वीराना चारों तरफ
चीखता à¤à¤•à¤¾à¤‚त मेरे à¤à¥€à¤¤à¤°
इमारतों को छूते विमान
और
इनका असहनीय शोर
खो जाता à¤à¥€à¤¤à¤°
चीखते सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¥‡ में
यहाठकी सड़कें
इमारतें,
वृकà¥à¤· और इनके पतà¥à¤¤à¥‡
सब खामोश हैं
और यदि कोई चीखता है
तो वह है मेरा अपना मन।
महज़
इन तीन अकà¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ के लिà¤
गà¤à¤µà¤¾ रहा हूà¤
जीवन के करोड़ों खूबसूरत पल
अपने लमà¥à¤¬à¥‡ से इंतजार में
इस खामोश संसार में।
वेदना, वà¥à¤¯à¤¥à¤¾ यहाठमितà¥à¤° हैं à¤à¤²à¥‡
किनà¥à¤¤à¥ संपà¥à¤°à¥‡à¤·à¤£ हेतà¥
सिवाठतनà¥à¤¹à¤¾à¤ˆ के
यहाठकà¥à¤› नहीं।
यहाठनज़रे
सड़कों में नहीं धंस जाती है
और न ही
खूबसूरत
गहन बूटों में उलठपाती है
कà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ में
असंखà¥à¤¯ कोस पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ वाला
गतिशील मन
हो चà¥à¤•à¤¾ है जड़
अà¤à¥€ तक है वहीं पर
जहाठथे हम à¤à¤• साथ
अंतिम बार।
शिराà¤à¤‚ ढीली हो रही हैं
इस à¤à¤•à¤¾à¤‚त से
आà¤à¤–ें गीली हो रही हैं
मानसिक सà¥à¤–द पलों के
खोठहà¥à¤ वृतांत से।
कà¥à¤·à¤£à¤à¤° में
पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤² जलने वाला तन
आज बेसà¥à¤§ है खà¥à¤¦ ही से
पà¥à¤°à¤šà¤£à¥à¤¡ जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾à¤“ं की लपटें
उठती तो आज à¤à¥€ है मगर
वो आनंद अब न रहा
अब इनका अरà¥à¤¥ बदल गया है।
यहाठका अनà¥à¤¨
मन सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं करता
महज़
चंद सà¥à¤–द सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से à¤à¤°à¥‡ पल से
यह पà¥à¤¯à¤¾à¤° करता है।
यहाठकी रौशनी
सब पाना चाहते हैं
मगर
इसके à¤à¥€à¤¤à¤° की अंधियारी खामोशी
मैं जानता हूà¤à¥¤
माà¤,
सिरà¥à¤« इन तीन अकà¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ से जà¥à¤¡à¤¼à¤¨à¥‡ के लिà¤
मà¥à¤ संग तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ à¤à¥€
यहाठका à¤à¤•à¤¾à¤‚त सहना होगा।