सौर उर्जा से केरोसीन का उत्पादन

अक्षय ऊर्जा की दिशा में वैज्ञानिक लगातार प्रयासरत है सौर उर्जा, पवन ऊर्जा, समुद्री लहरों से विद्युत् उत्पादन, भूतापीय ऊर्जा की दिशा में काफी प्रयास किये जा रहे हैं कई जगह सफलतापूर्वक उत्पादन भी किया जा रहा है इस सबके बावजूद आज भी ऊर्जा का मुख्य श्रोत पेट्रोलियम ही है |

अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल की है यूरोपियन यूनियन के SOLAR-JET प्रोजेक्ट ने | इस प्रोजेक्ट के द्वारा वैज्ञानिकों ने सूर्य के प्रकाश , जल और कार्बन डाई ऑक्साइड के द्वारा केरोसीन के संश्लेषण में सफलता हासिल की है | इस केरोसीन का उपयोग वायुयान के ईंधन के रूप में किया जा सकता है | इस प्रक्रिया में सूर्य के प्रकाश को संकेद्रित कर ताप-रासायनिक प्रक्रिया द्वारा जल व CO2 से द्रव हाइड्रोकार्बन बनाये जाते हैं | इस प्रक्रिया में आवश्यक तीनो पदार्थ हर जगह उपलब्ध होने की वजह से इसका प्रयोग बिना अतिरिक्त सामग्री के व पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचाए बिना ही ऊर्जा उत्पादन किया जा सकता है | यद्यपि यह प्रयोग अभी प्रारंभिक अवस्था में है बड़े स्तर पर उत्पादन में अभी समय लगेगा परन्तु यह सुनिश्चित है कि यह प्रयोग अपने अंदर असीम संभावनाएं छुपाये हुए है जो कि वर्तमान ऊर्जा संसाधनों के दोहन व वितरण के परिदृश्य को पूरी तरह बदल सकता है |

इस प्रक्रिया से न केवल केरोसीन का उत्पादन किया जा सकता है अपितु डीजल, गैसोलीन (पेट्रोल) व द्रवित हाइड्रोजन का उत्पादन भी किया जा सकता है | एक प्रदर्शन के दौरान सोलर-जेट के वैज्ञानिको ने सूर्य के प्रकाश को संकेंद्रित कर जल व कार्बन डाई ऑक्साइड द्वारा syngas (संश्लेषित गैस ) का उत्पादन किया | इस प्रक्रिया में उच्च ताप पर धात्विक ऑक्साइड्स की उपस्थिति में रेडोक्स अभिक्रिया कराई गयी | तत्पश्चात सिनगैस को व्यावसायिक फिशर ट्रोप्स तकनीक का प्रयोग कर केरोसीन का उत्पादन किया गया |

उल्लेखनीय है कि SOLAR-JET (Solar chemical reactor demonstration and Optimization for Long-term Availability of Renewable JET fuel) की स्थापना जून 2011 में की गयी जिसे वित्तीय सहयोग यूरोपियन यूनियन द्वारा दिया जा रहा है |


लेखक परिचय :
मोहम्मद इमरान खान
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