पंछी अपने-अपने घोंसलों में दà¥à¤¬à¤•à¥‡ हà¥à¤, कà¥à¤› अलसायी, रंगीन नावें अब तक किनारों के दामन से लिपटी हà¥à¤ˆà¤‚ । वाहनों की चिलà¥à¤²à¤ªà¥‹à¤‚, सड़कों पर आवाजाही में à¤à¥€ थोड़ा वक़à¥à¤¤ है अà¤à¥€ ! कà¥à¤› ही पलों में ये नज़ारा बदल जाà¤à¤—ा । à¤à¥€à¤² से सटी उनॠबेंचों पर नठजोड़े à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤“ं में खो जाà¤à¤‚गे , कà¥à¤› पंछी चहचहाà¤à¤‚गे, कोई बचà¥à¤šà¤¾ अपने माता-पिता से बोटिंग की ज़िद में पैर पटकता हà¥à¤† वहीठफ़ैल जायेगा और कà¥à¤› किनारे संग चà¥à¤ªà¤šà¤¾à¤ª घिसटते चले जाà¤à¤‚गे। कोई मायूस चेहरा लिठगà¥à¤¸à¥à¤¸à¥‡ में à¤à¤• पतà¥à¤¥à¤° इसी à¤à¥€à¤² के सीने पे दे मारेगा और फिर अपनी पलकों से à¤à¤• मोती इसमें हौले-से गिरा देगा, अचानक ही वो पानी में बनते हà¥à¤ गोलों को गिनने में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ हो , अपने मन को à¤à¥‚ठी तसलà¥à¤²à¥€ देने लगेगा।
धà¥à¤‚आठबस बिखरने को है , ज़िनà¥à¤¦à¤—ी निखरने को है..... कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न तब तक चà¥à¤ªà¤•à¥‡ से à¤à¤¾à¤à¤• लूठमैं मन के अंदर और देख लूठइस पारदरà¥à¤¶à¥€ दरà¥à¤ªà¤£ में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¿à¤®à¥à¤¬ मेरा। à¤à¤• बादल ने दूसरे से कहा और दोनों ठिलठिलाकर हंस दिठ!
* उदयपà¥à¤° की à¤à¤• खà¥à¤¶à¤¨à¥à¤®à¤¾ सà¥à¤¬à¤¹ ,फतेहसागर लेक पर !