जिसके ऑचल की छॉव में बचपन के दिनों का सूरज रोज निकलकर शाम डलते ही डूब जाता था, गमों के साये à¤à¥€ आसपास à¤à¤Ÿà¤•à¤¨à¥‡ की हिमà¥à¤®à¤¤ नहीं जà¥à¤Ÿà¤¾ पाते थे, तेज धूप की तपन à¤à¥€ ऑचल की छॉव के सामने टिक नहीं पाती थी, à¤à¥‚ख से बेहाल बचपन माठके दूध से खिलखिला जाता था, माठकी à¤à¥‚ख और माठके गमों से अनजान बचपन बस माठकी ममता और माठके दà¥à¤²à¤¾à¤° से ही परिचित था, पर बचपन यह नहीं जानता था कि माठकी परवरिश में बीता बचपन माठके खून और पिता के पसीना से सींचकर बडा हà¥à¤† है, इसी दौरान बडे à¤à¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚ की डाट फटकार यह साबित जरूर करती थी कि घर की चार दीवारी के बीच रहने वाले à¤à¤¾à¤ˆ-बहन à¤à¤• ही पेड के फूल हैं, जिनका रंग अलग हो सकता है पर उनकी खà¥à¤¶à¤¬à¥‚ अलग नहीं हो सकती है.
माठकी ममता और पिता के दà¥à¤²à¤¾à¤° के सामने कोई गम जरा à¤à¥€ टिकने की हिमà¥à¤®à¤¤ नहीं कर सकता था, समय चकà¥à¤° के साथ रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में कडवाहट इस बात का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ जरूर कराती होगी कि हम उस माठके जिगर के टà¥à¤•à¤¡à¥‡ हैं, जिसने हमें अपने खून और पसीना से सींचा है,फिर à¤à¥€ हम अनजान हैं कि वो माठजो अपनी à¤à¥‚ख और पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ से अनजान होकर तेज धूप की तपन को अपने ऑचल की छॉव से तरबतर कर देती थी, वारिस के कà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ में अपने ऑचल को फैलाकर वारिस के बूंदों से à¤à¥€ महफूज रखती थी, रासà¥à¤¤à¥‡ की दूरियॉं अपनी गोदी में बैठाकर कम कर देती थी, आज उसी माठके दरà¥à¤¦ को समà¤à¤¨à¥‡ वाला कोई नहीं है, उसकी बातों को समà¤à¤¨à¥‡ और सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ वाला कोई नहीं है, उसकी हर बात का जबाब à¤à¥à¤‚à¤à¤²à¤¾à¤•à¤° देना लोगों की आदतों में शà¥à¤®à¤¾à¤° हो चà¥à¤•à¤¾ है, कà¥à¤¯à¤¾ इसे हम इस देश की विडमà¥à¤¬à¤¨à¤¾ ही कहेंगे कि जिस माठके खून और पसीना ये शरीर बना है, आज वही शरीर उसको सहारा देने के बजाय उसकी समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ à¤à¤°à¥€ बातों से अनजान हो रहा है, आखिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी सारी खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ आपके बचपन से लेकर आपके समà¤à¤¦à¤¾à¤° होने में नà¥à¤¯à¥‹à¤›à¤¾à¤µà¤° कर दी जिनसे हमारे शरीर का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ आज समाज के सामने खडा है समाज की अचà¥à¤›à¤¾à¤ˆ और बà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚ को समà¤à¤¨à¥‡ हेतॠसकà¥à¤·à¤® हà¥à¤† है उनके आघात पà¥à¤°à¥‡à¤® की सà¥à¤µà¤šà¥à¤› तसà¥à¤µà¥€à¤¾à¤° का रूप लेकर इस दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में हमारा उदय हà¥à¤† है
नौ माह गरà¥à¤µ में पलने से लेकर बचपन के दिनों की अठखेलियां उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥‚ले नहीं à¤à¥‚लती है, उनकी आंखों के सामने हमारे बचपन के दिनों की तसà¥à¤µà¥€à¤° हटने का नाम नहीं लेती है, जिनकी हर सांस में हमारी सफलताओं की गाथा गà¥à¤‚जन करती हà¥à¤ˆ नये रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करती हà¥à¤ˆ सफलताओं के दरबाजे से गà¥à¤œà¤° जाती है,जिनके खून से हमारे जीवन की नींव रखी गई हो कà¥à¤¯à¤¾ हम उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मातà¥à¤° ये बहाना करके à¤à¥‚ल गये है कि उनकी सेवा या देखà¤à¤¾à¤² करने का समय नहीं मिल पाता है, या हम अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ के पालन में दूर रहते हैं,à¤à¤¸à¥€ बातों से हम अपनी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ से बचने की कसम खा बैठे हैं, या फिर हम अपनी समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ à¤à¤°à¥€ बातों से अपना जी चà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ में लगे हà¥à¤ हैं.
