ये क्या हो रहा है?

ये क्या हो रहा है?
मेरे इस सोने की चिडि़या के देश में।

 

क्यूं हो रही है सैंध इन ऋशियों के वेश में,
क्या ये सभ्य मनुज कहलाने का जत्न है,
या अपने पापों को छिपाने का एक प्रयत्न हैं,
क्यूं लज्जित कर रहे हो हिन्द को इस वेश में,
ये क्या हो रहा है? मेरे इस सोने की चिडि़या के देश में।

या कहीं ऐसा तो नहीं हो कि- तुम उब गये हो पश्चिमी पोशाकों से,
या फिर उब गये हो जेल की सलाखों से।
या फिर ऋशियों का विश्वास हरने आये हो इस वेश में, ये क्या हो रहा है?
मेरे इस सोने की चिडि़या के देश में।

अगर तु हिन्द का वासी है तो- क्या इस वसुधा का तुझपे कोई उपकार नहीं,
क्या तुझे अपनी माता से भी कोई सरोकार नहीं,
फिर क्यूं अराजकता फैला रहे हो इस देश में, ये क्या हो रहा है?
मेरे इस सोने की चिडि़या के देश में


लेखक परिचय :
पूनम चन्द गोदारा
फो.नं. ---
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