कहते है, फ़रवरी 'पà¥à¤°à¥‡à¤®' का महीना है। कà¥à¤› के लिठये बेहद ख़ास और कà¥à¤› के लिठउतना ही उदास ! जिसने पाया, वो गà¥à¤¨à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾ और जिसने खोया, वो रोया ! दोष, क़िसà¥à¤®à¤¤ का या मन का ? सच, जीवन कितना सरल होता, अगर ये इचà¥à¤›à¤¾à¤“ं और अपेकà¥à¤·à¤¾à¤“ं की चपेट में न आया होता ! पर, वो 'जीवन' ही कà¥à¤¯à¤¾..जो सरल रहा ! रोज़मरà¥à¤°à¤¾ की जदà¥à¤¦à¥‹à¤œà¤¼à¤¹à¤¦ के बिना ज़िंदगी कटती नहीं, पर à¤à¤¸à¥‡ में à¤à¥€, बनà¥à¤œà¤¼à¤¾à¤°à¥‡ मन-से à¤à¤Ÿà¤•à¤¤à¥‡ जीवन के विविध रूप कैसे हैरां कर जाते हैं। चहचहाते पकà¥à¤·à¥€, महकते फूल, बारिश के गिरते मोती खूब सà¥à¤¹à¤¾à¤¤à¥‡ हैं, खिलता हà¥à¤† सूरज सिरà¥à¤«à¤¼ रोशनी ही नहीं, उमà¥à¤®à¥€à¤¦ की à¤à¤• नई सà¥à¤¬à¤¹ à¤à¥€ दे जाता है।
रंगबिरंगी तितलियाà¤, हर उमà¥à¤° का मन लà¥à¤à¤¾à¤¤à¥€ हैं कà¤à¥€ फिरती इधर-उधर, कà¤à¥€ फूलों संग इठलाती हैं। इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उनà¥à¤®à¥à¤•à¥à¤¤ उड़ते देख सहसा विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ ही नहीं होता कि ये बस चनà¥à¤¦ दिनों की ही मेहमान है. फिर à¤à¥€ कैसी पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤¤, खिलखिलाती नज़र आती हैं। कितना आसान हो जाà¤, गर हम à¤à¥€ इनसे जीना सीख लें। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में 'पà¥à¤°à¥‡à¤®' महसूस करने के लिठसब कà¥à¤› है, फिर मानव से 'अपेकà¥à¤·à¤¾' कà¥à¤¯à¥‚ठरखना ? 'पà¥à¤°à¥‡à¤®' की परिà¤à¤¾à¤·à¤¾, इतनी संकà¥à¤šà¤¿à¤¤ कर देना सही नहीं लगता !
'पà¥à¤°à¥‡à¤®' को मापा नहीं जा सकता और न ही परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ किया जा सकता है यह तो सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के कण-कण में समाहित है !
मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¥‡à¤® है...
बारिश की बूà¤à¤¦à¥‹à¤‚ से,
मिटà¥à¤Ÿà¥€ की खà¥à¤¶à¥à¤¬à¥‚ से,
नदिया की कलकल से,
लहरों की हलचल से,
जंगल के हिरणों से
सूरज की किरणों से,
चंदा, सितारों से
सागर, किनारों से
बहते इन à¤à¤°à¤¨à¥‹à¤‚ से
पलते इन सपनों से
फूलों से कलियों से
गाà¤à¤µà¥‹à¤‚ की गलियों से
होली के रंगों से
घर के हà¥à¤¡à¤¼à¤¦à¤‚गों से
दीपक की बाती से
बगिया की माटी से
सावन के à¤à¥‚लों से
कचà¥à¤šà¥‡ इन चूलà¥à¤¹à¥‹à¤‚ से
पंछी से, पेड़ों से
खेतों की मेडों से
à¤à¤¿à¤²à¤®à¤¿à¤² चौबारों से
रंगीं गà¥à¤¬à¥à¤¬à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से
बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की टोली से
मीठी उस बोली से
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ से, मेले से
यादों के ठेले से.....
.........और à¤à¤¸à¥‡ ही न जाने कितने अदà¥à¤à¥à¤¤, अचंà¤à¤¿à¤¤ कर देने वाले अविसà¥à¤®à¤°à¤£à¥€à¤¯ पल काफ़ी हैं न, ज़िंदगी को जीने के लिठ? शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤à¤, 'पà¥à¤°à¥‡à¤® दिवस' की ! :)