दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ देश में जिस तरह से सापà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• दंगों ने मानवता का सà¥à¤µà¤¾à¤¦ बदल कर रख दिया और उसकी à¤à¤¯à¤¾à¤à¤¯ तसà¥à¤µà¥€à¤° आम लोंगों के लिठछोड दी है, उससे तो यही लगता है, कि इस देश में à¤à¤• दूसरे के धरà¥à¤® की दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨à¥€ की आड अपने सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ के लिठआम जनता को बलि का बकरा बनाया जा रहा है, उतà¥à¤¤à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के मà¥à¤œà¤«à¥à¤«à¤°à¤¨à¤—र दंगें हो या मधà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के हरदा जिले के खिरकिया बà¥à¤²à¥‰à¤• के छीपाबड़ गॉव के दंगें या फिर उजैन और खणà¥à¤¡à¤µà¤¾ के दंगें हों या देश के अनà¥à¤¯ इलाकों में हà¥à¤ सापà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• दंगें हों, इनकी तसà¥à¤µà¥€à¤° को देखने पर मानवता की वो तसà¥à¤µà¥€à¤° सामने आती है, जिसे देखकर देश में रह रहे आम इंसान की रूह कॉप जाती, दंगों का कारण चाहे जो à¤à¥€ हो पर देश में हो रहे सापà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• दंगों की तसà¥à¤µà¥€à¤° देखने पर मानवता के पीछे छà¥à¤ªà¥€ वो तसà¥à¤µà¥€à¤° सामने आ जाती है, जिससे आम इंसान का à¤à¤°à¥‹à¤·à¤¾ उठचà¥à¤•à¤¾ है, देश जल रहा है,दंगों में आम आदमी जो दो वकà¥à¤¤ की रोजी-रोटी के लिठघर से निकलकर आम रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर जा रहा,और अपनी जान गंवा रहा जिसे पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ के अलावा देखने और सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ वाला कोई नहीं है, कà¥à¤¯à¤¾ आम जनता आदमी की जान बचाने की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ मातà¥à¤° पà¥à¤²à¤¿à¤¸ और पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ की है \ या फिर सà¤à¥à¤¯ समाज में रह रहे जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° लोंगों की à¤à¥€ है, महगें सà¥à¤•à¥‚ल और बडे-बडे कालेजों में कà¥à¤¯à¤¾ आम आदमी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सद़़à¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ और मानवीयता का पाठआपने नहीं पढा, धरà¥à¤® की आड में अपने वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ के लिठबेकसूर जनता को मौत के मंजर में धकेलना कà¥à¤¯à¤¾ यही सीखा है आपने \ तमाम तरह के सबाल इन धटनाओं से जनà¥à¤® लेते हैं, आखिर कब तक इन सापà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• दंगों के काल के गाल में लोग समाते रहेंगें और हम लोग कब तक अपनी नैतिक जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ से बचते रहेंगें, इस देश में हो रहे दंगों की आग की लपटों ने ना जाने कितने मासूम बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की जान ले ली और ना जाने कितनी माताओं से उनका चिराग छीन लिया और ना जाने कितनी औरतों का सà¥à¤¹à¤¾à¤— छीन लिया, देश में हà¥à¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° सापà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• दंगों का कारण à¤à¤• दूसरे के धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¤£à¤•à¤¾à¤Š à¤à¤¾à¤·à¤£ या à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ के धरà¥à¤® की धारà¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤“ं को ठेस पंहà¥à¤šà¤¾à¤¨à¤¾ रहा, कà¥à¤¯à¤¾ इसे देश की विडमà¥à¤¬à¤¨à¤¾ ही कहेंगें कि अपने वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ के लिठसमाज ठेकेदार छोटी-छोटी धटनाओं को अपने जहम में उतारकर अपने वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त मतà¤à¥‡à¤¦à¥‹à¤‚ को और अपनी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं को सापà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• दंगों का सà¥à¤µà¤°à¥‚प दे देते हैं परिणामसà¥à¤µà¤°à¥‚प लाखों की समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ के साथ-साथ कई बेकसूर जाने इस दंगें के काल के गाल में समा जाती हैं, जिनका उतà¥à¤¤à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤à¥à¤µ लेने वाला कोई नहीं बचता, जो लोग इन दंगों से पूरà¥à¤£ रूप से जà¥à¤¡à¥‡ रहते हैं, वो पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ की आखों में धूल à¤à¥‹à¤‚ककर बच जाते हैं, ओर जिन लोंगों का इन दंगों से दूर-दूर का नाता नहीं होता है वही कानूनी चकà¥à¤•à¤° में फॅस जाते हैं यहॉ वो लोग जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚नें पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ की ऑखों में धूल à¤à¥‹à¤‚ककर अपने आप को बचा लिया है और आम आदमी को दंगों में फसा दिया यहॉ à¤à¥€ मानवीयता तार-तार होती नजर आती है, आखिर इस धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤· देश में अपनी कटà¥à¤Ÿà¤° à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं की आग में कब तक आम आदमी जलता रहेगा \ और कितनी मासूम जिंदगियां दंगों के काल के गाल में समाती रहेगीं, इसका जवाब देने की शासन या सरकार की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ नहीं है बलà¥à¤•à¤¿ उन लोगों को इसकी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ उठानी होगी जिनके कारण कितनी जिंदगियां दंगों के काल के गाल में समा गई, à¤à¤²à¥‡ ही इस सà¤à¥à¤¯ समाज की तसà¥à¤µà¥€à¤° विदशों में अमन चैन और à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ के नये कीरà¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने की हो, पर देश की आंतंरिक तसà¥à¤µà¥€à¤° पर नजर डाली जाये तो देश में विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में हà¥à¤ दंगों को देखकर आम आदमी की रूह कॉप जायेगी, सडकों पर चलती जिदंगियों की सासें थम जाती है,पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की आवाज à¤à¥€ दंगों की à¤à¤¯à¤¾à¤à¤¯ आहट के सामने गà¥à¤®à¤¨à¤¾à¤® ओ जाती हैं, शासन/सरकार/पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ और देश में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° सामाजिक संघठन अमन चैन और à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¤¾ कायम रखने की केाशिश जरूर करतें होगें पर दंगों में सामिल उन असामाजिक ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ की चाल के सामने शासन /सरकार/पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ और सामाजिक संघठन बौने जरूर नजर आते दिखाई देतें हैं, इंसान के नैतिक करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का अरà¥à¤¥ यह नहीं कि अपने वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ और अपनी आपसी रंजिस को à¤à¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठमंदिर, मसà¥à¤œà¤¿à¤¦, चरà¥à¤š और गà¥à¤°à¥‚दà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ जैसे पवितà¥à¤°à¥ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² कर सापà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• दगों को जनà¥à¤® दिया जाय, साथ ही हमें यह à¤à¥€ अधिकार नहीं है कि किसी के धरà¥à¤® की धारà¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं को ठेस पहà¥à¤‚चाने हेतॠउसकी आलोचना की जाय, पर फिर हम ये सब à¤à¥‚लकर निजी सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ के लिठउतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¿à¤¤ होकर सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ सहित धरà¥à¤® से जà¥à¤¡à¥€ हà¥à¤ˆ इमारतों को नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ पंहà¥à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ की कोशिश में रहते हैं इसके परिणामसà¥à¤µà¤°à¥‚प हमारी उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¨à¤¾ की चपेट में आकर कई मासूम जिदंगियों की सांसे थम जाती है,लाखों रूपये की समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ नषà¥à¤Ÿ हो जाती है, जिसकी à¤à¤°à¤ªà¤¾à¤ˆ कà¤à¥€ नहीं हो पाती है, आखिर सà¤à¥à¤¯ और सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ समाज ने कà¥à¤¯à¤¾ हमें यही सिखाया है, या हमारे संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में कमी है, या फिर हीरो बनने की होड में इन सापà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• दंगों के परिणामों को à¤à¥‚ल गये है, कारण चाहे कà¥à¤› à¤à¥€ हो पर हर सà¥à¤¤à¤° इसांन मानवीयता खोता नजर आता है, किसी à¤à¥€ किताब या कानून में हमें यह अधिकार नहीं दिये गये हैं कि मानवता को à¤à¥‚लकर à¤à¥‹à¤²à¥‡-à¤à¤¾à¤²à¥‡ इंसानों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अमानवीय वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° किया जाय, फिर à¤à¥€ हम इस सब बातों से अनजान होकर à¤à¤• दूसरे के धरà¥à¤® के दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ बने हà¥à¤ हैं, देश और दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में कायम अमन चैन को दंगों में परिवरà¥à¤¤à¤¨ कर इंसानियत खोने की मिशाल कायम कर कर हैं, कà¥à¤¯à¤¾ आने वाली पीढियों के लिठदेश में हà¥à¤ सापà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• दंगें सबक सावित होंगें \ देश में अमन चैन और à¤à¤¾à¤‡à¤šà¤¾à¤°à¤¾ फिर से कायम होगा मानवीयता खोता इंसान नीद से जागेगा \