बाधाओं को पार कर

बाधाओं को पार कर 
राही तुम बढ़ते जाना 
कदम कदम पर होगी मुश्किल 
फिर भी तुम ना घबराना |

नयी सोच ,नए जज्बे से 
नाविक, आगे चलते जाना 
तूफानी लहरों से टकरा कर 
साहिल तुमको है पाना |

स्वप्न देखना 
बुरा नहीं है ,मगर 
पलकें न तुम मूंदना
चिरनिंद्रा में रह कर बन्दे 
सपनों को अपने न छोड़ना |

माना सफर आसां नहीं है 
हिम्मत तुम ना छोड़ना
रात के बाद सुबह आएगी 
मंजिल अपनी पा ही लेना ..|


लेखक परिचय :
डिम्पल गौर
फो.नं. - --
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