आम के पके फलों में विटामिन-ठकी मातà¥à¤°à¤¾ बड़ी पà¥à¤°à¤šà¥à¤° होती है। इसके अलावा पà¥à¤°à¤¤à¤¿ 100 गà¥à¤°à¤¾à¤® गà¥à¤¦à¥‡ में विटामिन बी -1 (थाà¤à¤®à¤¿à¤¨) 40 मिलीगà¥à¤°à¤¾à¤®, विटामिन बी-2 (राइबोफ़à¥à¤²à¥ˆà¤µà¤¿à¤¨) 50 और विटामिन सी-3 तथा नियासिन (निकोटिनिक à¤à¤¸à¤¿à¤¡) 0.3 मिलीगà¥à¤°à¤¾à¤® विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ होते हैं। इसमें ऊषà¥à¤®à¤¾-शकà¥à¤¤à¤¿ 50 कैलोरी पà¥à¤°à¤¤à¤¿ 100 गà¥à¤°à¤¾à¤® होती है। आम के फल में खनिज लवण à¤à¥€ परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ मातà¥à¤°à¤¾ में पाये जाते हैं।
आम की सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ किसà¥à¤® अलà¥à¤«à¤¾à¤¨à¥à¤œà¥‹ का फल पकने पर आकरà¥à¤·à¤• सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¥‡ पीले रंग का होता है, जबकि बमà¥à¤¬à¤ˆ हरा, फजरी और लंगड़ा आम का रंग हरा ही रह जाता है। फिर à¤à¥€ उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की आम की सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ किसà¥à¤® दशहरी तथा चौसा और बमà¥à¤¬à¤ˆ पीला किसà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फल à¤à¥€ पकने पर सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¥‡ पीले रंग के होते हैं जो बड़े ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° लगते हैं।
परनà¥à¤¤à¥ बà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¡ ऑफ रशा, सफà¥à¤¦à¤°à¤ªà¤¸à¤‚द, खासà¥à¤²à¤–ास हà¥à¤¸à¥à¤¨à¥‡à¤†à¤°à¤¾ आम की à¤à¤¸à¥€ किसà¥à¤®à¥‡à¤‚ हैं जिनके फल पकने पर सà¥à¤¨à¤¹à¤²à¥‡ पीले रंग के होते हà¥à¤ à¤à¥€ उनके आधार (डंठल) की ओर का à¤à¤¾à¤— सिंदूरी रंग का होता है। ये दोनों रंग à¤à¤•- साथ होने से आमों की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ में चार चाà¤à¤¦ लगा देते हैं। आम की इन किसà¥à¤®à¥‹à¤‚ में किसी का गूदा पीला, तो किसी का सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¤¾ पीला और किसी का नारंगी रंग होता है।
पके आम के कतरों की बोतलबंदी और डिबà¥à¤¬à¤¾à¤¬à¤‚दी की जाती है। इसके आलावा आम के गà¥à¤¦à¥‡ से सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ जैम, जैली, सà¥à¤•à¥à¤µà¥ˆà¤¶, अचार, टाफी व आमपापड़ जैसे खादà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥ बनाकर संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करते हैं। इस तरह इन उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— से बेमौसम आम के जायके का मज़ा मिलता है।
कचà¥à¤šà¥‡ आम की उपयोगिता अलग ही महतà¥à¤¤à¥à¤µ रखती है। इसमें विटामिन- सी की मातà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤šà¥à¤° होती है। कचà¥à¤šà¤¾ आम चटनी, अचार व मà¥à¤°à¤¬à¥à¤¬à¤¾ बनाने के लिठविशेष महतà¥à¤¤à¥à¤µ रखता है। आम को सिरके के साथ à¤à¥€ संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करते हैं। उबले या आग में à¤à¥à¤¨à¥‡ हà¥à¤ आम के गà¥à¤¦à¥‡ का 'पना' बनाने हैं। इसके पीने से लू नहीं लगती। कचà¥à¤šà¥‡ आम के फल को सà¥à¤–ाकर खटाई और कूटकर अमचूर बनाते हैं।
आम के फल मई से लेकर जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ मास तक पकते और खूब मिलते हैं। गौरजीत, बमà¥à¤¬à¤ˆ हरा, बमà¥à¤¬à¤ˆ पीला, बà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¡ ऑफ़ रशा और सफà¥à¤¦à¤°à¤ªà¤¸à¤‚द किसà¥à¤®à¥‡à¤‚ मई के महीने में पकती है। ये जलà¥à¤¦à¥€ पकने वाली किसà¥à¤®à¥‡à¤‚ कहलाती है। इनमें दशहरी, लंगड़ा, सफेदा, मलीहाबाद, लखनऊ सफेदा, रटोल, जरà¥à¤¦à¤¾à¤²à¥‚, खासà¥à¤²à¤–ास और हà¥à¤¸à¥à¤¨à¥‡à¤†à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– हैं। चौसा, फजरी, सीपिया देर से पकते हैं और फल जून के अंत से जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ तक मिलते हैं।
आम की जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° किसà¥à¤®à¥‡à¤‚ à¤à¤• साल फलती हैं और दूसरे साल नहीं फलतीं, या फलती à¤à¥€ है तो कम फलती है। परनà¥à¤¤à¥ अब आमà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤²à¥€ और मलà¥à¤²à¤¿à¤•à¤¾ आम की à¤à¤¸à¥€ नवीन किसà¥à¤®à¥‡à¤‚ विकसित की जा चà¥à¤•à¥€ हैं, जो हर साल फलती हैं। ये देर से मधà¥à¤¯ जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ में पकती हैं। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की आम की किसà¥à¤® नीलम à¤à¥€ हर साल फलती है। इसके फल जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ-अगसà¥à¤¤ में देर से पकती हैं।
आम के पौधों का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤£ à¤à¥‡à¤‚ट-कलम और वेनियर-कलम दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया जाता है। आम का नयास बाग बरसात के मौसम में जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ से सितमà¥à¤¬à¤° तक लगाना चाहिà¤à¥¤ चौसा, फजरी और लंगड़ा के कलमी बाग 12 मीटर और दशहरी के 10.50 मीटर की दूरी पर लगाना ठीक होता है। परनà¥à¤¤à¥ आमà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤²à¥€ के पौधों को केवल 3 मीटर की दà¥à¤°à¥€ पर लगा सकते हैं।