वो लोग जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¤à¥€ आपकी खà¥à¤¶à¥€ के सामने अपने गमों का इजहार नहीं किया, आपकी आकांकà¥à¤·à¤¾à¤“ं को हर सà¥à¤¤à¤° पर मजबूती पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की,आज उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के लिठहमारे पास समय नहीं है, आखिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कà¥à¤¯à¤¾ आज हम अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ से à¤à¤Ÿà¤• गये है या फिर पतà¥à¤¨à¥€ के अपार पà¥à¤¯à¤¾à¤° और बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ को सवांरने के बीच उनको à¤à¥‚ल गये हैं, आपने जो अधिकार बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ और पतà¥à¤¨à¥€ को दिये है, कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¥‡ ही अधिकारों पर माता-पिता का हक नहीं है, यदि आप ये अधिकार माता पिता को नहीं दे सकते तो ठीक है,पर उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की गई आपकी परवरिश का इनाम तो उनको दे सकते हो, अब आप कहेंगें कि यह तो उनका करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ था जो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमारी परवरिश की पर आप ये कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¥‚ल गये हो कि जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आपके जिसà¥à¤® को अपने खून और पसीना से सींचा है, आज उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के लिठउनके करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ की दà¥à¤¹à¤¾à¤ˆ दे रहे हो,कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤• दिन उनकी सेवा करने का समय नहीं है आपके पास, सारी जिंदगी उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आपको ढेर सारा पà¥à¤¯à¤¾à¤° दिया और आपके ऊपर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ढेर सारी खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ लà¥à¤Ÿà¤¾à¤ˆ आज वही माता पिता आपके पà¥à¤¯à¤¾à¤° à¤à¤°à¥‡ दो बोल के लिठलालायित हैं,सà¤à¥à¤¯ समाज में व़à¥à¤°à¥ƒà¤¦à¥à¤§à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के लिठवà¥à¤°à¥ƒà¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® खोलकर उनकी परवरिश में लगे कई सामाजिक संगठन इस बात पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ जरूर देते हैं
साथ ही इस कहावत को à¤à¥€ चरितारà¥à¤¥ करते हैं कि ‘’इस सà¤à¥à¤¯ देश में बेटा बनकर सà¤à¥€ ने खाया है, परनà¥à¤¤à¥ बाप बनकर खाने वाले लोगों में कà¥à¤› ही वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ शामिल हैं, कà¥à¤¯à¤¾ माता पिता का कसूर बस इतना है कि माठने अपने बचà¥à¤šà¥‡ को नौ माह गरà¥à¤µ में रखकर अपनी à¤à¥‚ख से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ उसकी à¤à¥‚ख पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया, कà¤à¥€ गीले बिसà¥à¤¤à¤° का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ à¤à¥€ नहीं होने दिया, रात-रात à¤à¤° अपनी नींद को गà¥à¤®à¤¨à¤¾à¤® कर देने वाली उस मूरत का कसूर आखिर कà¥à¤¯à¤¾ है ये सà¤à¥à¤¯ समाज के समठके परे है, जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° वृदà¥à¤§ दमà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ के साथ उनके विधिक वारिसों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ खेल खेला गया है, जिसे देखकर सà¤à¥à¤¯ समाज में रह रहे लोगों की रूह कॉप जाती है.
कानूनविदों की सलाह पर सरकार ने à¤à¤²à¥‡ ही माता-पिता के à¤à¤°à¤£ पोषण हेतॠअधिनियम बना दिया हो, परनà¥à¤¤à¥ देश में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° वृदà¥à¤§ दमà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ उनके विधिक वारिसों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सताये हà¥à¤ हैं, कà¥à¤¯à¤¾ सरकार, समाज और कई सामाजिक संगठनों को इसकी जानकारी है, यदि है तो कà¥à¤¯à¤¾ इन पर होने वाले जà¥à¤²à¥à¤®à¥‹à¤‚ से सà¤à¥€ अनजान हैं, या फिर जानते हà¥à¤ अनजान बने हà¥à¤ हैं, इसका कारण कà¥à¤› à¤à¥€ हो पर इन सब बातों से ये असलियत सामने जरूर आती होगी कि सरकार , समाज और सामाजिक संगठन में बैठे कई जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में बो चेहरे आपको जरूर मिल जायेंगे जिनके व़à¥à¤°à¥ƒà¤¦à¥à¤§ माता-पिता ने वृदà¥à¤§à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® की चारदीवारी को अपनी जीवन की तकदीर समठलिया है, या फिर दर-दर की ठोकर खा रहें है, पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल से ही सà¤à¥à¤¯ संसà¥à¤•à¤¼à¥à¤°à¤¤à¤¿ और पवितà¥à¤° रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की मिसाल कायम करने के नाम से जाने जाने वाले इस à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश में कà¥à¤¯à¤¾ माता-पिता का रिशà¥à¤¤à¤¾ ही जà¥à¤²à¥à¤® ढहाने को मिला है, à¤à¤²à¥‡ ही à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सà¤à¥à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की दà¥à¤¹à¤¾à¤ˆ विदेशों में दी जा रही हो पर इस देश में पवितà¥à¤° रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का गला घोंटने वालों की कमी नहीं है, आखिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?