मकड़ी के जाले को आप सबने देखा होगा। किनà¥à¤¤à¥ वह जाला कैसे बà¥à¤¨à¤¤à¥€ है तथा उसमें अपने शिकार को कैसे फंसाती है, इसकी जानकारी काफी दिलचसà¥à¤ª है।
अपना जाला बà¥à¤¨à¤¨à¥‡ के लिठमकड़ी के शिकार में लगे 'सà¥à¤ªà¤¿à¤¨à¤°à¥‡à¤Ÿ' से रेशमी धागे की तरह à¤à¤• दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯ निकलता है, जिसका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— वह जाले हेतॠकरती है। उसकी जाला बà¥à¤¨à¤¨à¥‡ की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ की विशेषता यह है कि यह शà¥à¤°à¥‚ में à¤à¤• गोल 'फà¥à¤°à¥‡à¤®' बना लेती है। फिर उसके चारों ओर साइकिल के पहियों में लगे 'सà¥à¤ªà¥‹à¤•à¥à¤¸' की तरह, धागे के तारों (वायर) का समूह बनाती रहती है जो परसà¥à¤ªà¤° लिपटता जाता है। मकड़ी अपने जाले के बीचोबीच से बाहर की ओर निकलने वाला à¤à¤• 'सà¥à¤ªà¤¾à¤‡à¤°à¤²' à¤à¥€ बनाती है। इसके बाद à¤à¤• और का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया जाता है जो काफी चिपचिपा होता है।
दूसरा 'सà¥à¤ªà¤¾à¤‡à¤°à¤²' बनकर तैयार होते ही मकड़ी पहले वाला 'सà¥à¤ªà¤¾à¤‡à¤°à¤²' काट देती है। इसके बाद वह चोरी छिपे अपने शिकार का इंतजार करती है। जैसे ही जाले में 'वाइबà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨' (कंपकंपाहट) होने लगती है, मकड़ी सरपट दौड़कर जाले में फंसे जीव को धर दबोचती है। अपने जहर से वह उसे अचेत कर देती है।
कà¥à¤› देशों की मकड़ियाठतो इतनी ताकतवर होती हैं कि वे पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚,चमगादड़ों और मेंढकों को à¤à¥€ नहीं छोड़तीं। इनके जाले का धागा बड़ा मोटा और सखà¥à¤¤ होता है। वहां के लोग उस जाले के धागे से मछलियाठपकड़ने वाला जाल à¤à¥€ बना लेते हैं। मकड़ी का जाला छोटा हो या बड़ा, पतला हो या मोटा विशà¥à¤µ के लिठà¤à¤• अनूठा अनà¥à¤à¤µ है।