नाराजगी अपनी जगह ,,और रिश्ते अपनी जगह

,,, बाज़ार  à¤œà¤¾à¤¨à¤¾  à¤¥à¤¾  . हम सभी तैयार हो रहे थे .. वो भी काफी खुश था  . एक रौनक  à¤¸à¥€ जाग उठती है  à¤‰à¤¸à¤•à¥‡ चेहरे पर जब शॉपिंग  à¤•à¥‡ लिए जाना होता  à¤¹à¥ˆ हमें .पर  à¤®à¥ˆà¤‚ जानती हूँ ,जब भी  à¤²à¥Œà¤Ÿà¤¤à¤¾  à¤¹à¥ˆ  à¤µà¤¹ बाज़ार से , उसके चेहरे का  à¤¨à¤•à¥à¤¶à¤¾ बिगड़ा हुआ ही होता  à¤¹à¥ˆ ,, बांग्ला  à¤¦à¥‡à¤¶ के नक़्शे की तरह . दरअसल  à¤˜à¤° में तो वह कुछ नहीं कहता  à¤ªà¤°  à¤¬à¤¾à¥›à¤¾à¤°  à¤ªà¤¹à¥à¤à¤šà¤¤à¥‡  à¤¹à¥€ उसके फरमाइशों की फेहरिस्त काफी लम्बी  à¤¹à¥‹ जाती है  ,  à¤¸à¥à¤°à¤¸à¤¾ के  à¤®à¥à¤– की तरह . नाराज़  à¤¹à¥‹ जाता है  à¤µà¤¹  . '' तुम मुझसे प्यार नहीं करती  '' ,, आज तक कभी मेरी कोई बात नहीं मानी  à¤¹à¥‹ तुम ''  à¤œà¤¾à¤¨à¥‡ कैसे - कैसे उलाहने . अब  à¤¬à¤¾à¥›à¤¾à¤°  à¤®à¥‡à¤‚ तो  à¤†à¤ª कुछ कर भी नहीं सकते  , उसे झेलती    à¤°à¤¹à¤¤à¥€ हूँ  à¤®à¥ˆà¤‚ .                             
                      आज भी ऐसा ही कुछ हुआ . वो नाराज़  ... उसे ये चाहिए - वो चाहिए .. मुझे अपने पर्स के पैसे कम पड़ते नज़र आये . बजट के बारह  à¤¬à¤œà¤¨à¥‡ की हालत  à¤¹à¥‹ गई .. मैंने कहा  .... '' नो , बाजार में आकर  à¤¤à¥à¤® लिस्ट नहीं बनाओगे , कुछ नहीं खरीदूँगी   मैं '' . वो नाराज  à¤†à¤—े - आगे चलने  à¤²à¤—ा ,,अपने पापा  à¤•à¥€  à¤Šà¤à¤—ली  à¤¥à¤¾à¤®à¥‡ . बाज़ार  à¤®à¥‡à¤‚ काफी भीड़ और गहमा - गहमी थी . मुझे भीड़ देखकर  à¤¹à¥€ डर लगता है और सर दर्द  à¤­à¥€  .. खैर  à¤µà¥‹ आगे निकल गया   ,,और मैं पीछे छूट गई . पर मेरी नज़र  à¤‰à¤¨ पे थी  . अचानक  à¤®à¥ˆà¤‚ने देखा  à¤µà¥‹  à¤°à¥à¤•à¤¾ , पीछे मुड़ा , मुझे ना पाकर  à¤…चानक  à¤‰à¤¸à¤¨à¥‡ अपने पापा की ऊँगली छोड़ी और पीछे की ओर चलने लगा .  à¤ªà¥€à¤›à¥‡  à¤¦à¤¸  -  à¤¬à¤¾à¤°à¤¹ कदम चलने के बाद उसे मैं नज़र  à¤†à¤ˆ .उसके चेहरे की चिंतित लकीरें  à¤°à¤¾à¤¹à¤¤  à¤®à¥‡à¤‚ बदल गईं . उसने मुझसे कुछ भी  à¤¨à¤¾  à¤•à¤¹à¤¾  ,, पास  à¤†à¤•à¤°  à¤®à¥›à¤¬à¥‚ती से  à¤®à¥‡à¤°à¤¾  à¤¹à¤¾à¤¥ पकड़ा और चलने लगा  . तब - तक , जब तक हम कार के पास ना आ गये .. काफी अच्छा लगा  . उसका हाथ पकड़ना ,, साथ  à¤šà¤²à¤¨à¤¾ ,, वो समझने लगा था  à¤¶à¤¾à¤¯à¤¦ ,, कि  à¤¨à¤¾à¤°à¤¾à¥›à¤—ी अपनी जगह  à¤¹à¥‹à¤¤à¥€ है   और रिश्ते अपनी जगह  .....  
काश  à¤®à¥‡à¤°à¥‡ बुढ़ापे तक के सफर में भी वह इसी तरह  à¤®à¥‡à¤°à¤¾ हाथ थामे रहे ,, ...
एक माँ को भला  à¤…पने बेटे से और चाहिए भी क्या ...// 

 


लेखक परिचय :
कल्याणी कबीर
फो.नं. ---
ई-मेल - [email protected]
इस अंक में ...