कà¥à¤¯à¤¾ आप यह कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ कर सकते हैं कि बिना मिटà¥à¤Ÿà¥€ के पेड़-पौधों को उगाया जा सकते हैं? परनà¥à¤¤à¥ वासà¥à¤¤à¤µ में अब यह संà¤à¤µ है। जीव विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ ने हाइडà¥à¤°à¥‹à¤ªà¥‹à¤¨à¤¿à¤• विधि दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बिना मिटà¥à¤Ÿà¥€ के पौधे उगाठजाने की विधि का विकास किया है। हाइडà¥à¤°à¥‹à¤ªà¥‹à¤¨à¤¿à¤• का अरà¥à¤¥ है किसी पारदरà¥à¤¶à¥€ पातà¥à¤° में पानी डाल कर पौधे को उगाया जाना। इस विधि में खाद, पानी खà¥à¤°à¤¾à¤• के तौर पर रासायनिक पोषक ततà¥à¤µ का मिशà¥à¤°à¤£ पौधे की नसà¥à¤², किसà¥à¤® और जलवायॠको धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखते हà¥à¤ पौधा लगाते समय व बाद में समय-समय पर खà¥à¤°à¤¾à¤• के रूप में दिया जाता है। सामानà¥à¤¯à¤¤à¤¯à¤¾ पौधे की वृदà¥à¤§à¤¿ के पांच मà¥à¤–à¥à¤¯ ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ जैसे पोटेशियम, केलà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤®, मैगà¥à¤¨à¥€à¤¶à¤¿à¤¯à¤®, नाइटà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨ व फासà¥à¤«à¥‹à¤°à¤¸ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है। हाइडà¥à¤°à¥‹à¤ªà¥‹à¤¨à¤¿à¤• विधि दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उगाठगठपौधों के लिठइनà¥à¤¹à¥€à¤‚ पांच ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ को मिलाकर रासायनिक पोषक ततà¥à¤µ का मिशà¥à¤°à¤£ तैयार किया जाता है। पौधों की सिंचाई में जड़ों के पोषण व पौधे की वृदà¥à¤§à¤¿ के लिठइसका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया जाता है। नाइटà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨ का कारà¥à¤¯ पौधे की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की वृदà¥à¤§à¤¿ करना है व फासà¥à¤«à¥‹à¤°à¤¸ में फल-फूलों में बà¥à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤°à¥€ व जड़ें मजबूत होती हैं। मैगà¥à¤¨à¥€à¤¶à¤¿à¤¯à¤® से कà¥à¤²à¥‹à¤°à¥‹à¤«à¤¿à¤² का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होता है। यह पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ में उगाठजाने वाले पौधों के लिठविशेष रूप से आदरà¥à¤¶ हैं। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हाइडà¥à¤°à¥‹à¤ªà¥‹à¤¨à¤¿à¤• पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ से उगाये जाने वाले पौधों से घर में जगह साफ-सà¥à¤¥à¤°à¥€ बनी रहती है। अतः घरों के अंदर सजावट के लिठउतà¥à¤¤à¤® रहते हैं। मिटà¥à¤Ÿà¥€ में कई पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के कीटाणॠà¤à¥€ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो जाते हैं। रेत, बजरी आदि में घास-फूस व अनावशà¥à¤¯à¤• बूटी à¤à¥€ नहीं उगती कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसमें फालतू पानी इकटà¥à¤ ा नहीं होता। इसका सबसे बड़ा लाठयह है कि रेगिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में à¤à¥€ वह जहाठमिटà¥à¤Ÿà¥€ कम परनà¥à¤¤à¥ रेत-बजरी मिटà¥à¤Ÿà¥€ में अधिक मिली रहती है पौधों को उगाया जा सकता है। इस विधि से फसल अधिक मातà¥à¤°à¤¾ में तथा जलà¥à¤¦à¥€ उगती है।
कà¥à¤› पौधे केवल पानी में उगते हैं जिसके लिठन तो मिटà¥à¤Ÿà¥€ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है और न रेत-बजरी की और न ही खà¥à¤°à¤¾à¤• की। ‛मनीपà¥à¤²à¤¾à¤‚ट’ à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ पौधा है जिससे सब à¤à¤²à¥€-à¤à¤¾à¤‚ति परिचित हैं। यह किसी à¤à¥€ पारदरà¥à¤¶à¥€ पातà¥à¤° में पानी डालकर सà¥à¤—मतापूरà¥à¤µà¤• उगाया जा सकता है।इसके लिये न बीच की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है न नरà¥à¤¸à¤°à¥€ से पà¥à¤¨à¤ƒ रोपण करने की समसà¥à¤¯à¤¾à¥¤ इसके अलावा फà¥à¤°à¥‡à¤µà¥à¤°à¥‡à¤¨, डà¥à¤°à¤•à¥‡à¤¨à¤¾ व अमà¥à¤¬à¥à¤°à¥‡à¤²à¤¾ पà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥à¤Ÿ à¤à¥€ पानी में उग सकते हैं।