सामानà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ - नवमà¥à¤¬à¤° 2014 : à¤à¥‚गोल
à¤à¤¾à¤°à¤¤ की मिटà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤:- à¤à¥‚-गोल की अगली कड़ी में हम अपने पाठकों के लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¥‚मि की संरचना और इसकी विशेषता से जà¥à¥œà¥€ कई रोचक बातों की चरà¥à¤šà¤¾ करेंगे।
- पौधे के विकास में सहायक महीन कणयà¥à¤•à¥à¤¤ तथा हà¥à¤¯à¤®à¤¸ वाले मेंटल की ऊपरी परत के ढीले पदारà¥à¤¥ को मिटà¥à¤Ÿà¥€ या मृदा कहते हैं।
- मिटà¥à¤Ÿà¥€ में मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से शैलकण, खनिज कण, कारà¥à¤¬à¤¨à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥, जल, वायॠà¤à¤µà¤‚ जीवाणॠपाये जाते हैं।
- मिटà¥à¤Ÿà¥€ के कणों का आकार इसकी पà¥à¤°à¤®à¥à¤– विशेषता है । मिटà¥à¤Ÿà¥€ के कणों को मिली मीटर में मापा जाता है।
- कारà¥à¤¬à¤¨à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के सड़ने के बाद जो उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ बच जाता है, वह हà¥à¤¯à¥‚मस कहलाता है। हà¥à¤¯à¥‚मस से मिटà¥à¤Ÿà¥€ की उरà¥à¤µà¤°à¤¤à¤¾ बनी रहती है। अलग-अलग पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की मिटà¥à¤Ÿà¥€ में हà¥à¤¯à¥‚मस की मातà¥à¤° अलग-अलग होती है।
- जिस मिटà¥à¤Ÿà¥€ में चूने की मातà¥à¤° कम होती है, उसे अमà¥à¤²à¥€à¤¯ मिटà¥à¤Ÿà¥€ कहते हैं। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जिस मिटà¥à¤Ÿà¥€ में चà¥à¤¨à¥‡ की मातà¥à¤° अधिक होती है, उसे कà¥à¤·à¤¾à¤°à¥€à¤¯ मिटà¥à¤Ÿà¥€ कहते हैं । निषà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯ मिटà¥à¤Ÿà¥€ का पी.à¤à¤š.(pH) मान 7.2 होता है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° अमà¥à¤²à¥€à¤¯ मिटà¥à¤Ÿà¥€ का 7.2 या 7.3 से कम होता है à¤à¤µà¤‚ कà¥à¤·à¤¾à¤°à¥€à¤¯ मिटà¥à¤Ÿà¥€ का मान 7.3 से अधिक होता है।
- à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ कृषि à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¸à¤‚धान परिषद ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ की मिटà¥à¤Ÿà¥€ को कई पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में बांटा है।
- जलोॠमिटà¥à¤Ÿà¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सबसे पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मिटà¥à¤Ÿà¥€ है।यह à¤à¤¾à¤°à¤¤ की कà¥à¤² मिटà¥à¤Ÿà¥€ का 43.4 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ है। यह दो पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की होती है- खादर और बांगर।
- मिटà¥à¤Ÿà¥€ का लाल रंग फेरिक आकà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤¡ के कारण होता है।
- काली मिटà¥à¤Ÿà¥€ को à¤à¤¾à¤°à¤¤ में रेगà¥à¤° और विशà¥à¤µ में चेरà¥à¤¨à¥‹à¤œà¤® कहते हैं।
- लेटराइट मिटà¥à¤Ÿà¥€ से ईटें तथा मिटà¥à¤Ÿà¥€ के बरà¥à¤¤à¤¨ बनाठजाते हैं।
इस अंक में ...