यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ अनà¥à¤¯ यà¥à¤—ों की à¤à¤¾à¤à¤¤à¤¿ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿-काल में à¤à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿-कावà¥à¤¯ के साथ-साथ अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की रचनाà¤à¤ होती रहीं, तथापि पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¤°à¤• रचनाओं की ही रही। इसलिठà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ की पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ के कारण चौदहवीं शती के मधà¥à¤¯ से लेकर सतà¥à¤°à¤¹à¤µà¥€à¤‚ शती के मधà¥à¤¯ तक के काल को 'à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿-काल' कहना सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ है।
à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤² समà¥à¤µà¤¤ 1375 से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहोकर समà¥à¤µà¤¤ 1700 तक समापà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ वीरगाथाकाल की यà¥à¤¦à¥à¤§ विà¤à¥€à¤·à¤¿à¤•à¤¾ से तà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ मानव हृदय शांति की खोज में à¤à¤Ÿà¤•à¤¨à¥‡ लगा। लगातार मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® शासकों के आकà¥à¤°à¤®à¤£ के कारण देशी राजà¥à¤¯ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ पराà¤à¥‚त होती गई। जनता को कषà¥à¤Ÿ à¤à¤µà¤‚ विषम परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सामना करना पड़ा। मंदिरों में मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को तोड़ा गया, धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ जलाठगà¤à¥¤ à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में जनता के सामने à¤à¤—वान को पà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¨à¥‡ के अतिरिकà¥à¤¤ कोई अनà¥à¤¯ साधन न था। फलतः देश में ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ की लहर दौड़ने लगी। कबीर, तà¥à¤²à¤¸à¥€, सूर, मीरा, जायसी जैसे महान कवि हमें विरासत के रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤à¥¤
यदि à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤² को विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ किया जाठतो हमारे समकà¥à¤· दो पà¥à¤°à¤®à¥à¤– शाखा उà¤à¤° कर सामने आते हैं जो निमà¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से हैं:-
1:-निरà¥à¤—à¥à¤£ कावà¥à¤¯à¤§à¤¾à¤°à¤¾
(अ):-जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤®à¤¾à¤°à¥à¤—ी शाखा
(ब):-पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤®à¤¾à¤°à¥à¤—ी शाखा
2:- सगà¥à¤£ कावà¥à¤¯à¤§à¤¾à¤°à¤¾
(अ):-रामà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ शाखा
(ब):- कृषà¥à¤£à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ शाखा
à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ की इस शाखा में केवल जà¥à¤žà¤¾à¤¨-पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ निराकार बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® की उपासना की पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ है। इसमें पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤• कावà¥à¤¯ रचे गये। दोहा और पद आदि सà¥à¤«à¥à¤Ÿ छंदों का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— हà¥à¤† है। à¤à¤¾à¤·à¤¾ खिचड़ी à¤à¤µà¤‚ सधà¥à¤•à¥à¤•à¥œà¥€ है। पà¥à¤°à¤®à¥à¤– रस शांत रस है। इस काल के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कवि व उनकी रचनाà¤à¤ निमà¥à¤¨ हैं:-
पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कवि | रचनाà¤à¤ |
---|---|
कबीरदास | बीजक (साखी,सबद,रमैनी) |
दादू दयाल | साखी, पद |
रैदास | पद |
गà¥à¤°à¥ नानक | गà¥à¤°à¥ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ साहब में महला |
इस शाखा में पà¥à¤°à¥‡à¤®- पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ निराकार बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® की उपासना का पà¥à¤°à¤¾à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¯ था। इस काल में सूफी कवियों ने आतà¥à¤®à¤¾ को पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤® मानकर हिनà¥à¤¦à¥‚ पà¥à¤°à¥‡à¤® कहानियों का वरà¥à¤£à¤¨ किया है। हिनà¥à¤¦à¥‚-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® à¤à¤•à¤¤à¤¾ इस शाखा की पà¥à¤°à¤®à¥à¤–ता है।इस काल के सà¤à¥€
