सà¥à¤µà¤¿à¤šà¤¾à¤°
“आपका हृदय ईमान से à¤à¤°à¤¾ है तो à¤à¤• शतà¥à¤°à¥ कà¥à¤¯à¤¾, सारा संसार आपके समà¥à¤®à¥à¤– हथियार डाल देगा।”
मनà¥à¤·à¥à¤¯ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ से ही सà¥à¤–à¤à¥‹à¤—ी है,कषà¥à¤Ÿ में जीना उसे पसंद नहीं। वह हर हाल में सà¥à¤–ी रहना चाहता,कषà¥à¤Ÿ से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ छटपटाहट उसके लिठसदा से असहनीय है। किनà¥à¤¤à¥ हाà¤, यहाठसà¥à¤– की परिà¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤ सब के लिठअलग-अलग हो सकती हैं। कोई सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के सपनों को साकार कर सà¥à¤– पाता है, तो कोई दूसरों के सपनों को उजाड़ कर सà¥à¤–ी होता है। यहाठà¤à¤• पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨, जो किसी à¤à¥€ à¤à¤²à¤®à¤¨à¤¸à¤¾à¤¹à¤¤ को विचलित कर सकती है कि उजाड़ देने की à¤à¤¸à¥€ कौन-सी मनः सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ होती होगी जो मानव को à¤à¤¸à¥‡ हिंसातà¥à¤®à¤• कृत में आनंद देता होगा? यह पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• को उधेड़ डालता है। फिर à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ सदा ही हिंसा का विलोम पà¥à¤°à¤¿à¤¯ रहा है। मानवीय संवेदनाà¤à¤ हमेशा से ही शांति की चाह में à¤à¤Ÿà¤•à¤¤à¥€ रही है। अगर ये बातें सच हैं, तो फिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚, कà¥à¤› लोगों के लिठहिंसा, आनंद का अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ बन चà¥à¤•à¤¾ है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? सतरंगी सपनों के रंगों में लाल रंग ही à¤à¤¾à¤¨à¥‡ लगा है।
विकृत आनंद का जायजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि विगत माह, दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° में जिहादी हिंसा में हर घंटे सात लोगों की मौतें हà¥à¤ˆà¤‚। जिनमें असà¥à¤¸à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ मौतें सिरà¥à¤« चार देशों में हà¥à¤ˆ और इनमें जिहादी हिंसा के लिठइराक सबसे खतरनाक देश के रूप में सामने आया है जहाठ233 हमलों में 1770 लोगों की जानें गयीं। इतनी जानें, कोई कषà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ के बोठतले नहीं ले सकता, यह तो आनंद से सराबोर हो कर किया गया अमानवीय कृत है, जो उनके आनंद में इजाफा करने के सिवाय और कà¥à¤› न होगा। आनंद की ये कैसी तृषà¥à¤£à¤¾ है, जो लहू के सैलाब से à¤à¥€ बà¥à¤ नहीं पा रही। इसे जिहाद का नाम दिया जा रहा है। जिहाद या अंधी जिदà¥à¤¦? जिदà¥à¤¦ सिरà¥à¤« अमल करने की, सही-गलत के à¤à¥‡à¤¦ से परे का अमल। और जिदà¥à¤¦, सब कà¥à¤› खतà¥à¤® करने की।
जिहाद कà¤à¥€ जान लेने की मà¥à¤–ालफत नहीं कर सकता।अपने सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ को किसी धरà¥à¤® या जिहादी अंजाम का नाम दे कर जशà¥à¤¨ करना à¤à¥€ महज आनंद की मानसिक विकृतियाठहैं, जो दूसरों के कषà¥à¤Ÿ से ही सà¥à¤– पाता है। फिर à¤à¥€ मन यह मानने को कतई तैयार नहीं होता कि कà¥à¤¯à¤¾ कोई सहृदयी à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ हो सकता है जो मातà¥à¤° कà¥à¤°à¥‹à¤§ à¤à¤¾à¤µ में ही जी करके अपनी व दूसरों की जीवन लील जाये। यह कैसे समà¥à¤à¤µ है कि किसी के लिठजीवन के बाकि रसों का कोई महतà¥à¤µ ही न हो।
वह आनंद à¤à¥€ कम मादक न होगी जब हजारों बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को अनिशà¥à¤šà¤¿à¤¤à¤¤à¤¾ के à¤à¤‚वर से निकालकर सà¥à¤•à¥‚लों तक पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¯à¤¾ गया होगा,उनके हंसने,रोने, सà¥à¤•à¥‚ल जाने, सपने देखने, आजद हो कर खà¥à¤²à¥€ हवा में साà¤à¤¸ लेने के लिठजेहद किया गया होगा या आतंकियों के खिलाफ खड़े होकर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को घायल कर लड़कियों की शिकà¥à¤·à¤¾ के लिठआवाज बà¥à¤²à¤‚द किया गया होगा।
आनंद, विचारों का फेर है,किसी को धà¥à¤µà¤‚स में आनंद मिलता है तो किसी को निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में। सही अरà¥à¤¥ में सà¥à¤– तो वही है, जिसे à¤à¥‹à¤—ने में ईमान जाया न हो और जमीर की लाज बची रहे...