मैं हूँ

मैं अबला हूँ
लेकिन मुझे
शक्ति मिलती है
तुम्हारे शोषण से।

मैं गूँगी हूँ
लेकिन मुझे
आवाज़ मिलती है
तुम्हारी हिंसक दहाड़ों से।

मैं मतिहीन हूँ
लेकिन मुझे विचार
मिलते हैं
तुम्हारे रचे षड़यंत्रों से।

अब भी संभल जाओ
मेरी चेतावनी से नहीं
लेकिन चुप्पी से.......।


लेखक परिचय :
पूजा प्रजापति
फो.नं. -
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