बच्चों पर हमला ... मतलब फूलों पर बारूद की तह बिछाना ...

 à¤•à¤¹à¥€à¤‚ पढ़ा था  '' एक विद्यालय का खुलना सौ जेलों को बंद करने के सामान होता है  ...'' पर जिस  à¤¦à¥Œà¤° में विद्यालयों पर ही आतंकी   हमले होने लगे वहाँ तो ऐसा  à¤²à¤—ता है   कि हर कोई  à¤¹à¥€ अपराधी है , कलंकित है और जेल में भेज दिए जाने लायक है . इतनी वीभत्स  à¤˜à¤Ÿà¤¨à¤¾ होने के बाद भी हम  à¤”र हमारी संवेदनाएँ अगर सरहदों और सियासती लफ़्ज़ों  à¤®à¥‡à¤‚ ही कैद रह  à¤œà¤¾à¤à¤ तो यह चिंतनीय भी है और निंदनीय भी  .बच्चे देश का  à¤­à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ हैं  à¤”र  à¤œà¤¬ देश के भविष्य पर ही घातक और जानलेवा हमले होने लगें तो फिर बचा क्या रह जाएगा  ? सच पूछिये तो पेशावर  à¤•à¥‡ उस पैशाचिक  à¤˜à¤Ÿà¤¨à¤¾  à¤•à¥‡ लिए  à¤‰à¤¨ आतंकियों से भी अधिक हम सभी   ज़िम्मेदार हैं   . आतंक   तो  à¤¸à¤®à¤¯ - समय पर हमें अपना घिनौना     चेहरा दिखता ही  à¤°à¤¹à¤¾ है  . पर हम ही यह सोचकर कम्बल  à¤¤à¤¾à¤¨ कर  à¤¸à¥‹  à¤œà¤¾à¤¤à¥‡ हैं कि '' मुझे क्या   , आग तो पड़ोसी के घर लगी है . थोड़े दिन की सहानुभूति दिखाकर पड़ोसी धर्म निभा देंगे , बस '' . इसी  à¤¬à¥€à¤®à¤¾à¤° मानसिकता की वजह से  à¤†à¤œ आग धीरे -धीरे हम सबों के  à¤˜à¤°à¥‹à¤‚ तक  à¤† पहुँची है . अमेरिका  à¤•à¥‡ वर्ल्ड ट्रेड सेंटर , भारत के ताज़ होटल  à¤”र पाकिस्तान का  à¤ªà¥‡à¤¶à¤¾à¤µà¤° , आज किसकी बात करें , किन - किन के लिए रोएँ . हमारा  à¤…लग - थलग रहना ही इन निर्दोष शहीदों की संख्या  à¤®à¥‡à¤‚ साल - दर - साल इज़ाफ़ा करता चला जा रहा है .
 à¤¯à¤¹ एक निर्विवाद   सच है कि   बच्चे किसी एक समाज , समुदाय या  à¤¦à¥‡à¤¶ की जागीर नहीं होते वो तो खुदा का रूप होते हैं और पूरी सृष्टि के धरोहर होते हैं . उन्हें किसी देश की सरहद में नहीं बाँट  à¤¸à¤•à¤¤à¥‡ हम .आज हर आँख  à¤°à¥‹ रही है उस भयावह मंज़र को याद कर . बच्चों पर हमला  ,, मतलब फूलों पर बारूद की तह बिछाना ,,मतलब ,मासूमियत पर आग की लपटें फैलाना ... छी : ! इस कुकृत्य को करने वाले  à¤œà¥‡à¤¹à¤¾à¤¦à¥€ नहीं शैतान ही हैं .  à¤ªà¤° उन बच्चों पर हुए हमले के बाद यदि उनकी   शहादत को नमन करना है  à¤¤à¥‹ अब बिना देर किये   हमें एक जुट होना  à¤¹à¥‹à¤—ा. मिल कर इस चुनौती का  à¤®à¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¤¾  à¤•à¤°à¤¨à¤¾ होगा .अब जब कि  à¤†à¤¤à¤‚क की आग पहुँच चुकी है  à¤¹à¤° घर तक तो ऐसे में  à¤…लग - अलग दायरे में रहकर  à¤¹à¤®  à¤‡à¤¸  à¤²à¥œà¤¾à¤ˆ को   नहीं लड़ सकते . 

जब हमारे बच्चे  à¤¹à¥€ सुरक्षित  à¤¨à¤¹à¥€à¤‚ हैं ,हमारे आँगन की किलकारियाँ   ही हमेशा के लिए गूँगी  à¤¹à¥‹ गई हैं  à¤¤à¥‹ फिर अपने अपने अंदर के अहंकार को पाल पोस कर क्या हासिल होगा हमें ?  à¤…ब हम सिर्फ  à¤¦à¤°à¥à¤¦ ही न  à¤¬à¤¾à¤à¤Ÿà¥‡à¤‚ बल्कि  à¤¦à¤µà¤¾à¤“ं  à¤•à¥‡ इंतज़ामात   भी  à¤®à¤¿à¤²à¤•à¤°  à¤•à¤°à¥‡à¤‚  . अपने पडोसी मुल्क  à¤•à¥‡  à¤¦à¤°à¥à¤¦ में जब हमारे अश्क  à¤¸à¤°à¤¹à¤¦  à¤²à¤¾à¤à¤˜ सकते हैं तो फिर  à¤¹à¤® हाथ मिलकर  à¤‡à¤¨ आतंक  à¤•à¥‡  à¤¶à¥ˆà¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से मुकाबला  à¤•à¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं करते  .? अब  à¤”र  à¤•à¥ˆà¤¸à¥€ बर्बादी देखने का इंतज़ार कर रहे  à¤¹à¥ˆà¤‚ हम  .. ??


लेखक परिचय :
कल्याणी कबीर
फो.नं. ---
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