1पà¥à¤°:- कोयले की खदानों में काम करने वाले लोग गैस मासà¥à¤• में सकà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¿à¤¤ चारकोल का उपयोग करते हैं, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?
उतà¥à¤¤à¤°:- सकà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¿à¤¤ चारकोल में विषैली गैसें जैसे― कारà¥à¤¬à¤¨-मोनोऑकà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤¡, मीथेन आदि को अधिशोषित करने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ होती है। इसलिठइसका उपयोग कोयले की खदानों में काम करने वाले लोग गैस मासà¥à¤• में करते हैं।
2पà¥à¤°:- मिटà¥à¤Ÿà¥€ के कण यà¥à¤•à¥à¤¤ गंदे पानी (muddy water) को शà¥à¤¦à¥à¤§ करने के लिठउसमें फिटकरी डाल दी जाती है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?
उतà¥à¤¤à¤°:- गंदे पानी में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ मिटà¥à¤Ÿà¥€ के कण ऋण आवेशित कोलाइडी कण होते हैं। फिटकरी में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ Al3+ आयन इन कोलाइडी कणों के ऋण आवेश को उदासीन कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤•à¤¨à¥à¤¦à¤¿à¤¤ कर देता है और वे पातà¥à¤° की तली में जमा हो जाता है।
3पà¥à¤°:- नदियों के समà¥à¤¦à¥à¤° में मिलने पर डेलà¥à¤Ÿà¤¾ बनता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?
उतà¥à¤¤à¤°:- नदियों के जल में मिटà¥à¤Ÿà¥€ के ऋण आवेशित कण होते हैं जो समà¥à¤¦à¥à¤° के जल में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सोडियम, पोटैशियम, मैगà¥à¤¨à¥€à¤¶à¤¿à¤¯à¤® आयनों से सà¥à¤•à¤¨à¥à¤¦à¤¿à¤¤ हो जाते हैं, जिससे डेलà¥à¤Ÿà¤¾ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होता है।
4पà¥à¤°:- नाइटà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨ बहà¥à¤¤ कम कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¶à¥€à¤² होता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?
उतà¥à¤¤à¤°:- नाइटà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨ अणॠके दोनों N परमाणॠके मधà¥à¤¯ तà¥à¤°à¤¿à¤• (triple) बनà¥à¤§ होता है जिसमें à¤à¤• सिगà¥à¤®à¤¾ तथा à¤à¤• पाई (π) बनà¥à¤§ होता है। इस अणॠकी बंध वियोजन ऊरà¥à¤œà¤¾ (Bond-dissociation energy) बहà¥à¤¤ अधिक होती है। इस कारण से नाइटà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨ अणॠकी कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¶à¥€à¤²à¤¤à¤¾ बहà¥à¤¤ कम है।
5पà¥à¤°:- कà¥à¤¯à¤¾ हाइडà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨ बम में केवल नाà¤à¤¿à¤•à¥€à¤¯ संलयन होता है?कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?
उतà¥à¤¤à¤°:- हाइडà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨ बम, नाà¤à¤¿à¤•à¥€à¤¯ संलयन पर आधारित होता है, परनà¥à¤¤à¥ इन अà¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं हेतॠअतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• उचà¥à¤š ताप की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है। अतः हाइडà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨ बम के केंदà¥à¤° में नाà¤à¤¿à¤•à¥€à¤¯ विखणà¥à¤¡à¤¨ अà¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥€ होती है।