तेनालीराम विजयनगर के महाराज कृषà¥à¤£à¤¦à¥‡à¤µ राय के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– दरबारियों में से à¤à¤• थे। वे बहà¥à¤¤ ही विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे। à¤à¤• दिन किसी कारà¥à¤¯ से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शाम को घर लौटने में देर हो गई। जब वे घर जा रहे थे तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¥à¤› लोगों को बातें करते हà¥à¤ सà¥à¤¨à¤¾à¥¤ वे कह रहे थे -'हम तो बहà¥à¤¤ गरीब हैं और तेनालीराम बहà¥à¤¤ अमीर है लेकिन कल जब हम अमीर बन जायेंगे तो तेनालीराम के पास कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं बचेगा। सचमà¥à¤š कल तक तेनालीराम गरीब हो जाà¤à¤—ा।' यह कहकर वे सà¤à¥€ आदमी जोर-जोर से हà¤à¤¸à¤¨à¥‡ लगे।
जब तेनालीराम को पता चला कि चोर उसके घर चोरी करने वाले हैं तो वह जलà¥à¤¦à¥€ से अपने घर की ओर दौड़ने लगा। रासà¥à¤¤à¥‡ में ही तेनालीराम ने चोरों को सबक सिखाने के लिठà¤à¤• योजना à¤à¥€ बना ली।
तेनालीराम ने जलà¥à¤¦à¥€ से घर का दरवाजा खटखटाया। उसकी पतà¥à¤¨à¥€ ने जैसे ही दरवाजा खोला तो तेनालीराम आà¤à¤—न में बने à¤à¥‚ले पर बैठगया। तेनालीराम की पतà¥à¤¨à¥€ ने कहा - 'हमारे घर के पीछे खेत में जो धान की फसल है, वह पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ सूखती जा रही है। यदि तà¥à¤®à¤¨à¥‡ पानी नहीं दिया तो फसल जलà¥à¤¦à¥€ ही नषà¥à¤Ÿ हो जाà¤à¤—ी।'
तेनालीराम ने अपनी पतà¥à¤¨à¥€ से कहा -'तà¥à¤® बिलकà¥à¤² ठीक कहती हो। लेकिन इस समय मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• जरà¥à¤°à¥€ काम है।' इतना कहकर तेनालीराम अपनी पतà¥à¤¨à¥€ के साथ घर के पिछवाड़े गठऔर à¤à¤• बड़े बकà¥à¤¸à¥‡ को ईट-पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ से पूरी तरह à¤à¤° दिया। तेनालीराम की पतà¥à¤¨à¥€ को समठमें कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं आ रहा था।
तेनालीराम ने अपनी पतà¥à¤¨à¥€ से कहा, 'चलो जलà¥à¤¦à¥€ से इस बकà¥à¤¸à¥‡ को कà¥à¤à¤ में फेंक दें ताकि हमें कोई देख न सके।' पतà¥à¤¨à¥€ के पूछने पर तेनालीराम ने उसे सब कà¥à¤› बता दिया। तेनालीराम ने खà¥à¤¶ होकर कहा कि फसल को पानी देने का यही उचित समय है।
तेनालीराम और उसकी पतà¥à¤¨à¥€ ने मिलकर उस बकà¥à¤¸à¥‡ को कà¥à¤à¤ में डाल दिया। इसके बाद तेनालीराम ने जोर से अपनी पतà¥à¤¨à¥€ से कहा -' इस बकà¥à¤¸à¥‡ में हमने हीरे, जवाहरात, आà¤à¥‚षण, सोना-चाà¤à¤¦à¥€ सब रखकर कà¥à¤à¤ में डाल दिया है। अब चोर यदि यहाठआ à¤à¥€ जाà¤à¤ तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤› नहीं मिलेगा। बेचारे चोर को यहाठसे खाली हाथ ही लौटना पड़ेगा।'
पेड़ के पीछे से चोरों ने तेनालीराम और उसकी पतà¥à¤¨à¥€ की सारी बातें सà¥à¤¨ लीं। जब तेनालीराम अपनी पतà¥à¤¨à¥€ के साथ घर के अनà¥à¤¦à¤° चला गया तो चोर जलà¥à¤¦à¥€ से कà¥à¤à¤ के पास आ गà¤à¥¤ कà¥à¤à¤ के पास à¤à¤• बालà¥à¤Ÿà¥€ रखी थी जिसमें रसà¥à¤¸à¥€ बà¤à¤§à¥€ हà¥à¤ˆ थी। चोरों ने जलà¥à¤¦à¥€ से बालà¥à¤Ÿà¥€ उठाई और कà¥à¤à¤ से पानी निकालकर नाली में डालते गà¤à¥¤ वह नाली तेनालीराम के धान के खेतों तक जाती थी।
चोर सारी रात कà¥à¤à¤ से पानी निकालकर नाली में डालते गà¤à¥¤ जैसे ही सà¥à¤¬à¤¹ हà¥à¤ˆ तो चोरों को कà¥à¤à¤ में वह बकà¥à¤¸à¤¾ दिखाई दिया। à¤à¤• चोर ने जलà¥à¤¦à¥€ से कà¥à¤à¤ में कूदकर उस बकà¥à¤¸à¥‡ को रसà¥à¤¸à¥€ से बांध दिया। सब चोरों ने मिलकर उस बकà¥à¤¸à¥‡ को कà¥à¤à¤ से बाहर निकाल लिया और जलà¥à¤¦à¥€-जलà¥à¤¦à¥€ बकà¥à¤¸à¥‡ में लगा ताला तोड़ने लगे। जब चोरों ने संदूक का ढकà¥à¤•à¤¨ खोलकर देखा तो उसमें ईट-पतà¥à¤¥à¤° à¤à¤°à¥‡ हà¥à¤ थे। यह देखकर चोरों को बहà¥à¤¤ दà¥à¤ƒà¤– हà¥à¤†à¥¤ जैसे ही चोर à¤à¤¾à¤—ने लगे तो वहाठपर कà¥à¤› सिपाहियों को लेकर तेनालीराम आ गया। सिपाहियों ने सà¤à¥€ चोरों को पकड़ लिया।
इसके बाद तेनालीराम ने अपनी पतà¥à¤¨à¥€ से कहा -'मेरी तरकीब तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ कैसी लगी! मà¥à¤«à¥à¤¤ में चोरों ने हमारे धान के खेतों में पानी à¤à¥€ दे दिया और हमारा धन à¤à¥€ चोरी होने से बच गया। इसे कहते हैं à¤à¤• तीर से दो शिकार।' इतना कहकर तेनालीराम और उसकी पतà¥à¤¨à¥€ जोर-जोर से हà¤à¤¸à¤¨à¥‡ लगे।
शिकà¥à¤·à¤¾ :- इस कहानी से हमें यह शिकà¥à¤·à¤¾ मिलती है कि हमें पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कारà¥à¤¯ को सोच-समà¤à¤•à¤° करना चाहिठताकि हमें दोहरा लाठमिल सके।
साà¤à¤¾à¤° :-“कहावतों की कहानियाऔ