दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ आज के à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने विशà¥à¤µ के पटल पर जो अपनी पहचान बनाई है, उसे देखकर हर à¤à¤¾à¤°à¤¤ वासी का सीना गरà¥à¤µ से चौड़ा हो जाता है। और यह सोचने को मजबूर à¤à¥€ हो जाता है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ जैसे विकासील देश ने विशà¥à¤µ पटà¥à¤² पर अपना à¤à¤£à¥à¤¡à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ तो कर दिया है, पर à¤à¤¾à¤°à¤¤ को अपनी गरीबी मिटाने में अà¤à¥€ कई दसक बीत सकते हैं। à¤à¤• तरफ à¤à¤¾à¤°à¤¤, देश के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤¤ सरकारी संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में 100 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ विदेशी निवेश की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ तलाश कर देश से वेरोजगारी समापà¥à¤¤ कर सà¥à¤µà¤¾à¤à¤²à¤‚बी बनाने हेतॠपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¤°à¤¤ है, तो दूसरी तरफ à¤à¤¾à¤°à¤¤ अपनी ही गरीबी के आंकड़ों से चिनà¥à¤¤à¤¿à¤¤ à¤à¥€ है। चौकाने वाले तथà¥à¤¯ तो यह à¤à¥€ है कि आंकड़ों के हिसाब से रंगराजन कमेटी की रिपोरà¥à¤Ÿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वरà¥à¤· 2011-12 तक à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¤¾à¤°à¤¤ की कà¥à¤² जनसंखà¥à¤¯à¤¾ में से लगà¤à¤— 29.5 फ़ीसदी लोग गरीब हैं। यानी हर 10 में से तीन वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ गरीब हैं। बहरहाल सबाल यह है कि कà¥à¤¯à¤¾ देश के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित सरकारी संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में 100 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ विदेशी निवेश होने पर देश की कà¥à¤² जनसंखà¥à¤¯à¤¾ में जो 29.5 फ़ीसदी लोग गरीब हैं उनके जीवन सà¥à¤¤à¤° में कोई सà¥à¤§à¤¾à¤° होगा ? या फिर विदेशी पूंजी निवेश की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के बीच हर 10 में से तीन वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जो गरीब हैं, उनमें और इजाफा होगा? यदि à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित सरकारी संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में 100 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ विदेशी निवेश की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के बीच à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ का जीवन सà¥à¤¤à¤° सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¨à¥‡ की à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की योजना है। तो सबाल साफ है कि हमारे देश की सरकारें आखिर कà¥à¤¯à¤¾ कर रहीं हैं। हमारी नीतियों की रेखा किस ओर बढ़ रही है। निवेश की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं के बीच गरीबों के जीवन सà¥à¤¤à¤° में सà¥à¤§à¤¾à¤° की बात उस आबादी के गले के नीचे नहीं उतर रही है, जो आबादी आज à¤à¥€ मूलà¤à¥‚त सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं सहित अपने जीवन सà¥à¤¤à¤° में सà¥à¤§à¤¾à¤° की वॉट जोह रही है। कà¥à¤¯à¤¾ हमारे देश में à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की योजनाà¤à¤‚ पूरà¥à¤£ रूप से देश के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित सरकारी संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में 100 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ निवेश पर ठिकी हैं? या फिर नीतियों से जà¥à¤¡à¥‡ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ लोग विदेशी निवेश में ही अरà¥à¤¥ की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ तलाश रहें है? बहरहाल यह समय ही बता सकता है। पर इस बीच à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ के जीवन सà¥à¤¤à¤° में सà¥à¤§à¤¾à¤° पर जोर देना राजनीति के फंदों की वही लकीरें जान पढ़ती हैं, जो बड़े-बड़े मंचों पर तो दिखाई देती है, पर मंच से उतरते ही उस à¤à¥€à¤¡à¤¼ के à¤à¤¾à¤—ने पर उड़ने वाली धूल की धà¥à¤¨à¥à¤§ में फिर कà¤à¥€ नजर नहीं आती। निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप देश की कà¥à¤² जनसंखà¥à¤¯à¤¾ में से 29.5 फ़ीसदी लोग गरीब होने के आंकडे़ राजनीति और कूटनीति के उन चहरों के लिठसà¥à¤–दायी होगें जिनका सामाजिक सरोकार à¤à¤¸à¥€ आबादी से है ही नहीं। और होगा à¤à¥€ तो वे लोग समाज के उन लोगों में से होगें जो समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ वरà¥à¤— दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही उनके