किसी गाà¤à¤µ में à¤à¤• पति-पतà¥à¤¨à¥€ बड़े पà¥à¤°à¥‡à¤® से रहते थे। दोनों को à¤à¤•-दूसरे पर पूरा-पूरा विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ था। पतà¥à¤¨à¥€ के पà¥à¤°à¥‡à¤® के कारण पति अपने घरवालों से अलग हो गया था। पति यह जानता था कि उसके माता-पिता बहà¥à¤¤ सीधे हैं लेकिन फिर à¤à¥€ वह अपनी पतà¥à¤¨à¥€ के लिठउनसे लड़ता था। वह हमेशा ही अपनी पतà¥à¤¨à¥€ का पकà¥à¤· लेता था। विशेष बात को à¤à¥€ वह माता-पिता, à¤à¤¾à¤ˆ-बहन को न बताकर सिरà¥à¤« अपनी पतà¥à¤¨à¥€ को ही बताता था।
à¤à¤• दिन वह घूमता हà¥à¤† गाà¤à¤µ के काका के पास गया। काका बहà¥à¤¤ ही अनà¥à¤à¤µà¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ थे। उसने काका से अपनी पतà¥à¤¨à¥€ की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा की। उसने काका को बताया कि ‛बड़े-से-बड़े राज à¤à¥€ वह अपनी पतà¥à¤¨à¥€ से नहीं छिपाता, वह पूरे घर को शक की नज़र से देख सकता है लेकिन अपनी पतà¥à¤¨à¥€ पर कà¤à¥€ शक नहीं करेगा।’
उसके चà¥à¤ª होने के बाद काका ने कहा―‘देखो बेटा, अपनी पतà¥à¤¨à¥€ पर जरà¥à¤°à¤¤ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करना
ठीक नहीं है। पहले अपनी पतà¥à¤¨à¥€ की परीकà¥à¤·à¤¾ लेकर देखो फिर तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ पता चलेगा कि वह कितनी राज की बात छिपा सकती है। कà¤à¥€-कà¤à¥€ सचà¥à¤šà¤¾ पà¥à¤°à¥‡à¤® करने वाली सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ à¤à¥€ नासमà¤à¥€ में अपने पति की à¤à¤²à¤¾à¤ˆ करने के चकà¥à¤•à¤° में उनका अहित कर बैठती हैं।’
काका की बात सà¥à¤¨à¤•à¤° वह वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤² हो गया और उसने अपनी पतà¥à¤¨à¥€ की परीकà¥à¤·à¤¾ लेने का निशà¥à¤šà¤¯ कर लिया। उसने काका की सलाह से à¤à¤• योजना à¤à¥€ बना ली।
à¤à¤• दिन वह अंगोछे में कटा हà¥à¤† तरबूज लेकर आया। उसमें से लाल बà¥à¤à¤¦à¥‡ टपक रही थीं। उसने अपनी पतà¥à¤¨à¥€ से कहा―‛ आज मैंने à¤à¤• आदमी का सिर काट दिया। इस बात को राज ही रखना। यदि गाà¤à¤µ में यह बात किसी को पता चल गई तो पà¥à¤²à¤¿à¤¸ मà¥à¤à¥‡ पकड़कर ले जाà¤à¤—ी और मà¥à¤à¥‡ फाà¤à¤¸à¥€ की सजा मिलेगी।’
उसने अपनी पतà¥à¤¨à¥€ से फावड़ा माà¤à¤—ा और घर के पीछे à¤à¤• पेड़ अंगोछे में लिपटे हà¥à¤ तरबूज को गडà¥à¤¢à¤¾ खोदकर जलà¥à¤¦à¥€ से दबा दिया और ऊपर से मिटà¥à¤Ÿà¥€ डालकर जगह को समतल बना दिया।
उसकी पतà¥à¤¨à¥€ इस घटना के बाद परेशान रहने लगी। उसने अपने पति से कà¥à¤› नहीं कहा लेकिन उसे अनà¥à¤¦à¤°-ही-अनà¥à¤¦à¤° बहà¥à¤¤ घà¥à¤Ÿà¤¨ महसूस हो रही थी। वह अपने मन के बोठको किसी से कहकर हलà¥à¤•à¤¾ करना चाहती थी। दà¥à¤ƒà¤–ी हो कर उसने यह बात अपनी पड़ोसन को बता दी। उसने पड़ोसन को कसम दी कि वह इस बात को किसी को न बताठवरना उसके पति को फाà¤à¤¸à¥€ हो जाà¤à¤—ी।
उस महिला ने यह बात अपनी पड़ोसन को बता दी। यह बात à¤à¤• ने दूसरे को, दूसरे ने तीसरे को, तीसरे ने चौथे को बता दी। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° यह बात पूरे गाà¤à¤µ में फैलते-फैलते पà¥à¤²à¤¿à¤¸-थाने में à¤à¥€ पहà¥à¤à¤š गई।
दूसरे दिन दरोगा साहब कà¥à¤› सिपाहियों को लेकर उसके घर पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ दरोगा ने उसकी पतà¥à¤¨à¥€ से पूछा―‘जलà¥à¤¦à¥€ बताओ कि तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ पति ने सिर कहाठपर दबाया है? यदि तà¥à¤®à¤¨à¥‡ सच-सच नहीं बताया तो तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ फाà¤à¤¸à¥€ लग जाà¤à¤—ी।’
दरोगा की डांट सà¥à¤¨ कर उसकी पतà¥à¤¨à¥€ डर गई वह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिखा दिया जहाठपर उसके पति ने गडà¥à¤¢à¤¾ खोदकर कà¥à¤› दबाया था। पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को खोदकर अंगोछे में लिपटा हà¥à¤† तरबूज निकाल लिया।
वहाठपर काका à¤à¥€ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤²à¤¿à¤¸ को बता दिया कि इसने अपनी पतà¥à¤¨à¥€ की परीकà¥à¤·à¤¾ लेने के लिठही यह नाटक किया था। इसके बाद सब लोग अपने-अपने घर चले गà¤à¥¤ काकाजी ने कहा कि तिरिया से राज छिपे न छिपाà¤à¥¤
शिकà¥à¤·à¤¾â€•à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ अपने मन के राज को नहीं छिपा पातीं