आवशà¥à¤¯à¤• वसà¥à¤¤à¥:-
à¤à¤• बड़ी पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ,
à¤à¤• कारà¥à¤•,
तीन कांटे(खाने खाने वाले),
à¤à¤• गोल आलू,
दो सà¥à¤‡à¤¯à¤¾à¤‚,
धागे का टà¥à¤•à¤¡à¤¼à¤¾ तथा
बारीक पिसा हà¥à¤† नमक
आओ जाने:-
पहले कारà¥à¤• को लेकर इसमें तीन तरफ कांटे घà¥à¤¸à¤¾à¤“ और पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ में नमक बिछाकर कांटो वाली इस तिपाही को पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ पर बीचोबीच खड़ा कर दो।
अब धागे का टà¥à¤•à¤¡à¤¼à¤¾ लेकर इसे दोनों सà¥à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ में पिरो दो और फिर à¤à¤• सà¥à¤ˆ को कारà¥à¤• के नीचे इसके बीचोबीच घà¥à¤¸à¤¾à¤“। दूसरी सà¥à¤ˆ को आलू में इस तरह चà¥à¤à¤¾à¤“ ताकि इसका नà¥à¤•à¥€à¤²à¤¾ सिरा आलू के दूसरी ओर निकल आये।
दोनों सà¥à¤‡à¤¯à¤¾à¤‚ अपनी-अपनी जगह पर जमी हैं और इनसे होते हà¥à¤ धागे के दोनों सिरों में à¤à¤• गांठइस तरह लगनी है ताकि आलू वाली सà¥à¤ˆ नीचे बिछे नमक को मामूली सी छूती à¤à¤° रह सके।
इस तरह तैयारी तो हो गई। अब आलू वाले इस पेंडà¥à¤²à¤® को हलà¥à¤•à¥‡ से हिला दो। देखो सà¥à¤ˆ नमक पर à¤à¤• सीधा निशान बनती हà¥à¤ˆ इधर-उधर आ जा रही है या नहीं।
अब पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ को धीरे-धीरे लगà¤à¤— à¤à¤• ही गति से घà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥‡ की कोशिश करें। आलू वाली सà¥à¤ˆ हिलते हà¥à¤ पेंडà¥à¤²à¤® की तरह नमक की सतह पर लगातार नये निशान बनाà¤à¤—ी।
यह पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— सिदà¥à¤§ करता है कि पेंडà¥à¤²à¤® हमेशा à¤à¤• ही तल(पà¥à¤²à¥‡à¤¨) में डोलता रहता है और इस पर पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ के घà¥à¤®à¤¨à¥‡ का कोई पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ नहीं पड़ता। अतः इस पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— से यह सिदà¥à¤§ होता है की पृथà¥à¤µà¥€ अपनी धà¥à¤°à¥€ पर घà¥à¤®à¤¤à¥€ है।
―साà¤à¤¾à¤°:-“आओ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ करके सीखेंâ€