मानव मन सदियों से जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾à¤“ं की खोज में रहा है। वह अननà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ की बौछारों से à¤à¥€à¤—ता रहा है,जो चिरंतन आज à¤à¥€ जारी है। वह हर जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ की संतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ को तलाशता रहा है। उसके हर समाधान में अतृपà¥à¤¤ रह जाने वाली तीकà¥à¤·à¥à¤£ मेदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤¨à¤ƒ नये मारà¥à¤—ो, नये समाधानों को तलाशती रहती है। सच है, समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का सागर और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के गगनमंडल का इस अखंड लोक में अनंत विसà¥à¤¤à¤¾à¤° है। इसी कड़ी में वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ परिदृशà¥à¤¯ में उà¤à¤° रही उलà¤à¤¨à¥‹à¤‚ और अदà¥à¤¯à¤¤à¤¨ संदरà¥à¤à¥‹ में उतà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ को रेखांकित करती यह वेब पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ 'जà¥à¤žà¤¾à¤¨-मंजरी' का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶à¤¾à¤‚क आपके समकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करते हà¥à¤ मैं अतà¥à¤¯à¤‚त हरà¥à¤·à¤¿à¤¤ हूà¤à¥¤
हिंदी पटल के आलोक को विसà¥à¤¤à¤¾à¤° देती, सामानà¥à¤¯ जानकारियों को रोचक à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤—मà¥à¤¯ शैली में गहन विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ करती परत-दर-परत तहों को खोलती और मसलों के मरà¥à¤® में पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥€, आपको à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ सफ़र पे ले चलेगी, जहाठजà¥à¤žà¤¾à¤¨ संचित करना, à¤à¤• रोचक अनà¥à¤à¤µ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करेगा। à¤à¤• पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ मेरे मन में à¤à¥€ था, इसके नाम को लेकर। बहà¥à¤¤ मंथन के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ 'जà¥à¤žà¤¾à¤¨-मंजरी' शबà¥à¤¦ दिल को à¤à¤¾ गया। और हो à¤à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पर किसी का à¤à¤•à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤° तो नहीं, यह तो अनंत सà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ से आता है और अनंत सà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ में समा जाता है।यह सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ करने के लिठपातà¥à¤° चà¥à¤¨à¤¤à¤¾ है। यह निरंतर संकलन,अà¤à¤¿à¤µà¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ और संगà¥à¤°à¤¹à¤£ से फैलता है और यही 'जà¥à¤žà¤¾à¤¨-मंजरी' की à¤à¥‚मिका का परिचायक है।
इसी सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में मैं शà¥à¤°à¥€ इमरान खान जी का हृदय से नमन व आà¤à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ करना चाहूà¤à¤—ी, जिनके सहयोग व साथ के बिना इस वेब पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¥€ नहीं की जा सकती थी। उनके पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ व हौसला अफजाई के बाद ही हमारा ये पहला कदम लकà¥à¤·à¥à¤¯ की ओर बॠपाया है। मैं सदा उनके सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ व पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ की आशा करती हूà¤à¥¤ 'जà¥à¤žà¤¾à¤¨-मंजरी' का यह पहला अंक उन बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है, जो जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सृजन के लिठसदैव जागृत रहते है। पहली पà¥à¤°à¤¤à¤¿ होने के कारण संà¤à¤µ है कि कà¥à¤› शेष रह गया हो।हमें आपकी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं का, आपके बहà¥à¤®à¥‚लà¥à¤¯ सà¥à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ का इंतजार रहेगा जो हमारे राह को आसान बनाà¤à¤—ा। इसी शà¥à¤à¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾ के साथ मैं मजरà¥à¤¹ सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤ªà¥à¤°à¥€ जी की इन पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को दोहराना चाहूà¤à¤—ी--
मैं अकेला ही चला था, जानिब-à¤-मंजिल मगर ,
लोग साथ आते गठऔर कारवाठबनता गया।
-नसरीन बानों