हाठअबला!
सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ तो सब हैं
सड़क के उस पार से आती,
तेरी चितà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‡à¤‚
मगर धारण है यहाà¤
à¤à¥€à¤·à¥à¤® मौन
गरल के घूंट पिते बेबस
à¤à¥€à¤®-अरà¥à¤œà¥à¤¨
वचनों के खूंटे से बंधा
धरà¥à¤®à¤°à¤¾à¤œ
दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ के करà¥à¤œ में डूबा,
दानवीर करà¥à¤£
दिन दहाड़े होता है यहाà¤,
सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ हरण
सरेआम सड़क पे दà¥à¤·à¤¾à¤¸à¤¨ हाथों
चीर-हरण
कोई ‘हरि’ नहीं इस ‘कलयà¥à¤—’ में
अबला अब जाये à¤à¥€ तो
किस षरण
इस हवसी समाज में तो
हो गया बेचारी का अब
जीवन मरण
खà¥à¤¦ को सà¤à¥à¤¯ कहलाने वाला
यह दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ समाज
नहीं चाहेगा अब कोई
उसका वरण
कह देगा
अब हर कोई
वो तो सड़क पे
लà¥à¤Ÿà¥€ है
कà¥à¤¯à¤¾ अपने घर की कोई
इजà¥à¤œà¤¤ नहीं है?
अपना कर उस कलमà¥à¤‚ही को
नहीं अपने कà¥à¤² पे कोई
कलंक लगाउंगा!
हे सà¤à¥à¤¯ समाज के सà¤à¥à¤¯
पà¥à¤°à¥‚ष!
तà¥à¤®à¤¸à¥‡ कà¤à¥€ ‘‘पà¥à¤¨à¥à¤¨à¥‚’’ की कलम
करना चाहेगी बस à¤à¤•
सवाल-
वो तिरसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ है
मगर कà¥à¤¯à¥‚ं?
लूटा जिस समाज ने
उसी ने ठà¥à¤•à¤°à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤
धिकà¥à¤•à¤¾à¤° है उस सà¤à¥à¤¯
समाज को!!