à¤à¤• शिकà¥à¤·à¤¿à¤•à¤¾ के रूप में आज मैं जहाठपदसà¥à¤¥ हूà¤, वह छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—ढ़ राजà¥à¤¯ का à¤à¤• छोटा-सा गाà¤à¤µ है। शà¥à¤°à¥‚ से ही ‘गाà¤à¤µ’ शबà¥à¤¦ से मà¥à¤à¥‡ विशेष पà¥à¤°à¥‡à¤® रहा, कारण हो सकता है कि मà¥à¤à¥‡ कà¤à¥€ गाà¤à¤µ के वातावरण में रहने का मौका नहीं मिला था। गाà¤à¤µà¥‹à¤‚ में à¤à¤¾à¤°à¤¤ की आतà¥à¤®à¤¾ बसती है....à¤à¤¸à¤¾ सà¥à¤¨ रखा था, सो गाà¤à¤µ के विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में कारà¥à¤¯ करने के अनà¥à¤à¤µ से ही मन रोमांचित हो उठा था। और जब बात 'धान का कटोरा' कहलाने वाले राजà¥à¤¯ की हो तो कहना ही कà¥à¤¯à¤¾?
आदिवासी बहà¥à¤² राजà¥à¤¯ होने के कारण विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में इनकी संखà¥à¤¯à¤¾ अधिक होती है। किसी-किसी ककà¥à¤·à¤¾à¤“ं में तो पूरे के पूरे बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¤• ही वरà¥à¤— के हैं। यहाठके लोग सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ से सरल और à¤à¥‹à¤²à¥‡ हैं, à¤à¥‹à¤²à¥‡ इतने की आज à¤à¥€ कà¥à¤› सामानà¥à¤¯ बातों से à¤à¤¸à¥‡ अनà¤à¤¿à¤œà¥à¤ž हैं मानों उन बातों की जानकारी होना न होना à¤à¤• सी बात हो। देश विकास की ओर अगà¥à¤°à¤¸à¤° है और देश में हो रहे विकास को देखा à¤à¥€ जा सकता है, किनà¥à¤¤à¥ à¤à¤• कड़वा सच यह à¤à¥€ कि ऊपर की तरकà¥à¤•à¥€ à¤à¥€à¤¤à¤° से आज à¤à¥€ खोखलापन लिये हà¥à¤ है। विकास का वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° तो मलिन बसà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, गाà¤à¤µà¥‹à¤‚ और वनांचलों में जाने पर ही होता है।
मैं आपसे à¤à¤¸à¥€ दो घटनाओं का जिकà¥à¤° करना चाहती हूठजो है तो सामानà¥à¤¯ किनà¥à¤¤à¥ मà¥à¤à¥‡ सोचने पर मजबूर कर देती है कि कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की आतà¥à¤®à¤¾ कहे जाने वाले गाà¤à¤µ के नौनिहालों का विकास à¤à¤¸à¥‡ ही होगा या होता रहेगा। पहली घटना तब की है जब मैं कà¥à¤²à¤¾à¤¸ में पढ़ाने के बीच बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ से पूछ बैठी- ''कà¥à¤¯à¤¾ आप सिकà¥à¤– धरà¥à¤®à¤¾à¤µà¤²à¤®à¥à¤¬à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को जानते हैं? कà¥à¤¯à¤¾ आपने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखा है?'' जवाब आया- ''नहीं।'' उनका ये जवाब सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• ही था, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ये आवशà¥à¤¯à¤• तो नहीं कि देश की सà¤à¥€ जाति विशेष को हम पहचानें। बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ ने मà¥à¤à¤¸à¥‡ पूछा- ''वे दिखते कैसे हैं मैडम?'' मैंने कहा- आपने उनकी तसà¥à¤µà¥€à¤° नहीं देखी कà¥à¤¯à¤¾?......अरे! हमारे देश के पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ à¤à¥€ तो सिकà¥à¤– ही थे.....आपने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ टेलीविजन में नहीं देखा कà¥à¤¯à¤¾?टेलीविजन?.....अà¤à¥€ बिजली की उचित वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ ही कहाठहै? रेडियो में तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ नहीं दिखतीं न.....ओह! ....यहाठà¤à¤• बात मैं साफ करना चाहूà¤à¤—ी कि मेरा उदेशà¥à¤¯ देश की कमियाठगिनाने का नहीं है और न ही किसी राजà¥à¤¯ को पिछड़ा घोषित करने का है, बलà¥à¤•à¤¿ विडमà¥à¤¬à¤¨à¤¾ तो इस बात की है कि जहाठआज हम कà¥à¤› विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ में शिकà¥à¤·à¤£ कारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° के माधà¥à¤¯à¤® से करवा रहे हैं, ठीक वहीठकà¥à¤› किलोमीटर के अंतर में अà¤à¥€ à¤à¥€ रेडियो व तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‹à¤‚ से काम चलाना पड़ रहा है।
