1:- हर तरफ मंदिर ही मंदिर
मधà¥à¤¯ बरà¥à¤®à¤¾ (मà¥à¤¯à¤¾à¤à¤®à¤¾à¤°) में पागान नामक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में आनंद मंदिर को आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ ही कहा जाता है। सन 1090 ई. में जब इस मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ पूरा हà¥à¤† तो वहाठके राजा ने उसके शिलà¥à¤ªà¤•à¤¾à¤° को सूली पर लटका दिया ताकि वह à¤à¤¸à¤¾ मंदिर कहीं और न बना सके।
उस समय पागान à¤à¤• शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की राजधानी था। बौदà¥à¤§ राजाओं ने à¤à¥€ मंदिर निरà¥à¤®à¤¾à¤£ को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ दिया और मà¥à¤¯à¤¾à¤à¤®à¤¾à¤° के हर नागरिक का सपना था कि वह अपने जीवन काल में à¤à¤• मंदिर जरà¥à¤° बनवाà¤à¥¤ फिर तो वहाठइतने मंदिर बन गठकि फसलें उगाने के लिठà¤à¥€ जगह नहीं बची। शहर को गरीबी और अराजकता ने घेर लिया और अंत में 1287 ई. में मंगोलों ने शहर पर अधिकार कर लिया।
2:- कà¥à¤°à¤¿à¤¸à¤®à¤¸ वृकà¥à¤·
कà¥à¤°à¤¿à¤¸à¤®à¤¸ पर ईसाई धरà¥à¤® के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ कà¥à¤°à¤¿à¤¸à¤®à¤¸ वृकà¥à¤· को सजाते हैं। à¤à¤¸à¤¾ माना जाता है कि यह परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ जरà¥à¤®à¤¨à¥€ से शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆà¥¤ 8वीं शताबà¥à¤¦à¥€ में बोनिफेस नामक à¤à¤• अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• ने इसे शà¥à¤°à¥‚ किया। इसके बाद सन 1912 में à¤à¤• बचà¥à¤šà¤¾ जिसका नाम जोनाथन था, वह बहà¥à¤¤ बीमार था, उसके अनà¥à¤°à¥‹à¤§ पर उसके पिता ने कà¥à¤°à¤¿à¤¸à¤®à¤¸ वृकà¥à¤· को रंगबिरंगी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और पनà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से सजाया।
सदाबहार फर को कà¥à¤°à¤¿à¤¸à¤®à¤¸ वृकà¥à¤· के रूप में सजाया जाता है। à¤à¤¸à¤¾ माना जाता है कि जब ईसा का जनà¥à¤® हà¥à¤† तो देवता उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बधाई देने पहà¥à¤à¤šà¥‡à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सदाबहार वृकà¥à¤· को सितारों से सजाकर अपनी ख़à¥à¤¶à¥€ जाहिर की। इंगà¥à¤²à¥ˆà¤£à¥à¤¡ में कà¥à¤°à¤¿à¤¸à¤®à¤¸ वृकà¥à¤· के ऊपर देवता की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ à¤à¥€ लगी जाती है।
संसार का सबसे बड़ा कà¥à¤°à¤¿à¤¸à¤®à¤¸ वृकà¥à¤· उतà¥à¤¤à¤°à¥€ कैरोलिना के हिलà¥à¤Ÿà¤¨ नामक पारà¥à¤• में है। इस वृकà¥à¤· की ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ 90 फà¥à¤Ÿ है तथा इसकी परिधि 110 फà¥à¤Ÿ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है।
3:- अजंता की गà¥à¤«à¤¾à¤à¤
अजंता की गà¥à¤«à¤¾à¤à¤ औरंगाबाद में अजनà¥à¤¤à¤¾ नामक गाà¤à¤µ से 5 km की दूरी पर जंगलों के बीच सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। ये गà¥à¤«à¤¾à¤à¤ तापà¥à¤¤à¥€ नदी की à¤à¤• सहायक नदी वधोरा के तट पर बनायी गई है। इन गà¥à¤«à¤¾à¤“ं का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ अरà¥à¤¦à¥à¤§à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¾à¤•à¤¾à¤° पहाड़ी ढाल पर किया गया है। जिसकी ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ 75 मीटर है। इन गà¥à¤«à¤¾à¤“ं को घोड़े के नाल की आकृति वाले कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ किया गया है जो 550 मीटर की लमà¥à¤¬à¤¾à¤ˆ में फैला है। गà¥à¤«à¤¾à¤“ं के फरà¥à¤¶ की सतह अलग-अलग गà¥à¤«à¤¾ में अलग- अलग ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर है। शà¥à¤°à¥‚-शà¥à¤°à¥‚ में सà¤à¥€ गà¥à¤«à¤¾à¤à¤ à¤à¤•-दूसरे से अलग थीं, परनà¥à¤¤à¥ बाद में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से जोड़ दिया गया।
4:- मकड़ियाà¤
जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° मकड़ियाठमनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठखतरनाक नहीं होती हैं, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनके जहरीले दाà¤à¤¤ काफी कमजोर होते हैं और वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ की तà¥à¤µà¤šà¤¾ को छेद नहीं सकती हैं। लेकिन बà¥à¤²à¥ˆà¤• विडो जैसी कà¥à¤› मकड़ियाठमनà¥à¤·à¥à¤¯ के लिठखतरनाक हो सकती हैं।
वैसे मकड़ियाठमनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठकाफी उपयोगी हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ये फसलों को बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ करने वाले कीड़ों को खा जाती हैं। नà¥à¤¯à¥‚ गिनी के जंगलों में à¤à¤• बड़े किसà¥à¤® की मकड़ी पायी जाती है जिसे वहाठके आदिवासी à¤à¥‚नकर खाते हैं।
जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° मकड़ियाठअपने शिकार को फà¤à¤¸à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठजाले बनाती है लेकिन “येडिया मकड़ी” अपने शिकार को दौड़ाकर पकड़ती है और “थूकने वाली मकड़ी” अपने शिकार पर थूककर अपनी चिपचिपी लार से अपने शिकार को पकड़ लेती है।
5:- टाइटेनियम
टाइटेनियम à¤à¤• धातॠहै। इसकी खोज 18वीं सदी में हो गयी थी लेकिन इसे शà¥à¤¦à¥à¤§ रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ सन 1925 में ही किया गया। यह धातॠवजन में हलà¥à¤•à¥€, खूब मजबूत और टिकाऊ होती है। इसमें जंग à¤à¥€ नहीं लगता। इस धातॠसे पानी के जहाज, हवाई जहाज, औजार और अंतरिकà¥à¤·à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को बनाया जाता है। यह काफी महà¤à¤—ी धातॠहै।