कहीं पà¥à¤¾ था '' à¤à¤• विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ का खà¥à¤²à¤¨à¤¾ सौ जेलों को बंद करने के सामान होता है ...'' पर जिस दौर में विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ पर ही आतंकी हमले होने लगे वहाठतो à¤à¤¸à¤¾ लगता है कि हर कोई ही अपराधी है , कलंकित है और जेल में à¤à¥‡à¤œ दिठजाने लायक है . इतनी वीà¤à¤¤à¥à¤¸ घटना होने के बाद à¤à¥€ हम और हमारी संवेदनाà¤à¤ अगर सरहदों और सियासती लफ़à¥à¥›à¥‹à¤‚ में ही कैद रह जाà¤à¤ तो यह चिंतनीय à¤à¥€ है और निंदनीय à¤à¥€ .बचà¥à¤šà¥‡ देश का à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ हैं और जब देश के à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ पर ही घातक और जानलेवा हमले होने लगें तो फिर बचा कà¥à¤¯à¤¾ रह जाà¤à¤—ा ? सच पूछिये तो पेशावर के उस पैशाचिक घटना के लिठउन आतंकियों से à¤à¥€ अधिक हम सà¤à¥€ ज़िमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° हैं . आतंक तो समय - समय पर हमें अपना घिनौना चेहरा दिखता ही रहा है . पर हम ही यह सोचकर कमà¥à¤¬à¤² तान कर सो जाते हैं कि '' मà¥à¤à¥‡ कà¥à¤¯à¤¾ , आग तो पड़ोसी के घर लगी है . थोड़े दिन की सहानà¥à¤à¥‚ति दिखाकर पड़ोसी धरà¥à¤® निà¤à¤¾ देंगे , बस '' . इसी बीमार मानसिकता की वजह से आज आग धीरे -धीरे हम सबों के घरों तक आ पहà¥à¤à¤šà¥€ है . अमेरिका के वरà¥à¤²à¥à¤¡ टà¥à¤°à¥‡à¤¡ सेंटर , à¤à¤¾à¤°à¤¤ के ताज़ होटल और पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का पेशावर , आज किसकी बात करें , किन - किन के लिठरोà¤à¤ . हमारा अलग - थलग रहना ही इन निरà¥à¤¦à¥‹à¤· शहीदों की संखà¥à¤¯à¤¾ में साल - दर - साल इज़ाफ़ा करता चला जा रहा है .
यह à¤à¤• निरà¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¦ सच है कि बचà¥à¤šà¥‡ किसी à¤à¤• समाज , समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ या देश की जागीर नहीं होते वो तो खà¥à¤¦à¤¾ का रूप होते हैं और पूरी सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के धरोहर होते हैं . उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ किसी देश की सरहद में नहीं बाà¤à¤Ÿ सकते हम .आज हर आà¤à¤– रो रही है उस à¤à¤¯à¤¾à¤µà¤¹ मंज़र को याद कर . बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ पर हमला ,, मतलब फूलों पर बारूद की तह बिछाना ,,मतलब ,मासूमियत पर आग की लपटें फैलाना ... छी : ! इस कà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¥à¤¯ को करने वाले जेहादी नहीं शैतान ही हैं . पर उन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ पर हà¥à¤ हमले के बाद यदि उनकी शहादत को नमन करना है तो अब बिना देर किये हमें à¤à¤• जà¥à¤Ÿ होना होगा. मिल कर इस चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ का मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¤¾ करना होगा .अब जब कि आतंक की आग पहà¥à¤à¤š चà¥à¤•à¥€ है हर घर तक तो à¤à¤¸à¥‡ में अलग - अलग दायरे में रहकर हम इस लड़ाई को नहीं लड़ सकते .
जब हमारे बचà¥à¤šà¥‡ ही सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ नहीं हैं ,हमारे आà¤à¤—न की किलकारियाठही हमेशा के लिठगूà¤à¤—ी हो गई हैं तो फिर अपने अपने अंदर के अहंकार को पाल पोस कर कà¥à¤¯à¤¾ हासिल होगा हमें ? अब हम सिरà¥à¤« दरà¥à¤¦ ही न बाà¤à¤Ÿà¥‡à¤‚ बलà¥à¤•à¤¿ दवाओं के इंतज़ामात à¤à¥€ मिलकर करें . अपने पडोसी मà¥à¤²à¥à¤• के दरà¥à¤¦ में जब हमारे अशà¥à¤• सरहद लाà¤à¤˜ सकते हैं तो फिर हम हाथ मिलकर इन आतंक के शैतानों से मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं करते .? अब और कैसी बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦à¥€ देखने का इंतज़ार कर रहे हैं हम .. ??