आँसू

जिंदा है,
तो दिल भी धड़कता होगा?
आँखें हैं,
तो आँसू भी आते होगें?
फिर ऐसा क्या है,
कि
मैंने आज तक
उस इंसान को
रोते नहीं देखा?
न दिन, न रात में,
न सुबह, न शाम में,
दया आती है
उस इंसान पर
कि
क्यों
समाज ने उसे
मर्द
बना दिया?


लेखक परिचय :
पूजा प्रजापति
फो.नं. -
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