मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस

राष्ट्रध्वज को मेरा नमन, आप सभी का में हृदय से स्वागत करता हूं। और ये पंक्तियां आपके साथ बांटना चाहूगां।

यह तो एक पड़ाव है,हमें आगे बढ़ते जाना है
झरनों से संतोष नहीं करना, पूरा सागर पाना है
छोटे शहरों के छोटे उत्सव, अब हमारी मंजिल नहीं
सूरज की किरणों की तरह, हमको दुनिया पर छा जाना है!

आज हमारे मध्यप्रदेश का 59 वा स्थापना दिवस दिवस है। हमारे लिए सबसे गौरब की बात तो यह है कि आज हम मध्यप्रदेश का 59 वा स्थापना दिवस मना रहे हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश का निर्माण राज्य पुनर्गठन आयोग की अनुशंसा पर आज के दिन 1 नवम्बर 1956 को हुआ था। 31 अक्टूबर 2000 को मध्यप्रदेश का विभाजन होकर आज ही के दिन 1 नवम्बर 2000 पुनर्गठित मध्यप्रदेश से कुछ जिलों के साथ छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई।
दोस्तों भारत की संस्कृति में हमारा मध्यप्रदेश जगमगाते दीपक के समान है, जिसकी रोशनी की सर्वथा अलग प्रभा और प्रभाव है। यह विभिन्न संस्कृतियों की अनेकता में एकता जैसा आकर्षक गुलदस्ता है, मध्यप्रदेश जिसे प्रकृति ने राष्ट्र की वेदी पर जैसे अपने हाथों से सजाकर रख दिया है, हमारे मध्यप्रदेश का सतरंगी सौन्दर्य और मनमोहक सुगन्ध चारों और फैल रहें हैं। हमारे मध्यप्रदेश के जनपदों की आबोहवा में कला, साहित्य और संस्कृति की मधुमयी सुवास तैरती रहती है। हमारे मध्यप्रदेश के लोक समूहों और जनजाति समूहों में प्रतिदिन नृत्य संगीत , गीत की रसधारा सहज रूप से फूटती रहती है। हमारे मध्यप्रदेश का हर दिन पर्व की तरह आता है और जीवन में आनन्द का रस घोलकर स्मृति के रूप में चला जाता है। हमारे प्रदेश के तुंग-उतुंग शैल शिखर विन्ध्य-सतपुड़ा , मैकल-कैमूर की उपत्यिकाओं के अन्तर से गूॅजते अनेक पौराणिक आख्यान और नर्मदा, सोन, सिन्ध, चम्बल, बेतवा केन , घसान, तवा आदि सर सरिताओं के उद्रम और मिलन की मिथकथाओं से फूटती सहस्त्र धाराएॅ यहाॅ के जीवन को आप्लावित ही नहीं करती बल्कि परितृप्त भी करती हैं।
दोस्तो आज इस गौरवपूर्ण अवसर पर संत विनोबा भावे की एक कहानी याद आती है, संत विनोबा भावे के पास एक दिन एक छात्र आया और प्रणाम करके उनके निकट बैठ गया। उसे देखकर विनोबाजी ने एक कागज के कई टुकेडे उसकी ओर बढ़ा दिये और कहा-इन्हें जोड़कर भारत का नक्शार बनाओ । वह छात्र उन टुकड़ों को बहुत देर तक जोड़ता रहा, लेंकिन भारत का सही नक्शाो नहीं बना सका। वहीं विनोबाजी के साथ चलने वाला युवक यह कार्यवाही देख रहा था। उस छात्र को निराश व उदास देखकर व बोला-बाबा आप कहें तो में इस भारत के नक्शेा को बनाऊं । तभी विनोबाजी ने कहा हाॅ बनाओ,तुम भी कोशिश करो अनुमति मिलते ही उसने सारे टुकडों को जोड़कर भारत का नक्षा बना दिया। नक्शेन को देखकर विनोबाजी ने पूछो तुमने इतनी शीध्रता से यह काम कैसे कर दिया? युवक बोला-बाबा इन टुकड़ों के पीछे जहाॅ एक ओर भारत का नक्शान बना हुआ है। वहीं पीछे एक आदमी का चित्र बना हुआ है। मैंने उस आदमी का चित्र जोड़ दिया और नक्शा  अपने आप बन गया। विनोबाजी ने उस छात्र से कहा जीवन में यह बात गांठ बांध लो कि यदि हमें इस विशाल देश को जोड़ना है, तो उससे पहले यहां रहने वाले आदमियों को जोड़ना होगा। आदमी जुड जाएगा तो देश भी जुडकर महान हो जाएगा।
ऐसे ही हमें भी मध्यप्रदेश के हर व्यक्ति को जोड़े रखना होगा तभी हमारा मध्यप्रदेश जुड़कर महान हो जाएगा।
है मन में कोई गीत, तो आज गुनगुना दीजिए,
कोई दुख कोई उलझन तो हाल सुना दीजिए।
है मन में अगर प्रेम, तो मुस्करा दीजिए,
जो चलना हो साथ, हाथ बढ़ा दीजिए।


लेखक परिचय :
अनिल कुमार पारा
फो.नं. -9893986339
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