“यह à¤à¤¸à¤¾ चमतà¥à¤•à¤¾à¤°à¥€ आविषà¥à¤•à¤¾à¤° है जो लोगों के जीने का तरीका बदल देगा।† -समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ पेदà¥à¤°à¥‹
     उकà¥à¤¤ कथन à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ आविषà¥à¤•à¤¾à¤° के लिठथा, जो समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ मानव जाति को à¤à¤• सूतà¥à¤° में बाà¤à¤§à¥‡ रखने की कà¥à¤µà¥à¤µà¤¤ रखता है। जी हाà¤,  यहाठ हम गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤® बेल दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आविषà¥à¤•à¥ƒà¤¤ यंतà¥à¤° टेलीफोन की बात कर रहे हैं, जो किसी ईशà¥à¤µà¤°à¥€ चमतà¥à¤•à¤¾à¤° से कम न था। उस समय अखबारों में à¤à¥€ इसे यà¥à¤— का सबसे उपयोगी और महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ आविषà¥à¤•à¤¾à¤°Â बताया गया था। गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤® ने कà¤à¥€ सोचा à¤à¥€ नहीं होगा कि उनका यह आविषà¥à¤•à¤¾à¤° आगे चलकर कैसा वृहतॠरूप ले लेगा।
    संदेश संपà¥à¤°à¥‡à¤·à¤£ मानव जीवन की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤®à¥ आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ रही है। सà¥à¤µà¤§à¥à¤µà¤¨à¤¿ से लेकर कबूतर‚ कागज और कलम तक संदेशों के संपà¥à¤°à¥‡à¤·à¤£ माधà¥à¤¯à¤®à¥‹à¤‚ के तौर पर पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ किये जाते रहे हैं। यूठतो  वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में फोन, मोबाइल और इनà¥à¤Ÿà¤°à¤¨à¥‡à¤Ÿ  हमारी  पà¥à¤°à¤¥à¤®  आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾Â बन चà¥à¤•à¥€ है, इसके बिना जीवन की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ करना à¤à¥€ मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² हो गया है। चाहे हमारा वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त जीवन हो या हमारा पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¶à¤¨, दूरसंचार के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को नकारा नहीं जा सकता है। आज दूरसंचार की पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¥€à¤²à¤¤à¤¾ जीवन के समसà¥à¤¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में गहनता तक पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर चà¥à¤•à¥€ है। कृषि‚ कला‚ शिलà¥à¤ªâ€š चिकितà¥à¤¸à¤¾ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ सब कà¥à¤› इसके आगोश में समाहित है।
     वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में दूसंचार का à¤à¤• नवीन रूप 'इनà¥à¤Ÿà¤°à¤¨à¥‡à¤Ÿ' हमारे विकासकà¥à¤°à¤® को गतिशील बनाने में अहमॠà¤à¥‚मिका निà¤à¤¾ रही है।  तरंगों के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤œà¤¾à¤² (internet) ने सूचना à¤à¤µà¤‚ संदेशों के संपà¥à¤°à¥‡à¤·à¤£ को तà¥à¤µà¤°à¤¿à¤¤ à¤à¤µà¤‚ दà¥à¤°à¥à¤¤à¤—ामी बना दिया है। इसके बदौलत कई देशों की अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¤: à¤à¤µà¤‚ अपरोकà¥à¤· दोनों ही तरीकों से लाठपहà¥à¤à¤šà¤¾à¥¤ जिसमें à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश का उदाहरण à¤à¤• जà¥à¤µà¤²à¤‚त उदाहरण है।
      'दूरसंचार कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿' ने ई-शापिंग‚ बैंकिग à¤à¤µà¤‚ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ विनिमय की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं को बदलकर रख दिया। यहाठतक की जिस वेब मैग़जीन को आप पढ़ रहे हैं वह à¤à¥€ इसी कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ की देन है। आज इनà¥à¤Ÿà¤°à¤¨à¥‡à¤Ÿ अलादीन के चिराग की तरह हो गया है, 'जो हà¥à¤•à¥à¤® मेरे आका' कहते हà¥à¤ ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥à¤ª पल à¤à¤° में ही परिणाम पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ कर देता है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ जैसे विकासशील देश ने इसके बदौलत विशà¥à¤µ में अपनी विशेष शाख बना ली है।Â
     इस कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति को दिवस के रूप में मनाने की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ 17 मई, 1865 में शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ थी, लेकिन आधà¥à¤¨à¤¿à¤• समय में इसकी शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ 1969 में हà¥à¤ˆà¥¤ तà¤à¥€ से पूरे विशà¥à¤µ में पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤· 17 मई को विशà¥à¤µ दूरसंचार दिवस मनाया जाता है। साथ ही नवमà¥à¤¬à¤°, 2006 में टरà¥à¤•à¥€ में आयोजित पूरà¥à¤£à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ कांफà¥à¤°à¥‡à¤‚स में यह निरà¥à¤£à¤¯ लिया गया था कि इसी दिन सूचना à¤à¤µà¤‚ सोसाइटी दिवस à¤à¥€ मनाया जाà¤à¤—ा।
    इस दिवस के मनाने के पीछे का मà¥à¤–à¥à¤¯ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯, जन मानस में दूरसंचार के उपयोग व दà¥à¤°à¥‚पयोग के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जागरूकता लाना है। खैर! दिवस मनाने के पीछे का कारण जो à¤à¥€ हो, किनà¥à¤¤à¥ इस बात से इनà¥à¤•à¤¾à¤° नहीं किया जा सकता कि जहाठइस कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ ने लोगों की जीवन दशा को उनà¥à¤¨à¤¤ किया है, वहीं इसके दà¥à¤°à¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— à¤à¤µà¤‚ सामाजिक ढाà¤à¤šà¥‡ पर हो रहे निरंतर पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° ने इसकी à¤à¥‚मिका पर à¤à¤• पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¤µà¤¾à¤šà¤• चिनà¥à¤¹ à¤à¥€ खड़ा कर दिया है।Â
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