“नमन को पहाड़ी पर बाà¤à¤¸à¥à¤°à¥€ बजाते देख à¤à¥‹à¤šà¤•à¥à¤•à¥€ सी रह गयी माया | “ये कब आया शहर से, मà¥à¤à¥‡ तो पता ही नहीं चला..|” माया मन ही मन सोच रही थी कि बांसà¥à¤°à¥€ की मीठी धà¥à¤¨ ने उसे समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ सा कर दिया |..सारे गिले –शिकवे à¤à¥à¤²à¤¾ कर उसके पास ही बैठगयी....नमन को à¤à¤•à¤Ÿà¤• निहारने लगी |नमन पूरी तरह से खोया था बाà¤à¤¸à¥à¤°à¥€ बजाने में ...उसे मालूम ही नहीं चला कि कब माया आयी ? माया मन ही मन बà¥à¤¦à¤¬à¥à¤¦à¤¾à¤¨à¥‡ लगी “ ..शायद वह मà¥à¤à¥‡à¤…चानक यह ख़à¥à¤¶à¥€ देना चाहता होगा ! आज तो à¤à¤—वान ने मेरी सà¥à¤¨ ली ...सà¥à¤¬à¤¹- सà¥à¤¬à¤¹ नमन नज़र आगया ..कितनी मधà¥à¤° यादें जà¥à¥œà¥€ हà¥à¤ˆ हैं मेरी , इस पहाड़ी से ..सोचकर ही वह मà¥à¤¸à¥à¤•à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ लगी चेहरा सà¥à¤°à¥à¤– की गà¥à¤²à¤¾à¤¬ की तरह खिल गया.| इन दोनों की सगाई बचपन में ही तय कर दी गयी थी | नमन आगे की पढाई करने शहर चला गया | सब कà¥à¤› अचà¥à¤›à¤¾ ही चल रहा था लेकिन कà¥à¤› महीनों से नमन के माता- पिता का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° अजीब सा हो गया था ...सीधे मà¥à¤à¤¹ बात ही नहीं करते थे |
तà¤à¥€ अचानक नमन की आà¤à¤–ें खà¥à¤²à¥€ | “ माया तà¥à¤® यहाठ! तà¥à¤® कब आई मà¥à¤à¥‡ तो पता ही नहीं चला ?" बस कà¥à¤› पल ही हà¥à¤ ..मगर तà¥à¤® शहर से कब आठ.. ? .मà¥à¤à¥‡ काकी ने à¤à¥€ नहीं बतलाया..चलो कोई बात नहीं तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ आने से मैं बहà¥à¤¤ खà¥à¤¶ हूठ..|” माया ने चहकते हà¥à¤ कहा | हरीश चà¥à¤ª ही था ..|“अरे कà¥à¤› बोलो तो ..मेरे मिटà¥à¤Ÿà¥€ के माधो ! माया ने जोर से कहा | हरीश ने चà¥à¤ªà¥à¤ªà¥€ तोड़ने की कोशिश की ..उसके होंठखà¥à¤²à¤¨à¥‡ ही वाले थे कि à¤à¤• आवाज़ ने बीच में खलल डाल दिया ..|
“ओहो नमन ! आर यू हेअर ? मैंने तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ कहाठ-कहाठनहीं ढूंढा हरीश ! ... आंटीजी ने तो कहा था कि तà¥à¤® मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• पल के लिठà¤à¥€ नही अकेला नहीं छोड़ोगे .! उलाहना सा देती हà¥à¤ˆ वह लड़की बोली | दिखने में बेहद ही खूबसूरत ....शहरी परिधान पहनकर बड़ी ही दिलकश नज़र आ रही थी | “नहीं à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं है ऋचा...बस थोड़ी देर इस पहाड़ी पर आकर बहक सा गया था ...पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ यादें इतनी जलà¥à¤¦à¥€ पीछा नहीं छोडती हैं .. थोड़ा तो समय लगेगा ही ..माया की तरफ कनखियों से देखते हà¥à¤ नमन बोला |
“माया आज मैं तà¥à¤®à¤¸à¥‡ à¤à¤• आवशà¥à¤¯à¤• बात करना चाहता हूठ, मेरा और तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ साथ तो केवल à¤à¤• बचपना à¤à¤° था, ये मेरी फà¥à¤°à¥‡à¤‚ड ऋचा है ,हम à¤à¤• साथ ही पà¥à¤¤à¥‡ हैं ,मेरी और तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ जोड़ी परफेकà¥à¤Ÿ नहीं है ...घरवालों की नासमà¤à¥€ की सज़ा में जिंदगी à¤à¤° के लिठनहीं काट सकता .. à¤à¤• सलाह देता हूठ.तà¥à¤® à¤à¥€ अपने लिठकोई योगà¥à¤¯ जीवनसाथी चà¥à¤¨ लेना .....|” साफ़ और तीखे शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में हरीश ने अपने दिल की बात कह दी ..| हरीश के नीम से à¤à¥€ अधिक कड़वे वचनों को सà¥à¤¨à¤•à¤° माया हतपà¥à¤°à¤ सी रह गयी......उसके पैरों तले तो जमीन ही खिसक गयी | न जाने नमन ने उसे किस कà¥à¤¸à¥‚र की सजा दे डाली | तà¤à¥€ हरीश जाने के लिठमà¥à¥œà¤¾ ..और उसने हाथ में पकड़ी हà¥à¤ˆ बाà¤à¤¸à¥à¤°à¥€ को पहाड़ी के नीचे फेंक दिया .|