अदभुत् मछलियाँ

यहाँ हम आपको कुछ ऐसी मछलियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सामान्य मछलियों से किसी न किसी रूप में भिन्न हैं, जैसे ―

 

मछली जो तैर नहीं सकती

   à¤«à¤¿à¤¸à¥ˆà¤²à¤¿à¤¯à¤¾ नाम की एक जैली फिश है, जो पानी में तैर नहीं सकती है। यह मछली पानी पर बहती रहती है। इसका शरीर खोखला और जैली की तरह नरम होता है। इसके पेट से धागे की  à¤¤à¤°à¤¹ रस्सियाँ लटकती रहती हैं, जिन्हें कासलमूल कहते हैं। इन रस्सियों की लम्बाई 60 फुट तक होती है, इन्हीं की सहायता से यह अपना शिकार पकड़कर अपने पेट में डाल लेती है। इस मछली के बिच्छू जैसे डंक भी होते हैं। इसके श्वसनागूलों के नीचे एक छोटी मछली भी रहती है  à¤œà¤¿à¤¸à¥‡ इसके डंकों से कोई भी नुकसान नहीं होता। यही मछली अपने से छोटी मछलियों को पकड़कर इसको खिलाती है और जू  à¤…धपचा भोजन इस मछली के मुँह से निकलता है, उसे खाकर ही यह छोटी मछली अपना पेट भरती है।

 

ऐंगलर फिश या प्रकाश वाली मछली

     à¤¸à¤®à¥à¤¦à¥à¤° में लगभग एक किलोमीटर की गहराई में कुछ ऐसे जीव-जन्तु मिलते हैं जिनके शरीर से प्रकाश पैदा होता है, ऐंगलर मछली उनमें से एक है। ये मछलियाँ समुद्र के बहुत गहराई वाले हिस्से में रहती हैं। इनके प्रकाश को देखकर छोटी-छोटी मछलियाँ इनके निकट आकर स्वयं ही इनका शिकार बन जाती हैं।

    ऐंगलर मछलियों में 'गूजफिश' नामक मछली सबसे ज्यादा बड़ी होती है। इसकी लम्बाई सवा मीटर और वजन 35 किलोग्राम होता है। ऐंगलर मछली अपना शिकार पकड़ने के लिए 'फिशिंग रॉड' का प्रयोग करती है, जो इसके अंग का एक भाग है और इसके मुँह से जुड़ा होता है।  à¤¯à¤¹ रॉड तन्तुओं की तरह होता है  à¤œà¤¿à¤¸à¤•à¥‡ सिरों पर प्रकाश उत्पन्न करने वाले बल्ब जैसे उपकरण होते हैं, जो अँधेरे में चमककर प्रकाश पैदा करते हैं।

 

उड़ने वाली मछली

    यह मछली पहले पानी की सतह पर लगभग 65 किलोमीटर की रफ्तार से तैरती है। फिर यह मछली अपने अगले फिन्स फैला लेती है और हवा में उड़ना शुरू कर देती है। जब यह उड़ान भर रही होती है तो इसके फिन्स इसकी मांसपेशियों की सहायता से मजबूती से फैले रहते हैं। जैसे ही यह पानी पर उतरती है, इसके फिन्स सिकुड़कर अपनी पहले जैसी स्थिति में आ जाते हैं।

     à¤¸à¤¬à¤¸à¥‡ बड़ी उड़ने वाली मछली लगभग 45 सेंटीमीटर लम्बी होती है, और इसके चार पंख होते हैं। यह मछली कैलिफोर्निया के तटों पर पायी जाती है। उड़ने वाली मछलियों की लम्बाई 5 से 45 सेंटीमीटर तक होती है। कभी-कभी ये मछलियाँ उड़ते-उड़ते पानी की लहरों से टकरा जाती हैं। लहरों के टकराने से इन्हें अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है और ये ज्यादा दूर तक तैर सकती हैं। यह मछलियाँ हवा में काफी ऊँचाई पर उड़ती हैं और ये आधे मिनट से भी ज्यादा समय तक हवा में उड़ती रहती हैं।

 

शार्क मछली

    शार्क मछली अपने आकार के कारण सभी मछलियों में सबसे बड़ी है। इसकी लम्बाई 40 फुट तक हो सकती है। यह खारे पानी में रहने वाली मछली है। यह सबसे तेज तैराक है। यह पानी की धारा के विरुद्ध भी बड़ी तेजी से तैरती है। 

     à¤¶à¤¾à¤°à¥à¤• के शरीर का ढाँचा हड्डियों के बजाय उपस्थियों से बना होता है। शार्क बड़ी मुश्किल से पकड़ में आती है क्योंकि यह मुकाबला करने के लिए तैयार रहती है।

    व्हेल शार्क संसार की सबसे बड़ी समुद्री मछली है। यह हिन्द महासागर, प्रशांत और अटलांटिक के गर्म क्षेत्रों में पाई जाती है। अन्य मछलियाँ तो अंडे देती हैं, लेकिन शार्क मछली बच्चों को जन्म देती है।

 

इलैक्ट्रिक ईल

     à¤‡à¤²à¥ˆà¤•à¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤• ईल ऐसी मछली है, जो 600 वोल्ट या उससे अधिक शक्ति के झटके मारती है। यह झटका इतना शक्तिशाली होता है कि इससे एक खच्चर या एक व्यक्ति आसानी से गिर सकता है। यह ईल मछली 'बिजली' अपने शरीर के अन्दर ही उत्पन्न करती है।


लेखक परिचय :
मनोज कुमार सैनी
फो.नं. -9785984283
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