महाकावà¥à¤¯ पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤•à¤¥à¤¾à¤“ं पर आधारित हैं,जो शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ कसौटी पर खरे उतरते हैं। इस शाखा के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कवि व उनकी रचनाà¤à¤ निमà¥à¤¨ हैं:-
पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कवि | रचनाà¤à¤ |
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मालिक मोहमà¥à¤®à¤¦ जायसी | पदà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¤, अखरावट, आखरी कलाम |
कà¥à¤¤à¥à¤¬à¤¨ | मृगावती |
मंà¤à¤¨ | मधà¥à¤®à¤¾à¤²à¤¤à¥€ |
उसमान | चितà¥à¤°à¤¾à¤µà¤²à¥€ |
इस काल में à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® के सतà¥à¤¯, शील à¤à¤µà¤‚ सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ अवतार की उपासना की गयी है। इस काल में पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध à¤à¤µà¤‚ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤• दोनों पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की कावà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की रचना की गयी। इस काल में पà¥à¤°à¤®à¥à¤– रूप से दोनों अवधी और बà¥à¤°à¤œà¤à¤¾à¤·à¤¾ का उपयोग हà¥à¤† और कई छनà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में रचनाà¤à¤ हà¥à¤ˆà¥¤ इस काल के कावà¥à¤¯ में सà¤à¥€ रसों का समावेश हà¥à¤†, किनà¥à¤¤à¥ शांत और शà¥à¤°à¤‚गार पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ रस है। इस शाखा के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कवि व उनकी रचनाà¤à¤ निमà¥à¤¨ हैं:-
पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कवि | रचनाà¤à¤ |
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गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ | रामचरितमानस,विनयपतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ कवितावली, गीतावली |
नाà¤à¤¾à¤¦à¤¾à¤¸ | à¤à¤•à¥à¤¤à¤®à¤¾à¤² |
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ अगà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¸ | रामधà¥à¤¯à¤¾à¤¨ मंजरी |
रघà¥à¤°à¤¾à¤œ सिंह | राम सà¥à¤µà¤¯à¤‚वर |
इस शाखा के कवियों ने à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ की उपासना की है। इस शाखा में केवल मà¥à¤•à¥à¤¤à¤• कावà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की रचना हà¥à¤ˆà¥¤ कृषà¥à¤£ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के सà¤à¥€ पद बà¥à¤°à¤œà¤à¤¾à¤·à¤¾ की माधà¥à¤°à¥à¤¯ à¤à¤¾à¤µ से ओत-पà¥à¤°à¥‹à¤¤ है।इस शाखा के कवियों ने मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ 'पद' छंद में रचनाà¤à¤ की हैं। इस काल में कवि सूरदास ने वातà¥à¤¸à¤²à¥à¤¯ रस को चरमोतà¥à¤•à¤°à¥à¤· पर पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ इस शाखा के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कवि व उनकी रचनाà¤à¤ निमà¥à¤¨ हैं:-
पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कवि | रचनाà¤à¤ |
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सूरदास | सूरसागर, सूरसारावली, साहितà¥à¤¯ लहरी |
नंददास | पंचाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ |
कृषà¥à¤£à¤¦à¤¾à¤¸ | à¤à¥à¤°à¤®à¤°-गीत, पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¤à¤¤à¥à¤¤à¥à¤µ |
कà¥à¤®à¥à¤à¤¨à¤¦à¤¾à¤¸ | पद |
परमाननà¥à¤¦à¤¦à¤¾à¤¸ | धà¥à¤°à¤µà¤šà¤°à¤¿à¤¤, दानलीला |
चतà¥à¤°à¥à¤à¥à¤œà¤¦à¤¾à¤¸ | à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª, दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶-यश |
नरोतà¥à¤¤à¤®à¤¦à¤¾à¤¸ | सà¥à¤¦à¤¾à¤®à¤¾ चरित |
रहीम | दोहावली, सतसई |
रसखान | पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤µà¤¾à¤Ÿà¤¿à¤•à¤¾ |
मीरा | नरसी का माहरा, गीत गोविनà¥à¤¦ की टीका, पद |
à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤² की पà¥à¤°à¤®à¥à¤– विशेषताà¤à¤:-