निकला हूठजरा देर से,
मंजिल है अà¤à¥€ दूर।
तमनà¥à¤¨à¤¾ है मेरे दिल में,
तà¥à¤à¥‡ पाना है जरà¥à¤°à¥¤
आजमाइशों से न कà¤à¥€ डरा हूà¤,
न डरऊà¤à¤—ा।
सीखूà¤à¤—ा, ठजिंदगी! लड़ना,
मैं लड़ऊà¤à¤—ा।
सपना है वो महल,
जो है मेरे अपनों का,
हक़ीकत है उसे करना
न होने दूà¤à¤—ा उसे चूर।
निकला हूठजरा देर से,
मंजिल है अà¤à¥€ दूर।
गर खà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¶ है ऊंचाइयों की,
मैं चà¥à¤Šà¤à¤—ा।
गर तमनà¥à¤¨à¤¾ गहराइयों की,
मैं उतरूà¤à¤—ा।
गर उतार और चà¥à¤¾à¤µ,
है ये जिंदगी
तो जावेद है सदाबहार
देखना है हर मौसम,
मज़ा लेना है à¤à¤°à¥‹à¤ªà¥à¤°à¥¤
निकला हूठजरा देर से,
मंजिल है अà¤à¥€ दूर।
―जावेद आलम खान