करें दिमाग की सफाई

सईद और सफी दो बच्चे  घर साफ़ करने में अपनी दादी माँ की मदद कर रहे थे |
दादी माँ ने कहा - '' कूड़े दान भर  चुका है | इसे बाहर ले जाकर बड़े कूड़ेदान में डाल आओ | ''
 à¤¸à¤«à¥€ बाहर गया  और कूड़े दान का कूड़ा बहार    के कूड़े दान  में डाल कर उसे खाली कर ले आया |
दादी माँ ने दोनों बच्चों को कहा --  '' देखो बच्चों , घर को साफ़ रखने के लिए कूड़े दान को खाली करना जरुरी है | इसी तरह एक और चीज है जिसे हमें साफ़ रखना  चाहिए |  यह है अपने दिमाग का कूड़ेदान |''
दोनों ही बच्चो को यह बात काफी पसंद आई |

दादी माँ ने फिर कहना  शुरू किया  कि ''  दूसरे जगहों की तरह हमारे दिमाग में भी गन्दगी जमा हो जाती है | ये गंदे  विचार न तो हमें खुश रखते हैं और ना ही दूसरों को | इसलिए ऐसे विचारों को  साफ़ करते रहना  चाहिए |''
मित्रों ,इस कहानी का यह सन्देश यदि हम याद रखें तो कई झमेलों में पड़े से बच जाएँगे |
सही ही है ,
जिस तरह से हम गन्दी चीजों को अपने घरों के अन्दर नहीं रख सकते | उसी तरह गंदे विचारों को भी दिमाग में जगह नहीं देना चाहिए |
वरना हम बीमार हो जायेंगे | हमारी सोच बीमार पड़ जायेगी , जिसका सीधा असर हमारे आस - पास के रिश्तों पर पडेगा |
जब भी कुछ कड़वी या बुरी घटनाएँ घटित हो जाएँ तो उसे हमेशा के लिए दिमाग में तरजीह ना दें |
 à¤†à¤ªà¤¸à¥‡ कुछ गलती हो जाए तो '' माफ़ी माँगकर आगे बढ़ा जाएँ और गर दूसरे से गलती हो जाए तो उसे माफ़ कर दें |
बुरी भावनाओं को अधिक समय तक मन  में घर ना बनाने दें तभी हम खुद  भी हलक - फुल्का महसूस करेंगे और हमारे  आस - पास सुकून का वातावरण बना रहेगा |


लेखक परिचय :
कल्याणी कबीर
फो.नं. ---
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