à¤à¤• है अपनी जमीं, à¤à¤• है अपना गगन,
à¤à¤• है अपना जहाà¤, à¤à¤• है अपना वतन।
अपने सà¤à¥€ सà¥à¤– à¤à¤• हैं, अपने सà¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤– à¤à¤• हैं,
आवाज़ दो, आवाज़ दो, हम à¤à¤• हैं, हम à¤à¤• हैं।
तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° यानि खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤ मनाने की à¤à¤• जीवनà¥à¤¤ इकाई। राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° हो या धारà¥à¤®à¤¿à¤•, सदैव अपने साथ अपार खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤ ही ले कर आता है। हमारा देश à¤à¤¾à¤°à¤¤, तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का देश कहलाता है। जहाठहर दिन हम किसी न किसी उतà¥à¤¸à¤µ को मनाने की तैयारियों में लगे रहते हैं।धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ की अनेकता के कारण हमारे देश में तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के à¤à¥€ अनेक रूप देखने को मिल जाते हैं। धारà¥à¤®à¤¿à¤• परà¥à¤µ, धरà¥à¤® विशेष होने के बावजूद à¤à¥€ हम à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ उसे मिलजà¥à¤² कर मानना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पसंद करते हैं। और à¤à¤¸à¥‡ में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ परà¥à¤µ की तो बात ही कà¥à¤¯à¤¾......।
गर याद हो आप को वो बचपन की कà¥à¤› बातें,तो जाने कà¥à¤¯à¥‹à¤‚, मà¥à¤à¥‡ à¤à¤¸à¤¾ लगता है कि हम सब का लड़कपन à¤à¤•-सा ही होगा। ओह! वो तैयारियाà¤à¥¤ बस ये सà¥à¤¨ लेना ही काफी था कि अमà¥à¤• दिन ये परà¥à¤µ है....फिर देख लो, चेहरे की ख़à¥à¤¶à¥€à¥¤
उस समय हमारे लिठतà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° का मतलब ही था―नये-नये कपड़े, अचà¥à¤›à¥€-अचà¥à¤›à¥€ मिठाइयाà¤, तरह-तरह के पकवान और मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के साथ खूब घूमना- फिरना। और यदि कोई राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ परà¥à¤µ हो तो पूछो ही मत...। जितने हरà¥à¤·à¥Œà¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ के साथ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ परà¥à¤µà¥‹à¤‚ को विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ जीवन में मनाया, वो उलà¥à¤²à¤¾à¤¸, उमंग अब देखने को नहीं मिलता। दो दिन पहले से ही कपड़ों की धà¥à¤²à¤¾à¤ˆ, जूते-जà¥à¤°à¤¾à¤¬à¥‹à¤‚ की सफाइयों में लग जाते थे। à¤à¤• रात पहले तो ख़à¥à¤¶à¥€ से नींद ही नहीं आती थी। सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦ उठकर फूलों की खोज में निकल पड़ते थे ताकि हम अपने धà¥à¤µà¤œ को सà¤à¤µà¤¾à¤° सकें।अपनी पूरी ताकत लगाकर ऊà¤à¤šà¥€-ऊà¤à¤šà¥€ आवाज़ों में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤—ान गाना , धà¥à¤µà¤œ को सलामी, परेड, नृतà¥à¤¯, गीत और वो अंत में मिषà¥à¤ ान वितरण।
अब हम काफी बड़े हो चà¥à¤•à¥‡ हैं। शरà¥à¤® आने लगी है। शायद अब हम आज़ादी का अरà¥à¤¥ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ही समà¤à¤¨à¥‡ लगे हैं। शारीरिक मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ हमें अधिक उनà¥à¤®à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ करता है जिस कारण हम à¤à¥à¤°à¤® वश कहीं न कहीं मानसिक मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ से वंचित रह जाते हैं। हम सब को पता है....सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ दिवस आने वाला है। मतलब किसी के लिठये छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ का à¤à¤• दिन, तो किसी के लिठमातà¥à¤° à¤à¤• रसà¥à¤®à¥¤ जिसे पूरा करने के लिये हमें मज़बूरी वश अपने अनà¥à¤¦à¤° आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ लानी ही पड़ेगी, ताकि हम यह कह सकें कि हम à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ हैं।