1:-उबलता पानी और à¤à¤¾à¤ª में से कौन-सा अधिक जलन पैदा करता है और कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ?
उतà¥à¤¤à¤°:-जब उबलता हà¥à¤† जल हमारे शरीर में गिरता है तो उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की तà¥à¤µà¤šà¤¾ जल से ऊषà¥à¤®à¤¾ लेती है। चूà¤à¤•à¤¿ तà¥à¤µà¤šà¤¾ ऊषà¥à¤®à¤¾ की कà¥à¤šà¤¾à¤²à¤• है, अतः ली गयी ऊषà¥à¤®à¤¾ पूरे शरीर में न जाकर उसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बनी रहती है। इससे उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का ताप अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की अपेकà¥à¤·à¤¾ ऊà¤à¤šà¤¾ हो जाता है तथा जलन उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होती है। जब à¤à¤¾à¤ª हमारे शरीर की तà¥à¤µà¤šà¤¾ के संपरà¥à¤• में आती है तो वह पहले 100°C के जल में बदलती है। इस कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ में पà¥à¤°à¤¤à¤¿ 1 गà¥à¤°à¤¾à¤® à¤à¤¾à¤ª से 536 कैलोरी ऊषà¥à¤®à¤¾ निकलती है। यह ऊषà¥à¤®à¤¾ उबलते हà¥à¤ जल में नहीं होती है। à¤à¤¾à¤ª की इस अतिरिकà¥à¤¤ (गà¥à¤ªà¥à¤¤) ऊषà¥à¤®à¤¾ के कारण ही बहà¥à¤¤ अधिक जलन होती है। अतः उबलते पानी की अपेकà¥à¤·à¤¾ à¤à¤¾à¤ª से अधिक जलन पैदा होता है।
2:-à¤à¤• à¤à¤¥à¤²à¥€à¤Ÿ जब à¤à¤¾à¤—ता हà¥à¤† आता है तब वह लमà¥à¤¬à¥€ छलांग लगा सकता है। जब वह अचानक ही छलांग लगा देता है तो छलांग छोटी रह जाती है। à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?
उतà¥à¤¤à¤°:- जब à¤à¤¥à¤²à¥€à¤Ÿ à¤à¤¾à¤—ता हà¥à¤† आता है जब शरीर में अधिक संवेग उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो जाता है तथा जड़तà¥à¤µ कम हो जाता है। अतः वह लमà¥à¤¬à¥€ छलांग लगा लेता है लेकिन अचानक ही छलांग लगा देने से शरीर का संवेग कम होता है तथा जड़तà¥à¤µ अधिक रहती है, इसलिठछलांग छोटी रह जाती है।
3:-गà¥à¤²à¥‡à¤² में ऊरà¥à¤œà¤¾ कैसे संचित होती है?
उतà¥à¤¤à¤°:- जब गà¥à¤²à¥‡à¤² की रबड़ को गोली या कंकर सहित खींचते हैं तो रबड़ को खींचने में किया गया कारà¥à¤¯ उसकी सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤œ ऊरà¥à¤œà¤¾ के रूप में संचित हो जाती है। अब यदि हम गोली या कंकर को छोड़ दें तो गà¥à¤²à¥‡à¤² की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤œ ऊरà¥à¤œà¤¾ गोली या कंकर की गतिज ऊरà¥à¤œà¤¾ में परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ हो जाती है |
4:- हथेलियों को तेजी से रगड़ने से हम गरà¥à¤® अनà¥à¤à¤µ करते हैं। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ?
उतà¥à¤¤à¤°:-हथेली को रगड़ने पर हाथ गतिमान हो जाते हैं। अतः इसमें गतिज ऊरà¥à¤œà¤¾ होती है तथा इनके बीच आकरà¥à¤·à¤£ बल के कारण सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤œ ऊरà¥à¤œà¤¾ होती है। गतिज ऊरà¥à¤œà¤¾ व सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤œ ऊरà¥à¤œà¤¾ का योग आंतरिक ऊरà¥à¤œà¤¾ कहलाता है। आतंरिक ऊरà¥à¤œà¤¾ ही ऊषà¥à¤®à¥€à¤¯ ऊरà¥à¤œà¤¾ है अतः हथेली को रगड़ते से गरà¥à¤® महसूस होता है।
5:- बरà¥à¤« को छूने से ठंडक का अनà¥à¤à¤µ होता है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?
उतà¥à¤¤à¤°:- जब हम बरà¥à¤« को छूते हैं तो हमारी हथेली का ताप अधिक होता है अपेकà¥à¤·à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ बरà¥à¤« के ताप से अतः ऊषà¥à¤®à¤¾ हमारे हाथ से बरà¥à¤« की तरह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤¾à¤‚तरित होने लगती है। इसलिठबरà¥à¤« को छूने से ठंडक अनà¥à¤à¤µ होता है।