पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की चितà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥€- सबसे अदà¥à¤à¥à¤¤
कितनी मेहनत करके कोई चितà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° à¤à¤• चितà¥à¤° बनाता है, कितने रंगों के मिशà¥à¤°à¤£ के बाद उसे वह रंग नजर आता जिसे वह उकेरना चाहता है| कई बार हफ़à¥à¤¤à¥‹à¤‚ तक लगा रहता किसी खास à¤à¤¾à¤µ को रंगों के माधà¥à¤¯à¤® से पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करने में .... पर जरा गौर से देखे तो यह काम पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ कितने पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• तरीके से करती है ..... बारिश का मौसम आया और à¤à¤° दिठहरे रंग के बहà¥à¤¤ से शेड चारों ओर..और फिर फूलों में डाल दिठचटक रंग ..... यूं जैसे कि बà¥à¤°à¤¶ को रंग में डà¥à¤¬à¤¾à¤¯à¤¾ और छिटक दिया ...पर.....जो बना वो अदà¥à¤à¥à¤¤ अनà¥à¤ªà¤®......आज कही घास फूस में फूल खिलते देख मैंने ये फोटो लिया ...लगा उसे तो कोई विशेष कैनवास की à¤à¥€ जरà¥à¤°à¤¤ नहीं...जहाठचाहे वहां अपनी चितà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥€ करने में महारत हासिल है इसे तो.....सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ अदà¥à¤à¥à¤¤...:)