दूसरी घटना अà¤à¥€ हाल की है जब ककà¥à¤·à¤¾ नवमीं के बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का नामांकन फारà¥à¤® à¤à¤°à¤¾ जा रहा था। फारà¥à¤® à¤à¤°à¤¤à¥‡ समय जब हमारे सामने à¤à¤• समसà¥à¤¯à¤¾ आई तो मेरा कà¥à¤¯à¤¾ वहाठमौजूद सà¤à¥€ लोगों का दिमाग घà¥à¤® गया और हम सोचने पर विवश हो गठकि यहाठगलती किसकी है? हà¥à¤† यूठकि ककà¥à¤·à¤¾ नवमीं की दो लड़कियाठजिनके माता-पिता à¤à¤• ही हैं, किनà¥à¤¤à¥ दोनों के जनà¥à¤®à¤¤à¤¿à¤¥à¤¿ में मातà¥à¤° तेईस दोनों का अंतर पाया गया।.....अरे! à¤à¤¸à¤¾ कैसे? जबकि दोनों बहनें जà¥à¤¡à¤¼à¤µà¤¾à¤ à¤à¥€ नहीं थीं। बात की गहराई में जाने से पता चला कि वे दोनों बहनों ने ककà¥à¤·à¤¾ आठवीं तक अलग-अलग सà¥à¤•à¥‚लों में शिकà¥à¤·à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ की थी। à¤à¤• ने अपने माता-पिता के साथ रह कर और दूसरी ने अपने नाना-नानी के साथ रह कर पढ़ायी पूरी की। ककà¥à¤·à¤¾ पहली में दाखिले के वक़à¥à¤¤, शिकà¥à¤·à¤• दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जनà¥à¤®à¤¤à¤¿à¤¥à¤¿ पूछने पर अà¤à¤¿à¤à¤¾à¤µà¤• दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ जानकारी से ये सारी गड़बड़ी हà¥à¤ˆà¥¤ जब शिकà¥à¤·à¤• पूछता है- ''बचà¥à¤šà¥‡ की जनà¥à¤®à¤¤à¤¿à¤¥à¤¿ कà¥à¤¯à¤¾ है?'' तो अà¤à¤¿à¤à¤¾à¤µà¤• की ओर से बड़े ही रोचक उतà¥à¤¤à¤° मिलते हैं, जैसे- “à¤à¤•à¤° जनम रात मा होइस..... जनम समय बहà¥à¤¤à¥‡ बरखा होत रहिस...अउर इ बड़का बेटवा से ठही कोई पाà¤à¤š-छः बरस छोट होइस।”.....मतलब बचà¥à¤šà¥‡ का जनà¥à¤® रात के समय हà¥à¤† था, उस समय बारिश हो रही थी और ये बचà¥à¤šà¥€ बड़े लड़के से पाà¤à¤š-छः साल छोटी होगी।..... यानि अनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¤à¤ƒ बड़ा लड़का बारह वरà¥à¤· का है तो बचà¥à¤šà¥€ छः वरà¥à¤· की हà¥à¤ˆ और बारिश हो रही थी तो समà¥à¤à¤µà¤¤à¤ƒ महीना जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ या अगसà¥à¤¤ का ही रहा होगा।....तो लो जी हो गया जनà¥à¤® का पंजीकरण।
à¤à¤¸à¤¾ नहीं कि जनà¥à¤® और मृतà¥à¤¯à¥ का पंजीकरण शासन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नहीं हो रहा है। सारी जानकारियों का लेखा-जोखा रखा जाता है। यहाठकमी तो बस जागरूकता की है। जनà¥à¤® व मृतà¥à¤¯à¥ का पंजीकरण करवाना कितना अनिवारà¥à¤¯ है, इससे ये लोग अà¤à¥€ à¤à¥€ अनà¤à¤¿à¤œà¥à¤ž हैं। यह कहना गलत होगा कि à¤à¤¸à¤¾ सिरà¥à¤« इसी राजà¥à¤¯ के गाà¤à¤µà¥‹à¤‚ की हालत है, à¤à¤¸à¥‡ उदाहरण देश के हर गाà¤à¤µ में à¤à¤°à¥‡ पड़े हैं। अपनी ही धà¥à¤¨ में रमे रहने वालों को जागरूकता से कà¥à¤¯à¤¾ दरकार? ये जिमà¥à¤®à¥‡à¤µà¤¾à¤°à¥€ तो वो संà¤à¤¾à¤²à¥‡à¤‚ जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अकà¥à¤·à¤° जà¥à¤žà¤¾à¤¨ लिया हो।
शाइनिंग इंडिया के बीच जो कसमसाता विशाल à¤à¤¾à¤°à¤¤ है उसे विकसित टेकà¥à¤¨à¥‹à¤²à¥‹à¤œà¥€ का तमगा देकर खà¥à¤¶ तो कर दिया गया है, मगर देश की आतà¥à¤®à¤¾ पर पड़ी धूल की परतें अब à¤à¥€ जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बनी हà¥à¤ˆ है। दो जून रोटी की चाह रखने वालों का अंतस मन किसी नाद से अब à¤à¥€ à¤à¤‚कृत नहीं होता। आज à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ का à¤à¤• विशाल जनसमूह शाइनिंग इंडिया के परकोटे से बाहर खड़ा है। साधनों के दरà¥à¤ª से दमकता वरà¥à¤— आज à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की आतà¥à¤®à¤¾ कहे जाने वाले गाà¤à¤µà¥‹à¤‚ को संताप के सिवाय और कà¥à¤› देना नहीं चाहता। à¤à¤• देश में रह कर à¤à¥€ हम सब à¤à¤• दूसरे के लिठअजूबे बन कर रह गठहैं....चाहे अजूबे हम उनके लिठबन जायें या वो हमारे लिà¤.........सवाल तो हासà¥à¤¯ पूरà¥à¤£ तà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¦à¥€ का ही है।