मेरे तन को वसन नही‚
अमà¥à¤¬à¤° साया बन जाता है।
धरती के पावन आà¤à¤šà¤² की‚
ममता निधि लà¥à¤Ÿ जाता है।
जब हो जाये रात अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥€‚
तारे चाà¤à¤¦ दीपà¥à¤¤ चमकते हैं।
जागà¥à¤°à¤¤ की कà¥à¤› बात तà¥à¤šà¥à¤›‚
वो तो à¤à¤° रात टहलते हैं।
हम कितने नादान सही‚
पाकर à¤à¥€ खोते चलते हैं।
दूजे को बढ़ते हà¤à¤¸à¤¤à¥‡ हम‚
अपना ही हाथ मसलते हैं।
जी करता है हà¤à¤¸ लूठथोड़ा‚
सब दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ मà¥à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤¤à¥€ है।
धरती-गगन मिलते हैं दो‚
बादल रिमà¤à¤¿à¤® बरसते हैं।
ये नदियाठगहरे सागर‚
जीवन-पथ मेरे बहते हैं।
बूà¤à¤¦-बूà¤à¤¦ आà¤à¤¸à¥‚ के जल से‚
यौवन सागर ये à¤à¤°à¤¤à¥‡ हैं।
अधर छलकते मदिरा ले‚
मà¥à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤¤à¥€ माया की रेखा।
इन नादानों को‚ करीब से‚
जीवन पथ पर नंगा देखा।