रात के गहन निविड़ में,
बेचैनी के वशीà¤à¥‚त,
अचानक,
शà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤¨ की à¤à¤• कबà¥à¤° के पास जाकर,
कà¥à¤› बà¥à¤¦à¤¬à¥à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾ हूठ,
उसे सहलाता हूठ,
पास रखी हà¥à¤ˆ कà¥à¤¦à¤¾à¤²,
उठता हूठ,
खोदना शà¥à¤°à¥‚ करता हूठ,
à¤à¥à¤°à¤à¥‚री मिटà¥à¤Ÿà¥€,
खà¥à¤¦ जाती है जलà¥à¤¦à¥€ ही,
पर,
नहीं मिलता मेरा सशकà¥à¤¤ मन,
दफ़न कर दिया गया था उसे,
तानाशाहों ने बनà¥à¤¦à¥à¤• के दम पर,
निठारी के नौनिहालों की तरह,
बलातà¥à¤•à¤¾à¤° और हतà¥à¤¯à¤¾ के बाद,
नहीं मिलती खोपड़ी, हडà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾à¤,
जà¥à¤µà¤²à¤‚त सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तो की,
विचार-नसों और आतों,
के लमà¥à¤¬à¥‡ रेशे,
जो मजबूत थे तांबे के मोटे तारों से,
जाने गल गठकैसे,
षडà¥à¤¯à¤‚तà¥à¤° है पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤•à¥‹à¤‚ का,
अवशà¥à¤¯ डाला है कोई,
तेज़ाब से à¤à¥€ à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤•,
रसायन,
षडà¥à¤¯à¤‚तà¥à¤° से वशीà¤à¥‚त होकर।
ताकि नामोनिशान ही मिट जाà¤,
सदा के लिà¤à¥¤
ताकि अंत हो जाà¤,
à¤à¤• यà¥à¤— का,
सदा के लिà¤à¥¤