à¤à¤• सीधा, खूबसूरत, हरियाली से आचà¥à¤›à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ रासà¥à¤¤à¤¾, कि जिसे देख उमà¥à¤°-à¤à¤° चलते रहने का ही मन करे ! मंज़िल तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के बाद, पाने के लिठऔर बचता à¤à¥€ कà¥à¤¯à¤¾ है ! दà¥:ख तब होता है, जब इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ सà¥à¤‚दर राहों पर अचानक ही कोई घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° मोड़ आ जाà¤. à¤à¤¸à¥‡ में ये लाचार, बेबस मन, à¤à¥Œà¤‚चकà¥à¤•à¤¾-सा आà¤à¤–ें फाडे जीवन की à¤à¥‚ल-à¤à¥à¤²à¥ˆà¤‡à¤¯à¤¾à¤ को समà¤à¤¨à¥‡ की हर असफल कोशिश में हताश हो उठता है. पर अब इन गलियों में à¤à¤Ÿà¤•à¤¤à¥‡ रहने के सिवाय और कोई उपाय ही नहीं. न साथ कोई, जो हौसला दे. खूबसूरत राहें à¤à¥€ तनà¥à¤¹à¤¾ कहाठसà¥à¤¹à¤¾à¤¤à¥€ हैं, दिल ख़ालीपन से à¤à¤° डूबने लगता है, बेचैन हो मचलता à¤à¥€ है......और à¤à¤• दिन, ज़िंदगी ख़तà¥à¤® हो जाती है, उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ अंधेरी, संकरी गलियों में, जहाठअपनी परछाई à¤à¥€ साथ नहीं देती. उस समय बचपन में हज़ारों बार सà¥à¤¨à¥€ à¤à¤• बात के मायने समठआने लगते हैं, कि 'जो जैसा दिखता है, वैसा होता नहीं'....पर कहते हैं, न 'जो à¤à¥€ होता है, अचà¥à¤›à¥‡ के लिठहोता है' सो ये à¤à¤Ÿà¤•à¤¨ à¤à¥€ वापिस उसी तरफ खींच लाती है, जहाठसे 'जीवन' कà¤à¥€ शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† था. सीख à¤à¥€ मिलती है, कि कà¥à¤› लोगों का जनà¥à¤®, दूसरों के लिठही हà¥à¤† है. उदासी तो यूठà¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त ही हà¥à¤† करती है, कौन महसूस कर पाया है, इसे ? दूर à¤à¥€ वही कर सकता है, जिसकी वजह से ये उदासी है या फिर हम सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही ! लेकिन ये घने, छायादार वृकà¥à¤·, बिन कहे ही कितना कह जाते हैं, इस हरियाली का जीवन कितना नि: सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ है ! ये हरीतिमा, फूल-फल से लदे वृकà¥à¤·, मà¥à¤¸à¤¾à¤«à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ को छाया देते हैं, अपनेपन का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ कराते हैं , बिन किराà¤, कà¥à¤› पल चैन से बैठने की तसलà¥à¤²à¥€ देते हैं. इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने होने का मतलब पता है, ये शिकायत नहीं करते, ये जानते हà¥à¤ à¤à¥€, कि कोई राहगीर पलटकर उनकी तरफ वापिस कà¤à¥€ नहीं आà¤à¤—ा. उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ये à¤à¥€ पता है कि, दिन की चटक रोशनी में ही हमें उनकी ज़रूरत महसूस होती है. रात के काले, गहरे अंधेरे के छाते ही, यही à¤à¤¯à¤¾à¤µà¤¹ दिखने लगता है, असल ज़िंदगी की तरह ! सीखना ही होगा, इस वृकà¥à¤· से.... जिसकी ज़िंदगी अपनी नहीं, खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤ अपनी नहीं...निराशा के अंधेरे, आà¤à¤–ों की नमी को दूसरों की मà¥à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤¨ में तबà¥à¤¦à¥€à¤² होता देखकर ही सà¥à¤•à¥‚न पाता रहा है, जब तक ये जीवित है, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤µà¤¾à¤¯à¥ à¤à¥€ देता है कि हमारे असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को ख़तरा न रहे !
न जनà¥à¤® अपना है और न मृतà¥à¤¯à¥ पर वश है,
तो इन राहों पर à¤à¥€ अधिकार कà¥à¤¯à¥‚ठजताà¤à¤ हम,
बेहतर है आख़िरी बार à¤à¥€ हारकर खà¥à¤¦ से ही
आओ, चलो.... अब 'वृकà¥à¤·' बन जाà¤à¤ हम ! :)
- पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ 'अजà¥à¤žà¤¾à¤¤'
* 'ताजमहल' परिसर à¤à¥€ उतना ही खूबसूरत है, जितना 'ताजमहल' है और ये चितà¥à¤° वहीं का है, ज़रा सोचिठअगर ये 'ताजमहल' किसी रेगिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में होता, तब à¤à¥€ कà¥à¤¯à¤¾ इतना ही कीमती लगता ? कहने का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ बस यही है, कि 'सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯' यूठही नहीं निखरता...आसपास का सकारातà¥à¤®à¤• वातावरण à¤à¥€ उसमें सहयोग देता है