अकबर के दरबारियों में बीरबल का नाम सबसे पहले लिया जाता है। अकबर-बीरबल का बहà¥à¤¤ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करते थे और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मितà¥à¤° के समान ही समà¤à¤¤à¥‡ थे। दोनों में इतना पà¥à¤°à¥‡à¤® था कि वे à¤à¤•-दूसरे के कहे गठवà¥à¤¯à¤‚गà¥à¤¯ का à¤à¥€ बà¥à¤°à¤¾ नहीं मानते थे। यदि बीरबल नाराज हो जाते तो अकबर बादशाह होते हà¥à¤ à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मना ही लेते थे। अकबर राजकारà¥à¤¯à¥‹ में बीरबल की सलाह लेना à¤à¥€ जरà¥à¤°à¥€ समà¤à¤¤à¥‡ थे। अकबर बीरबल के आपसी संबंधों को देखकर दूसरे दरबारी बीरबल से ईरà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾ करते थे। दरबार के दूसरे विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ बादशाह को बीरबल के विरà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¤¡à¤¼à¤•à¤¾à¤¤à¥‡ थे। वे कहते थे कि बीरबल पर इतना à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ करना उचित नहीं है। हम à¤à¥€ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¥€ में बीरबल से कम नहीं हैं।
à¤à¤• दिन बादशाह अकबर ने कहा―‘हमारे लिठतो सà¤à¥€ दरबारी à¤à¤• समान हैं। आप सबको à¤à¥€ अपनी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ और समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ करने के लिठअनेक अवसर मिलते रहते हैं। यदि तà¥à¤®à¤®à¥‡à¤‚ से कोई à¤à¥€à¤…पनी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¥€ साबित कर सका तो उसे बीरबल का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ मिल जाà¤à¤—ा और उसे सबके सामने सराहा जाà¤à¤—ा।’ अपने दरबारियों की परीकà¥à¤·à¤¾ लेने के लिठअकबर ने à¤à¤• दिन सबको दरबार में बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ और तीन फà¥à¤Ÿ लमà¥à¤¬à¥€ तथा दो फà¥à¤Ÿ चौड़ी चादर मंगवा ली। अकबर ने उस चादर को सà¤à¥€ दरबारियों को दिखाते हà¥à¤ कहा―‘मैं इस चारपाई पर लेट जाता हूà¤à¥¤ इस चादर को मà¥à¤à¥‡ इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° ओढ़ाना है कि मैं सिर से लेकर पैर तक ढक जाऊà¤à¥¤ मेरे शरीर का कोई à¤à¥€ हिसà¥à¤¸à¤¾ चादर से बाहर नहीं होना चाहिà¤à¥¤ अब आप सब à¤à¤•-à¤à¤• करके आओ और मà¥à¤à¥‡ इस चादर से ढकने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करो।’ इतना कहकर बादशाह अकबर वहाठपड़ी हà¥à¤ˆ à¤à¤• चारपाई पर लेट गà¤à¥¤ दरबारी à¤à¤•-à¤à¤• करके आठऔर बादशाह को चादर ओढ़ाने लगे। बादशाह की लमà¥à¤¬à¤¾à¤ˆ सामानà¥à¤¯ थी। यदि कोई उसके सिर को चादर से ढकता तो उनके पैर उघड़ जाते।
सà¤à¥€ बारी-बारी से चादर ओढ़ाने के लिठआठकिनà¥à¤¤à¥ थक-हार कर वापस अपनी जगह पर बैठगà¤à¥¤ तà¤à¥€ राजा ने चादर ओढ़ाने के लिठबीरबल को बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ बीरबल ने सबसे पहले चादर को उठाकर अचà¥à¤›à¥€ तरह से देखा और मन-ही-मन बादशाह को चादर ओढ़ाने का उपाय à¤à¥€ सोच लियाबीरबल ने बादशाह से कहा―‘हà¥à¤œà¥‚र, उतने पैर पसारिà¤, जितनी लमà¥à¤¬à¥€ सौर।’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ बीरबल ने बादशाह से चादर के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पैर सिकोड़ने के लिठकहा। सà¤à¥€ दरबारी बीरबल की बात सà¥à¤¨à¤•à¤° आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤šà¤•à¤¿à¤¤ हो गà¤à¥¤ बीरबल के कहने का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ वहाठउपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ दरबारी समठगà¤à¥¤ बादशाह अकबर ने बीरबल की बात सà¥à¤¨à¥€ और अपने पैर सिकोड़ लिये। बीरबल ने तà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤ चादर बादशाह को ओढ़ा दी। उसी चादर से बादशाह का शरीर ढक गया। इसके बाद बीरबल अपने सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बैठगà¤à¥¤ बीरबल को अपनी परीकà¥à¤·à¤¾ में सफल होते देखकर बादशाह बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤à¥¤ बादशाह ने कहा―‘आप सब बीरबल की समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ को देख चà¥à¤•à¥‡ हैं। बीरबल ने बेà¤à¤¿à¤à¤• कहा कि चादर के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही पैर सिकोड़ लीजिà¤à¥¤ मà¥à¤à¥‡ पैर सिकोड़ने पड़े और मेरा शरीर उसी चादर से ढक गया। सà¤à¤¾ में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ लोग समठगठकि तेते पाà¤à¤µ पसारिà¤, जेती लमà¥à¤¬à¥€ सौर।
शिकà¥à¤·à¤¾:- इस कहानी से हमें यह शिकà¥à¤·à¤¾ मिलती है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ को समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ और बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¥€ से काम लेना चाहिà¤à¥¤
साà¤à¤¾à¤°:-“कहावतों की कहानियाऔ