रेडियो धर्मिता के पितामह - हेनरी बेकरेल

सन 1896 में एंटोनी हेनरी बेकरेल ने दर्शाया कि अँधेरे में रखे यूरेनियम यौगिक भी फोटोग्राफी की प्लेटों की कुहाँसी पर देनेवाली किरणें उत्पन्न करते थे। यह खोज अकस्मात् ही हुई थी। दरसल बेकरेल यह जानने की कोशिश कर रहे थे कि क्या प्रतिदिप्ति और विल्हेम कोनरड रोटजेन द्वारा खोजे गए विकिरण में कोई सम्बन्ध है? शुरू में वैज्ञानिक समुदाय ने बेकरेल की इस खोज की उपेक्षा की लेकिन जब मैडम मेरी क्यूरी ने यह दर्शाया कि यूरेनियम अकेला रेडियोधर्मी तत्व नहीं है, तब बेकरेल की खोज को मान्यता मिलने लगीं।
      मेरी क्यूरी ने दर्शाया कि विकिरण की शक्ति उस यौगिक से निर्धारित नहीं होती, जिसका अध्ययन किया जाता है, बल्कि यह नमूने में उपस्थित यूरेनियम या बोरियम की मात्रा से निर्धारित होती है। विकिरण क्षमता अणुओं के विन्यास और यूरेनियम की पारंपरिक क्रिया में नहीं बल्कि स्वयं यूरेनियम की  आतंरिक संरचना में निहित होती है। रेडियो धर्मिता एक परमाणविक परिघटना है, इस तथ्य को रुदरफोर्ड ने भी दर्शाया। उसके बाद एंटोनी हेनरी बेकरेल की रेडियोधर्मिता की खोज को पूरी दुनिया में ख्याति मिलने लगी।
    रेडियोधर्मिता के पितामाह हेनरी बेकरेल का जन्म 15 दिसंबर 1852 को फ्रांस में हुआ। उनके पिता और दादा की तरह उनहोंने भी भौतिकी विज्ञान की पढ़ाई की। एंटोनी हेनरी बेकरेल की फ्लुओरेसंस सत्व की पढ़ाई में रूचि थी। उनके पिता एवं दादा जहाँ नौकरी करते थे। उसी जगह पर काम करने जा सौभाग्य एंटोनी हेनरी को प्राप्त हुआ। उनकी पढ़ाई इंकोल पालीटेक्निक में होने के बाद उनकी सन 1895 में उसी कॉलेज में प्रोफेसर ऑफ़ फिजिक्स के पद पर नियुक्ति हुई।
      बेकरेल  ने बताया कि यूरेनियम से निकलने वाली रेडियो किरणें सूर्यप्रकाश किरणों की तरह परावर्तित नहीं होंती और अगर वह किरणें हवा में छोड़ी जाएं तो हवा भी आयोनाइड होती है। बेकरेल ने बताया कि रेडियोधर्मिता किरणें तीन प्रकार की होती हैं। अल्फ़ा, बीटा एवं गामा । 

बेकरेल को उनकी रेडियोधर्मिता की खोज के लिए भौतिक विज्ञान का वर्ष 1903 को नोबेल पुरस्कार मैडम मेरी क्यूरी एवं प्रोफेसर पियरे क्यूरी के साथ प्रदान किया गया। बेकरेल ने चुम्बकीय पदार्थो के गुणधर्म एवं स्फटिक पदार्थ में सूर्यप्रकाश छोड़ने से उनके गुणधर्मो का भी अध्ययन किया।
    आज रेडियोधर्मिता तत्व का उपयोग कैंसर की बीमारी के इलाज के लिये किया जाता है। इस महान वैज्ञानिक का 25 अगस्त 1908 को निधन हो गया। बेकरेल की रेडियोधर्मिता की खोज से भौतिकी विज्ञान में क्रांति हुई। 


लेखक परिचय :
मनोज कुमार सैनी
फो.नं. -9785984283
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