लाहौर, 15 अगसà¥à¤¤ 1947, à¤à¤¾à¤°à¤¤ की आज़ादी का à¤à¤²à¤¾à¤¨à¥¤ और गाà¤à¤§à¥€ जी ने कहा―“नमà¥à¤° बनो। सतà¥à¤¤à¤¾ से सावधान रहो। सतà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿ कर देती है। याद रखो कि तà¥à¤® अपने पद पर गरीब à¤à¤¾à¤°à¤¤ के गाà¤à¤µà¥‹à¤‚ की सेवा करने के लिठहो।” शांति और सौहारà¥à¤¦à¥à¤° के इस पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ को à¤à¥€ अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की आहà¥à¤¤à¤¿ देनी पड़ी, ताकि देश में अमन और à¤à¤•à¤œà¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ कायम रह सके। सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ की गूंज, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ के सोच को आज़ाद नहीं करा पायी थीं, नतीजा गोडसे की गोलियाà¤, जिसने अपने उनà¥à¤®à¥à¤•à¥à¤¤ खà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥‹à¤‚ के पाट को कà¤à¥€ खोलने ही नहीं दिया। संकीरà¥à¤£ विचारों का दबदबा तब à¤à¥€ जोरों पर था और आज à¤à¥€ यूà¤à¤¹à¥€ घूà¤à¤˜à¤Ÿ लिये, संकà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤, हमारे दिल के किसी कोने में छà¥à¤ªà¤¾ बैठा है, फिर à¤à¥€ हमें गरà¥à¤µ है कि हम आज़ाद हैं। जाने कौन से हदों की आज़ादी...
कहीं आप ये न सोचने लगें कि उफ़! फिर वही पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥¤ जो होश सà¤à¤à¤¾à¤²à¤¨à¥‡ से लेकर अब तक कानों में ठूà¤à¤¸à¤¾ जा रहा है कि ― 'देश को आज़ाद करवाने में फलाà¤-फलाठदेशà¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ ने अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की आहà¥à¤¤à¤¿ दी, फलाठने ये किया......, फलाठने वो किया....। गर à¤à¤¸à¤¾ है तो इसमें कोई आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ वाली बात नहीं, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आज हर दूसरा इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ इसी सोच से गà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¤ लगता है।आज मानों जशà¥à¤¨-à¤-आज़ादी, खà¥à¤¦ को à¤à¤• सचà¥à¤šà¤¾ देशà¤à¤•à¥à¤¤ साबित करने की कवायद मातà¥à¤° रह गयी हो और हो à¤à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न। मानव, सदैव उस वसà¥à¤¤à¥ की अवहेलना करता आया है, जो उसे बिना किसी शà¥à¤°à¤® के ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाया करती है। ये तो उस 'पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦' के à¤à¤¾à¤‚ति है, जिसे हम किसी और की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ व शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ का फल समà¤,आपस में बाà¤à¤Ÿ लिया करते हैं, जो मातà¥à¤° हमारे लिठमौखिक सà¥à¤µà¤¾à¤¦ के अलावा और कà¥à¤› नहीं होता।
सिरà¥à¤« आलोचना करूà¤, à¤à¤¸à¤¾ मेरा कोई उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ नहीं है। कà¥à¤› बातें दिल की à¤à¥€ हों। आज़ादी को लेकर यà¥à¤µà¤¾à¤“ं की सोच में बस थोड़ी सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ आ जाये, फिर देखो....अपना à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥¤ बहà¥à¤¤ मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² से पायी है हमने अपनी आज़ादी, इसे संजो कर रखना, हर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है। चलो कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ करें कि शà¥à¤•à¥‚न मिल जाये उन रूहों को , जिसने हà¤à¤¸à¤¤à¥‡- हà¤à¤¸à¤¤à¥‡ हमारी आज़ादी के लिठअपनी जानें दे दीं। बस जरà¥à¤°à¤¤ है , à¤à¤• आवाज़ की जो मिल कर à¤à¤• साथ कहे― हम à¤à¤• हैं और हर हाल में हम à¤à¤• ही रहेंगे...........जयहिनà¥à¤¦!
―नसरीन बानो