à¤à¤• सà¥à¤¬à¤¹ हà¥à¤ˆ है अà¤à¥€
रात की गà¥à¤®à¤¸à¥à¤® कलियाà¤
खिलखिला रहीं बेवजह
चाà¤à¤¦ à¤à¥€ बतà¥à¤¤à¥€ बà¥à¤à¤¾
सो गया पाà¤à¤µ पसारे
अठखेलियाठकरते थक चà¥à¤•à¥‡
टिमटिमाते सारे तारे
नरà¥à¤® घास के बिछौने पर
खà¥à¤¦ ही लà¥à¤¢à¤¼à¤• गया
ठहरा हà¥à¤† आलसी मोती
शरमाती हà¥à¤ˆ हौले-से
à¤à¤¾à¤‚कने लगी लालिमा
या कि आती रशà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को देख
लजा रहा आसमाठ!
सारी उदासियाठà¤à¥‚ल
किरणों की सलाई पर
बà¥à¤¨à¤¨à¥‡ बैठा कोई
टेढ़े-मेढ़े, बेतà¥à¤•à¤¼à¥‡ ख़à¥à¤µà¤¾à¤¬
पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की महफ़िल
कतारबदà¥à¤§ हो सजने लगी
घर की छतों और
उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ चिर-परिचित तारों पर
मà¥à¤‚डेर पर इतराती, फà¥à¤¦à¤•à¤¤à¥€
विचारमगà¥à¤¨ वही बà¥à¤¦à¥à¤§à¥‚ गिलहरी
तितलियाठहो रहीं फ़िदा
अपने ही रंगीन नज़ारों पर.
अलसाई-सी सारी खिड़कियाà¤
खà¥à¤²à¤¨à¥‡ लगे ताले
चहारदीवारी को फलांगकर
गिरा आज का अख़बार
कल की बासी खबरों का
था कहीं आदतन, अदना-सा इंतज़ार.
मासूम बचपन लद गया वैन में
आà¤à¤–ों को खंगालता
काà¤à¤§à¥‡ पर ढो रहा à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯
शà¥à¤°à¥‚ होने लगी सड़कों पर खटपट
मंदिरों से बà¥à¤²à¤¾à¤¤à¥€ धà¥à¤µà¤¨à¤¿-तरंगें
कोई हाथ दà¥à¤† को उठता हà¥à¤†
दूर चिमनियों से à¤à¤¾à¤—ा धà¥à¤à¤† सरपट.
दो अजनबी चेहरे आज à¤à¥€
मà¥à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤¯à¥‡ होंगे दूर से
सेहत की चहलक़दमी तले,
à¤à¤• दरà¥à¤œà¤¼à¤¨ ठहाके
लग रहे होंगे, उसी पारà¥à¤• में
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ चाहे कितना à¤à¥€ जले
रात से बेसà¥à¤§ पड़ी ज़िंदगी की
टूटी तंदà¥à¤°à¤¾, बिखरा सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨
दà¥à¤•à¤¾à¤¨ के खà¥à¤²à¤¤à¥‡ शटर की तरह
खà¥à¤²à¤¨à¥‡ लगी असलियतें
ओह, वक़à¥à¤¤ नहीं !
आज à¤à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ में हैं, सà¤à¥€ !
कà¥à¤¯à¤¾ फिर से कर दी à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤£à¥€
उसी शासà¥à¤¤à¥à¤°-वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¥€ ने
सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आख़िरी दिन की ?
खैर...उठना ही होगा
चलना ही होगा
à¤à¤• और सà¥à¤¬à¤¹.....
..........हà¥à¤ˆ है अà¤à¥€ !