यह पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में उचà¥à¤šà¥ शिकà¥à¤·à¤¾ का सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ और विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ केनà¥à¤¦à¥à¤° था। महायान बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® के इस शिकà¥à¤·à¤¾-केनà¥à¤¦à¥à¤° में हीनयान बौदà¥à¤§-धरà¥à¤® के साथ ही अनà¥à¤¯ धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ के तथा अनेक देशों के छातà¥à¤° पढ़ते थे। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ बिहार राजà¥à¤¯ में पटना से 88.5 किलोमीटर दकà¥à¤·à¤¿à¤£--पूरà¥à¤µ और राजगीर से 11.5 किलोमीटर उतà¥à¤¤à¤° में à¤à¤• गाà¤à¤µ के पास अलेकà¥à¤œà¥‡à¤‚डर कनिंघम दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ खोजे गठइस महान बौदà¥à¤§ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के à¤à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤µà¤¶à¥‡à¤· इसके पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ वैà¤à¤µ का बहà¥à¤¤ कà¥à¤› अंदाज़ करा देते हैं। अनेक पà¥à¤°à¤¾à¤à¤¿à¤²à¥‡à¤–ों और सातवीं शती में à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¥à¤°à¤®à¤£ के लिठआये चीनी यातà¥à¤°à¥€ हà¥à¤µà¥‡à¤¨à¤¸à¤¾à¤‚ग तथा इतà¥à¤¸à¤¿à¤‚ग के यातà¥à¤°à¤¾ विवरणों से इस विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के बारे में विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ जानकारी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। यहाठ10,000 छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ को पढ़ाने के लिठ2,000 शिकà¥à¤·à¤• थे। पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ चीनी यातà¥à¤°à¥€ हà¥à¤µà¥‡à¤¨à¤¸à¤¾à¤‚ग ने 7वीं शताबà¥à¤¦à¥€ में यहाठजीवन का महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¤• वरà¥à¤· à¤à¤• विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ और à¤à¤• शिकà¥à¤·à¤• के रूप में वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ किया था। पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ 'बौदà¥à¤§ सारिपà¥à¤¤à¥à¤°' का जनà¥à¤® यहीं पर हà¥à¤† था।
सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ व संरकà¥à¤·à¤£-
इस विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ का शà¥à¤°à¥‡à¤¯ गà¥à¤ªà¥à¤¤ शासक कà¥à¤®à¤¾à¤°à¤—à¥à¤ªà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¥à¤® 450-470 को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। इस विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ को कà¥à¤®à¤¾à¤° गà¥à¤ªà¥à¤¤ के उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पूरा सहयोग मिला। गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤µà¤‚श के पतन के बाद à¤à¥€ आने वाले सà¤à¥€ शासक वंशों ने इसकी समृदà¥à¤§à¤¿ में अपना योगदान जारी रखा। इसे महान समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ हरà¥à¤·à¤µà¤°à¥à¤¦à¥à¤§à¤¨ और पाल शासकों का à¤à¥€ संरकà¥à¤·à¤£ मिला। सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ शासकों तथा à¤à¤¾à¤°à¤¤ के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के साथ ही इसे अनेक विदेशी शासकों से à¤à¥€ अनà¥à¤¦à¤¾à¤¨ मिला।
सà¥à¤µà¤°à¥‚प-
यह विशà¥à¤µ का पà¥à¤°à¤¥à¤® पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ आवासीय विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ था। विकसित सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में इसमें विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ करीब 10,000 à¤à¤µà¤‚ अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ 2000 थी। सातवीं शती में जब हà¥à¤µà¥‡à¤¨à¤¸à¤¾à¤‚ग आया था उस समय 10,000 विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ और 1510 आचारà¥à¤¯ नालंदा विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में थे। इस विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में à¤à¤¾à¤°à¤¤ के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ कोरिया, जापान, चीन, तिबà¥à¤¬à¤¤, इंडोनेशिया, फारस तथा तà¥à¤°à¥à¤•à¥€ से à¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने आते थे। नालंदा के विशिषà¥à¤Ÿ शिकà¥à¤·à¤¾à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¤• बाहर जाकर बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करते थे। इस विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ की नौवीं शती से बारहवीं शती तक अंतररà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ खà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¿ रही थी।
परिसर-
