à¤à¤• किसान की अपने पड़ोसी से खूब जमकर लड़ाई हà¥à¤ˆà¥¤à¤¬à¤¾à¤¦ में जब उसे अपनी गलती का अहसास हà¥à¤† तो उसे खà¥à¤¦ पर शरà¥à¤® आई। वह इतना शरà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤° हà¥à¤† की à¤à¤• साधॠके पास पहà¥à¤‚चा और पूछा , 'मैं अपनी गलती का पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ करना चाहता हूà¤à¥¤' साधॠने कहा, 'पंखों से à¤à¤°à¤¾ à¤à¤• थैला लाओ और उसे शहर के बीचों -बीच उड़ा दो ।'किसान ने ठीक वैसा ही किया ,जैसा की साधॠने उससे कहा था।
लौटने पर साधॠने उससे कहा ,'अब जाओ और जितने à¤à¥€ पंख उड़े है,उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बटोर कर थैले में à¤à¤° लाओ। नादान किसान जब वैसा करने पहà¥à¤‚चा तो उसे मालूम हà¥à¤† की यह काम मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² नहीं बलà¥à¤•à¤¿ असंà¤à¤µ है।खैर ,खाली थैला ले वह वापस साधॠके पास आ गया ।
यह देख साधॠने उससे कहा , 'à¤à¤¸à¤¾ ही मà¥à¤‚ह से निकले शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ के साथ à¤à¥€ होता है ।' इसलिठहमेशा अपने शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को तौल कर बोलें।