाज का मूरà¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¿à¤®à¥à¤¬ है। समाज की परिवरà¥à¤¤à¤¨à¤¶à¥€à¤² मनः सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ का चितà¥à¤°à¤£ समय-समय पर विविध रूपों में परिलकà¥à¤·à¤¿à¤¤ होता रहा है। जिस काल-विशेष में जिस à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾-विशेष की पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ रही है,उसी आधार पर ही इतिहासकारों ने उस काल नामकरण कर दिया। पà¥à¤°à¤–र मनीषी आचारà¥à¤¯ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° शà¥à¤•à¥à¤² ने सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® हिंदी साहितà¥à¤¯ के इतिहास को चार कालखंडों में वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• विà¤à¤¾à¤œà¤¨ किया है-
1:-आदिकाल या वीरगाथा काल
(संवतॠ1050 से 1375 तक)
2:-à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤² या पूरà¥à¤µà¤®à¤§à¥à¤¯ काल
(संवतॠ1375 से 1700 तक)
3:-रीतिकाल या उतà¥à¤¤à¤° मधà¥à¤¯ काल
(संवतॠ1700 से 1900 तक)
4:-आधà¥à¤¨à¤¿à¤• काल या अदà¥à¤¯à¤¤à¤¨ काल
(संवतॠ1900 से अब तक)
हैं। कविगण राजाशà¥à¤°à¤¯ में रहते थे, इसलिठराजाओं की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा करना इनका सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• गà¥à¤£ था।
कवि कृतियाà¤
---- ------
1:-नरपति नालà¥à¤¹ बीसलदेव रासो
2:-चंदबरदाई पृथà¥à¤µà¥€à¤°à¤¾à¤œ रासो
3:-जगनिक परमाल रासो/आलà¥à¤¹à¤¾à¤–ंड
4:-जलà¥à¤¹à¤£ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ रासो
5:-नलà¥à¤² सिंह विजयपाल रासो
6:-दलपति विजय खà¥à¤®à¤¾à¤¨ रासो
7:-अमीर खà¥à¤¸à¤°à¥‹ खà¥à¤¸à¤°à¥‹ की पहेलियाà¤
8:-विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ पदावली
1:-आशà¥à¤°à¤¯à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾ राजाओं की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा
2:-वीर तथा शà¥à¤°à¥ƒà¤‚गार रस की पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¤à¤¾
3:-यà¥à¤¦à¥à¤§à¥‹à¤‚ का सजीव चितà¥à¤°à¤£
4:-नारी सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ वरà¥à¤£à¤¨
5:-इतिहास में कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ का सामंजसà¥à¤¯
6:-रोसो कावà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की रचना
7:-संदिगà¥à¤§ पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤•à¤¤à¤¾
8:-वीरों की वीरता का चितà¥à¤°à¤£
9:-संकà¥à¤šà¤¿à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯à¤¤à¤¾
10:-मà¥à¤•à¥à¤¤à¤• à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध कावà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की रचना
11:-छंदों की विविधता
12:-डिंगल-पिंगल à¤à¤¾à¤·à¤¾ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—
(अ):-डिंगल à¤à¤¾à¤·à¤¾=अपà¤à¥à¤°à¤‚श+राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ का योग
(ब):- पिंगल à¤à¤¾à¤·à¤¾=अपà¤à¥à¤°à¤‚श + बà¥à¤°à¤œà¤à¤¾à¤·à¤¾ का योग