अतà¥à¤¯à¤‚त सà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤œà¤¿à¤¤ ढंग से और विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में बना हà¥à¤† यह विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ कला का अदà¥à¤à¥à¤¤ नमूना था। इसका पूरा परिसर à¤à¤• विशाल दीवार से घिरा हà¥à¤† था जिसमें पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ के लिठà¤à¤• मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° था। उतà¥à¤¤à¤° से दकà¥à¤·à¤¿à¤£ की ओर मठों की कतार थी और उनके सामने अनेक à¤à¤µà¥à¤¯ सà¥à¤¤à¥‚प और मंदिर थे। मंदिरों में बà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¤—वान की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ थीं। केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में सात बड़े ककà¥à¤· थे और इसके अलावा तीन सौ अनà¥à¤¯ कमरे थे। इनमें वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ हà¥à¤† करते थे। अà¤à¥€ तक खà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ में तेरह मठमिले हैं। वैसे इससे à¤à¥€ अधिक मठों के होने ही संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ है। मठà¤à¤• से अधिक मंजिल के होते थे। कमरे में सोने के लिठपतà¥à¤¥à¤° की चौकी होती थी। दीपक, पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ रखने के लिठआले बने हà¥à¤ थे। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मठके आà¤à¤—न में à¤à¤• कà¥à¤†à¤ बना था। आठविशाल à¤à¤µà¤¨, दस मंदिर, अनेक पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ ककà¥à¤· तथा अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ ककà¥à¤· के अलावा इस परिसर में सà¥à¤‚दर बगीचे तथा à¤à¥€à¤²à¥‡à¤‚ à¤à¥€ थी।
पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन-
समसà¥à¤¤ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ का पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ या पà¥à¤°à¤®à¥à¤– आचारà¥à¤¯ करते थे जो à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥à¤“ं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ निरà¥à¤µà¤¾à¤šà¤¿à¤¤ होते थे। कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ दो परामरà¥à¤¶à¤¦à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ समितियों के परामरà¥à¤¶ से सारा पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध करते थे। पà¥à¤°à¤¥à¤® समिति शिकà¥à¤·à¤¾ तथा पाठà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® संबंधी कारà¥à¤¯ देखती थी और दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ समिति सारे विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ की आरà¥à¤¥à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ तथा पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ की देख--à¤à¤¾à¤² करती थी। विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ को दान में मिले दो सौ गाà¤à¤µà¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ उपज और आय की देख--रेख यही समिति करती थी। इसी से सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के à¤à¥‹à¤œà¤¨, कपड़े तथा आवास का पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध होता था।
आचारà¥à¤¯-
इस विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में तीन शà¥à¤°à¥‡à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के आचारà¥à¤¯ थे जो अपनी योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¥à¤®, दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ और तृतीय शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में आते थे। नालंदा के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में शीलà¤à¤¦à¥à¤°, धरà¥à¤®à¤ªà¤¾à¤², चंदà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤², गà¥à¤£à¤®à¤¤à¤¿ और सà¥à¤¥à¤¿à¤°à¤®à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– थे। 7वीं सदी में हà¥à¤µà¥‡à¤¨à¤¸à¤¾à¤‚ग के समय इस विशà¥à¤µ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– शीलà¤à¤¦à¥à¤° थे जो à¤à¤• महान आचारà¥à¤¯, शिकà¥à¤·à¤• और विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे। à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ शà¥à¤²à¥‹à¤• से जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है, पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ गणितजà¥à¤ž à¤à¤µà¤‚ खगोलजà¥à¤ž आरà¥à¤¯à¤à¤Ÿ à¤à¥€ इस विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– रहे थे। उनके लिखे जिन तीन गà¥à¤°à¤‚थों की जानकारी à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ है वे हैं: दशगीतिका, आरà¥à¤¯à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€à¤¯ और तंतà¥à¤°à¥¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤¾ बताते हैं, कि उनका à¤à¤• अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ आरà¥à¤¯à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त à¤à¥€ था, जिसके आज मातà¥à¤° 34 शà¥à¤²à¥‹à¤• ही उपलबà¥à¤§ हैं। इस गà¥à¤°à¤‚थ का 7 वीं शताबà¥à¤¦à¥€ में बहà¥à¤¤ उपयोग होता था।
पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ के नियम-
पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ परीकà¥à¤·à¤¾ अतà¥à¤¯à¤‚त कठिन होती थी और उसके कारण पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤¶à¤¾à¤²à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ ही पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ पा सकते थे। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ तीन कठिन परीकà¥à¤·à¤¾ सà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ को उतà¥à¤¤à¥€à¤°à¥à¤£ करना होता था। यह विशà¥à¤µ का पà¥à¤°à¤¥à¤® à¤à¤¸à¤¾ दृषà¥à¤Ÿà¤¾à¤‚त है। शà¥à¤¦à¥à¤§ आचरण और संघ के नियमों का पालन करना अतà¥à¤¯à¤‚त आवशà¥à¤¯à¤• था।
अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨-अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿-
इस विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में आचारà¥à¤¯ छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ को मौखिक वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शिकà¥à¤·à¤¾ देते थे। इसके अतिरिकà¥à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ होती थी। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ होता रहता था। दिन के हर पहर में अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ तथा शंका समाधान चलता रहता था।
अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°-
यहाठमहायान के पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤• नागारà¥à¤œà¥à¤¨, वसà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥, असंग तथा धरà¥à¤®à¤•à¥€à¤°à¥à¤¤à¤¿ की रचनाओं का सविसà¥à¤¤à¤¾à¤° अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ होता था। वेद, वेदांत और सांखà¥à¤¯ à¤à¥€ पढ़ाये जाते थे। वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£, दरà¥à¤¶à¤¨, शलà¥à¤¯à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾, जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·, योगशासà¥à¤¤à¥à¤° तथा चिकितà¥à¤¸à¤¾à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤° à¤à¥€ पाठà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त थे। नालंदा कि खà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ में मिली अनेक काà¤à¤¸à¥‡ की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤ के आधार पर कà¥à¤› विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का मत है कि कदाचितॠधातॠकी मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ बनाने के विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का à¤à¥€ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ होता था। यहाठखगोलशासà¥à¤¤à¥à¤° अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के लिठà¤à¤• विशेष विà¤à¤¾à¤— था।
पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¤¯-
नालंदा में सहसà¥à¤°à¥‹à¤‚ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के लिà¤, नौ तल का à¤à¤• विराट पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¤¯ था जिसमें 3 लाख से अधिक पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ का अनà¥à¤ªà¤® संगà¥à¤°à¤¹ था। इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¤¯ में सà¤à¥€ विषयों से संबंधित पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ थी। यह 'रतà¥à¤¨à¤°à¤‚जक' 'रतà¥à¤¨à¥‹à¤¦à¤§à¤¿' 'रतà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤—र' नामक तीन विशाल à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ था। 'रतà¥à¤¨à¥‹à¤¦à¤§à¤¿' पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¤¯ में अनेक अपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¯ हसà¥à¤¤à¤²à¤¿à¤–ित पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ संगà¥à¤°à¤¹à¥€à¤¤ थी। इनमें से अनेक पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤²à¤¿à¤ªà¤¿à¤¯à¤¾à¤ चीनी यातà¥à¤°à¥€ अपने साथ ले गये थे।
छातà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¾à¤¸-
यहां छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के रहने के लिठ300 ककà¥à¤· बने थे, जिनमें अकेले या à¤à¤• से अधिक छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के रहने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थी। à¤à¤• या दो à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥ छातà¥à¤° à¤à¤• कमरे में रहते थे। कमरे छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤· उनकी अगà¥à¤°à¤¿à¤®à¤¤à¤¾ के आधार पर दिये जाते थे। इसका पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन सà¥à¤µà¤¯à¤‚ छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ छातà¥à¤° संघ के माधà¥à¤¯à¤® से किया जाता था।
छातà¥à¤° संघ-
यहां छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ का अपना संघ था। वे सà¥à¤µà¤¯à¤‚ इसकी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ तथा चà¥à¤¨à¤¾à¤µ करते थे। यह संघ छातà¥à¤° संबंधी विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मामलों जैसे छातà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध आदि करता था।
आरà¥à¤¥à¤¿à¤• आधार-
छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ को किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की आरà¥à¤¥à¤¿à¤• चिंता न थी। उनके लिठशिकà¥à¤·à¤¾, à¤à¥‹à¤œà¤¨, वसà¥à¤¤à¥à¤° औषधि और उपचार सà¤à¥€ निःशà¥à¤²à¥à¤• थे। राजà¥à¤¯ की ओर से विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ को दो सौ गाà¤à¤µ दान में मिले थे, जिनसे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ आय और अनाज से उसका खरà¥à¤š चलता था।
अवसान-
13 वीं सदी तक इस विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ का पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ अवसान हो गया। मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® इतिहासकार मिनहाज और तिबà¥à¤¬à¤¤à¥€ इतिहासकार तारानाथ के वृतà¥à¤¤à¤¾à¤‚तों से पता चलता है कि इस विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ को तà¥à¤°à¥à¤•à¥‹à¤‚ के आकà¥à¤°à¤®à¤£à¥‹à¤‚ से बड़ी कà¥à¤·à¤¤à¤¿ पहà¥à¤à¤šà¥€à¥¤ तारानाथ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° तीरà¥à¤¥à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ और à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥à¤“ं के आपसी à¤à¤—ड़ों से à¤à¥€ इस विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ की गरिमा को à¤à¤¾à¤°à¥€ नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ पहà¥à¤à¤šà¤¾à¥¤ इस पर पहला आघात हà¥à¤£ शासक मिहिरकà¥à¤² दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया गया। 1199 में तà¥à¤°à¥à¤• आकà¥à¤°à¤®à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ बखà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤° खिलजी ने इसे जला कर पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ नषà¥à¤Ÿ कर दिया।
à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• उलà¥à¤²à¥‡à¤–-
पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ चीनी विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ यातà¥à¤°à¥€ हà¥à¤µà¥‡à¤¨à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤‚ग और इतà¥à¤¸à¤¿à¤‚ग ने कई वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक यहाठसांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• व दरà¥à¤¶à¤¨ की शिकà¥à¤·à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ की। इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने यातà¥à¤°à¤¾ वृतà¥à¤¤à¤¾à¤‚त व संसà¥à¤®à¤°à¤£à¥‹à¤‚ में नालंदा के विषय में काफी कà¥à¤› लिखा है। [क] हà¥à¤µà¥‡à¤¨à¤¸à¤¾à¤™à¥ ने लिखा है कि सहसà¥à¤°à¥‹à¤‚ छातà¥à¤° नालंदा में अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते थे और इसी कारण नालंदा पà¥à¤°à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ हो गया था। दिन à¤à¤° अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में बीत जाता था। विदेशी छातà¥à¤° à¤à¥€ अपनी शंकाओं का समाधान करते थे। इतà¥à¤¸à¤¿à¤‚ग ने लिखा है कि विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के नाम विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° पर सफ़ेद अकà¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ में लिखे जाते थे।
पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ अवशेषों का परिसर-
इस विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के अवशेष चौदह हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में मिले हैं। खà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ में मिली सà¤à¥€ इमारतों का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ लाल पतà¥à¤¥à¤° से किया गया था। यह परिसर दकà¥à¤·à¤¿à¤£ से उतà¥à¤¤à¤° की ओर बना हà¥à¤† है। मठया विहार इस परिसर के पूरà¥à¤µ दिशा में व चैतà¥à¤¯ (मंदिर) पशà¥à¤šà¤¿à¤® दिशा में बने थे। इस परिसर की सबसे मà¥à¤–à¥à¤¯ इमारत विहार-1 थी। आज à¤à¥€ यहां दो मंजिला इमारत शेष है। यह इमारत परिसर के मà¥à¤–à¥à¤¯ आंगन के समीप बना हà¥à¤ˆ है। संà¤à¤µà¤¤: यहां ही शिकà¥à¤·à¤• अपने छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ को संबोधित किया करते थे। इस विहार में à¤à¤• छोटा सा पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾à¤²à¤¯ à¤à¥€ अà¤à¥€ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ अवसà¥à¤¥à¤¾ में बचा हà¥à¤† है। इस पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾à¤²à¤¯ में à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ की à¤à¤—à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ बनी है। यहां सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ मंदिर नं 3 इस परिसर का सबसे बड़ा मंदिर है। इस मंदिर से समूचे कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का विहंगम दृशà¥à¤¯ देखा जा सकता है। यह मंदिर कई छोटे-बड़े सà¥à¤¤à¥‚पों से घिरा हà¥à¤† है। इन सà¤à¥€ सà¥à¤¤à¥‚पों में à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤“ं में मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ बनी हà¥à¤ˆ है।
(साà¤à¤¾à¤°- विकिपीडिया)
संकलन- करीम पठान अनमोल