à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के बीच दबे कà¥à¤šà¤²à¥‡ होंगें। कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¥‡ वंचित वरà¥à¤— के जीवन सà¥à¤¤à¤° में सà¥à¤§à¤¾à¤° विदेशी निवेश से संà¤à¤µ होगा? या फिर 100 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ विदेशी निवेश के पीछे à¤à¥€ बंदरबांट की योजना हैं? à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सरकारें देश में विदेशी पूंजी निवेश के कई हथकणà¥à¤¡à¥‡ अपना रही है, पहल चाहे निरà¥à¤°à¤¥à¤• हो या इसके परिणाम सारà¥à¤¥à¤• हों। पर दोनों सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में समय की बरà¥à¤µà¤¾à¤¦à¥€ की छाया à¤à¤²à¤• रही है।
कà¥à¤¯à¤¾ यह वही देश है जिसमें लोगों ने देश से ईसà¥à¤Ÿ इंडिया कमà¥à¤ªà¤¨à¥€ को खदेड़ दिया था। पर आज वही देश फिर देश में विदेशियों की जड़े मजबूत करने में लगा हà¥à¤† है। यह बात समठके परे है। आजादी 67 सालों में देश के विकास हेतॠकà¥à¤¯à¤¾ होता आया है। और अब कà¥à¤¯à¤¾ नया होने वाला है। ये तो राजनीतिजà¥à¤ž और कूटनीतिजà¥à¤ž ही जानें पर देश की à¤à¥‹à¤²à¥€ à¤à¤¾à¤²à¥€ जनता इतना जरूर जानती है कि कà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ है और विदेशी। देश के सरकारी संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में 100 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ विदेशी निवेश को तो सरकार ने हरी à¤à¤£à¥à¤¡à¥€ दे दी है। पर कà¥à¤¯à¤¾ देश कà¥à¤² जनसंखà¥à¤¯à¤¾ में से 29.5 फ़ीसदी जो गरीब आवादी है उनके जीवन सà¥à¤¤à¤° पर सà¥à¤§à¤¾à¤° हेतॠविदेशी निवेश का कà¥à¤› अंश à¤à¥€ रिरà¥à¤œà¤µ रख पायेगा। या फिर बंदरबांट की आहट को à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ के पलà¥à¤²à¥‚ में बांध कर रख लिया जावेगा। और फिर दफन हो जायेगीं गरीबों का सà¥à¤¤à¤° सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¨à¥‡ वाली बो बातें जो मंच पर चिलà¥à¤²à¤¾-चिलà¥à¤²à¤¾ कर कहीं गई थी। देश जानता है कि कथनी और करनी में बहà¥à¤¤ बड़ा अंतर होता है, ठीक है अंतर की खाई पट नहीं सकती है। तो कà¥à¤¯à¤¾ विदेशी निवेश की वह पूंजी जिस पर राजनीति के धà¥à¤°à¤¿à¤¨à¥à¤§à¤°à¥‹à¤‚ की निगाहें टिकी हà¥à¤ˆ हैं, इस वंचित वरà¥à¤— के काम आ सकेगी? या फिर निवेश की वह पूंजी फिर à¤à¤• बडे़ धोटाले को जनà¥à¤® देगी? और फिर à¤à¤• अधूरी कहानी किसी राजनीतिजà¥à¤ž को सलाखों के पीछे तक धकेल कर ले जायेगी? कई तरह के सबाल अपने आप जनà¥à¤® ले लेतें है। à¤à¤• तरफ सरकार विदेशों में छà¥à¤ªà¥‡ काले धन को वापस लाने की पहल कर रही है,और à¤à¤• तरफ देश के सरकारी संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में 100 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ विदेशी निवेश को हरी à¤à¤£à¥à¤¡à¥€ à¤à¥€ दे रही है। इस बीच विदेशी निवेश की वह पूंजी कहीं काले धन का दूसरा रूप तो नहीं जो à¤à¤¾à¤°à¤¤ जैसे विकासील देश से तो चला गया पर विदेशों की अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को मजबूत कर फिर पà¥à¤¨à¤ƒ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में विदेशी निवेश के जरिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ लौट रहा। और सरकारें मà¥à¤‚ह फाड़ के चिलà¥à¤²à¤¾ रहीं हैं कि हम à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सरकारी संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में 100 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ विदेशी निवेश से देश की अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ पटरी पर ला देगें। वेपटरी होती अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को पटरी पर लाने के पीछे उनके इरादे नेक हों या अनेंक पर देश 29.5 फ़ीसदी आबादी जो आजादी के 67 सालों बाद à¤à¥€ गरीबी का ठपà¥à¤ªà¤¾ लिठहà¥à¤ है उनके जीवन सà¥à¤¤à¤° में सà¥à¤§à¤¾à¤° की à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की योजनाà¤à¤‚ पूरà¥à¤£ रूप से विदेशी निवेश पर टिकी होना यह बात à¤à¥€ समठके परे नजर आती है। तो कà¥à¤¯à¤¾ आतà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤à¤° होने के नारे मा़तà¥à¤° दिखावा है। या फिर सà¥à¤µà¤°à¥‹à¤œà¤—ार परख योजानाओं में खरà¥à¤š पूंजी के हिसाब की बही उन राजनीतिजà¥à¤žà¥‹à¤‚ और कूटनीतिजà¥à¤žà¥‹à¤‚ के घरों की चार दीवारी में खà¥à¤²à¤¤à¥€ है जहां गरीबी के सà¥à¤¤à¤° के सà¥à¤§à¤¾à¤° की बात अपने आप दम तोड़ देतीं हैं। यदि हम विदेशी निवेश की बात छोड़ दे तो कà¥à¤¯à¤¾ इस वंचित वरà¥à¤— के जीवन सà¥à¤¤à¤° में सà¥à¤§à¤¾à¤° हेतॠसंचालित योजनाओं की पहà¥à¤‚च अà¤à¥€ उन तक नहीं है। तो फिर आंकडों की बाजीगरी आखिर किसे दिखाने के लिठहै।